बसंत पंचमी और मां सरस्वती की पूजा मुहुर्त कब है?Basant Panchami 2025
[02/02, 7:22 am] sr8741002@gmail.com: Basant Panchami 2025- हिंदू पंचांग के अनुसार, बसंत पंचमी हर साल माघ महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। इस साल बसंत पंचमी का पर्व 2 तारीखों पर पड़ रहा है, ऐसे में इस साल कुछ जगहों पर 2 फरवरी तो वहीं कुछ जगहों पर 3 फरवरी को बसंत पंचमी मनाई जाएगी। ये दिन खास तौर पर वसंत ऋतु के आने और देवी सरस्वती की पूजा का होता है। इस दिन विद्या, ज्ञान और कला की देवी मां सरस्वती की पूजा का विशेष महत्व है। बसंत पंचमी का त्योहार भारत के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। इसके पीछे छिपी पौराणिक कथा।
बसंत पंचमी का सीधा संबंध माता सरस्वती से है। पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की, तो सृष्टि में कोई जीवन था, लेकिन वह जीवन शांत और बिना किसी आवाज के था। भगवान ब्रह्मा ने अपने कमंडल से जल छींटा, जिससे देवी सरस्वती प्रकट हुईं। देवी सरस्वती ने वीणा बजाकर पूरे संसार में मधुर आवाज फैलाई और सृष्टि में जीवन का संचार हुआ। तभी से देवी सरस्वती को ज्ञान, संगीत और कला की देवी माना जाता है, और इस तिथि पर बसंत पंचमी मनाए जाने लगी।
बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है। यह दिन विद्यार्थियों के लिए बेहद ही शुभ माना जाता है। इस दिन मां सरस्वती से ज्ञान और विद्या की प्राप्ति के लिए प्रार्थना की जाती है। इसके अलावा इस खास दिन पर छोटे बच्चों को अक्षर ज्ञान भी दिया जाता है, जिसे ‘विद्यारंभ’ कहते हैं।
प्रकृति का उत्सव
बसंत पंचमी को वसंत ऋतु के आगमन के रूप में भी मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन से ठंड का मौसम खत्म होने लगता है और मौसम में बदलाव आता है। खेतों में सरसों के पीले फूल खिलते हैं, जो वसंत पंचमी के पीले रंग को दर्शाते हैं। लोग इस दिन पीले कपड़े पहनते हैं और पीले रंग के पकवान जैसे- खिचड़ी और हलवा बनाते हैं।
कामदेव और रति की पूजा
बसंत पंचमी को प्रेम और सौंदर्य का उत्सव भी माना जाता है। पौराणिक कथा के मुताबिक, इस दिन कामदेव ने अपनी पत्नी रति के साथ भगवान शिव की तपस्या को भंग करने की कोशिश की थी। इसी कारण इसे प्रेम और सुंदरता के पर्व के रूप में भी मनाते हैं।
मां सरस्वती की पूजा
बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की पूजा विधि खास होती है। पूजा में सफेद फूल, पीले वस्त्र, सफेद तिल और संगीत अर्पित किया जाता है। मां सरस्वती के चरणों में वीणा और पुस्तक रखना शुभ माना जाता है। इस दिन लोग मां से ज्ञान और विद्या की प्राप्ति के लिए आशीर्वाद लेते हैं।
[02/02, 7:23 am] sr8741002@gmail.com: बसंत ऋतु को ऋतुराज भी कहते हैं। बसंत ऋतु मे प्रकृति का नवसृजन और सौंदर्यीकरण होने लगता है।अर्थात वसंत ऋतु के आने से प्रकृति अपना वास्तविक सौंदर्य और श्रृंगार को फिर से धारण करने लगती है।मानव हो या पशु -पक्षी ,पेड़ -पौधे ,हो या आसमान में बादल सभी के लिए यक्ष ऋतु प्रसन्नता और वरदान के रूप में आती है। बसंत ऋतु धरती का श्रृंगार करती है।चारों तरफ हरियाली और विभिन्न प्रकार के फूल खिलने लगते हैं। प्रकृति सुंदर और मनमोहक और खुशबू से भरा वातावरण बन जाता है। इस ऋतु में धरती की उर्वरा शक्ति अर्थात उत्पादन क्षमता अन्य ऋतुओं की अपेक्षा की बढ़ जाती है बसंत ऋतु मार्च ,अप्रैल और मई के महीने आता है। बसंत ऋतु में तापमान में नमी आ जाती है। सभी जगह हरे भरे पेड़ों और फूलों के कारण चारों तरफ हरियाली और रंगीन वातावरण दिखाई देता है। बसंत ऋतु,प्रकृति, जीव -जंतुओं,और मनुष्यों में अच्छी भावनायें और नवसृजन,उत्पन्न करता है। अच्छा स्वास्थ्य और प्रकृति को नया जीवन देती है। बसंत ऋतु का वास्तविक सौंदर्य प्रकृति और हमारे स्वास्थ्य को पोषण देता है। और हम जीवन के सभी दुखों को भूल जाते हैं।प्रकृति, मनुष्य,पेड-पौधे, और पशु -पक्षी सभी स्वस्थ, सुखी, और सक्रियता महसूस करने लगते हैं।
[02/02, 7:44 am] sr8741002@gmail.com: वैदिक पंचांग के अनुसार इस साल इस तिथि की शुरुआत 2 फरवरी 2025 को सुबह 9 बजकर 15 मिनट पर होगी। साथ ही इसका समापन 03 फरवरी को प्रातः 06 बजकर 53 मिनट पर होगा। वहीं बसंत पंचमी का त्योहार 2 फरवरी 2025 को मनाया जाएगा। क्योंकि 3 फरवरी को सूर्योदय का स्पर्श होते ही पंचमी तिथि समाप्त हो रही है जिससे माघ शुक्ल पंचमी तिथि का क्षय माना जा रहा है।
बसंत पंचमी पूजा का शुभ मुहूर्त (Basant Panchami 2025 Shubh Muhurat)
पंचांग के मुताबिक 2 फरवरी 2025 को सुबह 7 बजकर 8 मिनट से दोपहर 12 बजकर 34 मिनट तक पूजा कर सकते हैं। इस दिन पूजा के लिए लगभग 5 घंटे 26 मिनट का समय मिलेगा।
बसंत पंचमी की पूजा का महत्व (Basant Panchami 2025)
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की विधिपूर्वक पूजा करने से ज्ञान और धन का आशीर्वाद मिलता है। इस दिन पीले वस्त्र पहनना और पीले रंग का भोग लगाता शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि पीला रंग देवी को अति प्रिय है। इस दिन स्कूलों और कॉलेजों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं
मां सरस्वती की पूजा का मंत्र
ऐं सरस्वत्यै ऐं नमः। ऊं ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नमः।