जानें क्यों भारतीय सेना दिवस 15 जनवरी को मनाया जाता है।? Indian Army Day 2025

 


[15/01, 5:17 am] sr8741002@gmail.Com: Indian Army Day :- 15 जनवरी को मनाया जाता है इंडियन आर्मी डे, क्या है इस बार खास

Indian Army Day 2025 : हर साल देश में 15 जनवरी का दिन भारतीय थल सेना दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इस बार 15 जनवरी को इंडियन आर्मी 77 वां सेना दिवस मना रही है। इस दिवस को मनाने के पीछे की वजह है, फील्ड मार्शल केएम करियप्पा (Field Marshal KM Cariappa)। 15 जनवरी, 1949 को करीब 200 साल के ब्रिटिश राज के बाद पहली बार किसी भारतीय को इंडियन आर्मी की कमान सौंपी गई थी। फील्ड मार्शल के एम करियप्पा ने जनरल फ्रांसिस बुचर से भारतीय सेना की कमान ली थी। फ्रांसिस बुचर भारत के अंतिम ब्रिटिश कमांडर इन चीफ थे। जबकि करियप्पा आजाद भारत के पहले कमांडर-इन-चीफ थे। करियप्पा के भारतीय थल सेना के शीर्ष कमांडर का पदभार ग्रहण करने के उपलक्ष्य में हर साल यह दिन मनाया जाता है। हालांकि अब यह पद देश के राष्ट्रपति के पास है। इस पद पर करियप्पा के अलावा फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ भी रहे। कमांडर-इन-चीफ तीन सेनाओं के प्रमुख को कहा जाता है। करियप्पा को 'किपर' के नाम से भी जाना जाता है।


सेना दिवस का महत्व

सेना दिवस पर हम अपने सैन्य कर्मियों के असाधारण साहस, अटूट प्रतिबद्धता और बलिदान का सम्मान करते हैं। हमारे राष्ट्र की रक्षा करने और हमारी संप्रभुता को बनाए रखने में उनका अथक समर्पण उनकी बहादुरी का प्रमाण है।


 के एम करियप्पा के बारे मे 

1899 में कर्नाटक के कुर्ग में जन्मे फील्ड मार्शल करिअप्पा ने महज 20 वर्ष की उम्र में ब्रिटिश इंडियन आर्मी में नौकरी शुरू की थी।


1- करिअप्पा ने वर्ष 1947 के भारत-पाक युद्ध में पश्चिमी सीमा पर सेना का नेतृत्व किया था।


2 - भारत-पाक आजादी के वक्त उन्हें दोनों देशों की सेनाओं के बंटवारे की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। करियप्पा को 'किपर' के नाम से भी जाना जाता था।

3 - वर्ष 1953 में करिअप्पा सेना से रिटायर हो गए थे।


4 - भारतीय सेना में फील्ड मार्शल का पद सर्वोच्च होता है। ये पद सम्मान स्वरूप दिया जाता है। भारतीय इतिहास में अभी तक यह रैंक सिर्फ दो अधिकारियों को दिया गया है। देश के पहले फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ हैं। 


5- जनवरी 1973 में राष्ट्रपति ने फील्ड मार्शल पद से सम्मानित किया था। एम करिअप्पा देश के दूसरे फील्ड मार्शल थे। उन्हें 1986 में फील्ड मार्शल बनाया गया था।



भारतीय सेना में फील्ड मार्शल पांच सितारा रैंक वाला सर्वोच्च पद होता है। इसे कमांडर-इन-चीफ भी कहा जाता है।


पुणे में होगा इस बार का भव्य आर्मी डे समारोह

इस बार इंडियन आर्मी सेना दिवस पर अपनी भव्य आर्मी परेड का आयोजन पुणे में करेगी। आर्मी डे परेड में भारतीय सेना के साहस, शक्ति और तकनीकी प्रगति का प्रदर्शन किया जाएगा। परंपरागत रूप से दिल्ली में आयोजित होने वाली परेड 2023 से अलग-अलग शहरों में आयोजित की जाने लगी, जिसकी शुरुआत बेंगलुरु से हुई और उसके बाद 2024 में लखनऊ में हुई। इस बार आर्मी डे पर पहली बार नेपाली सेना का बैंड भी शामिल होगा। अब तक आर्मी डे परेड में कभी भी किसी दूसरे देश की तरफ से कोई बैंड या दस्ता शामिल नहीं हुआ था।

[15/01, 5:22 am] sr8741002@gmail.Com: आज भारतीय सेना विश्व की सर्वश्रेष्ठ सेनाओं मे से एक है।क्योंकि वह देश की सेवा मे समर्पित और अनुशासित है।भारतीय सेना की शुरुआत 1अप्रैल 1895 में हुई थी। तब भारत मे अंग्रेजों की हुकूमत थी। भारतीय सेना की शुरुआत ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना से हुई थी, जिसे बाद में 'ब्रिटिश भारतीय सेना' के नाम से जाना गया। आखिरकार, स्वतंत्रता के बाद, इसे राष्ट्रीय सेना के रूप में जाना जाने लगा। 

भारत ने लगभग 200 साल के ब्रिटिश शासन के बाद 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्रता प्राप्त की थी। उस समय देश सांप्रदायिक दंगों से गुजर रहा था, शरणार्थी पाकिस्तान से आ रहे थे और कुछ लोग पाकिस्तान की ओर पलायन कर रहे थे। इस तरह के अराजकतापूर्ण माहौल के कारण कई प्रशासनिक समस्याएं उभरने लगीं। तब सेना को स्थिति नियंत्रित करने के लिए आगे आना पड़ा ताकि विभाजन के दौरान शांति सुनिश्चित की जा सके। इसके बाद एक तारीख चुनी गई 15 जनवरी

यह दिन हमारे सैनिकों के बलिदान और राष्ट्र की रक्षा के लिए उनकी प्रतिबद्धता का सम्मान करने का अवसर है।

आजादी के बाद स्वतंत्र भारत का निर्माण करते समय, यह जरूरी था कि देश की रक्षा का दायित्व उसी के वीर सपूतों को सौंपा जाए। यही वजह थी कि 15 जनवरी 1949 को फील्ड मार्शल के.एम. करिअप्पा भारत के पहले स्वतंत्र सेना प्रमुख बने। उस समय तक भारतीय सेना की कमान ब्रिटिश जनरल सर फ्रांसिस बुचर के हाथों में थी। लेकिन स्वतंत्रता के साथ ही यह जरूरी हो गया था कि सेना का नेतृत्व अपने ही सेना के वीर जवान करें। इसलिए इस ऐतिहासिक क्षण को सम्मानित करने और भारतीय सेना के जज्बे को सलाम करने के लिए हर साल 15 जनवरी को सेना दिवस मनाया जाता है।



इस खास दिन देशभर के सभी सेना मुख्यालयों और राष्ट्रीय राजधानी में सेना परेड का आयोजन किया जाता है। ये परेड सैनिकों के अनुशासन, शौर्य और देशभक्ति का शानदार प्रदर्शन का होता है।यह दिन हमें याद दिलाता है कि कैसे 1949 में फील्ड मार्शल के.एम. करिअप्पा भारत के पहले स्वतंत्र सेना प्रमुख बने, उसे समय भारतीय सेना में दो लाख सैनिक थे।जिससे एक नए युग की शुरुआत हुई।


सेना दिवस सभी सेना कमान मुख्यालयों में मनाया जाता है। इस दिन भारतीय सेना के उन सैनिकों को सम्मानित किया जाता है, जिन्होंने निस्वार्थ भाव से देश की सेवा की और भाईचारे की सबसे बड़ी मिसाल कायम की। सलामी उन सभी बहादुर सेनानियों को दी जाती है जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा और राष्ट्र की अखंडता को बनाए रखने के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया है। भारतीय सेना में फील्ड मार्शल का पद उच्चतम माना जाता है यह एक मानक पद है जो केंद्र सरकार की अनुशंसा पर राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया जाता है केवल विशिष्ट परिस्थितियों में ही इसकी अनुशंसा की जाती है अब तक भारतीय सेना के 6 दशकों के इतिहास में दो मात्र दो अधिकारियों को ही फील्ड मार्शल का पद सोंपा गया है। पहले फील्ड मार्शल सैम मानेकशाँ (1972)और दूसरे एम करियप्पा(1986)सेना  दिवस पर सेना जो सुरक्षा का एहसास देश को देती है। ग्लोबल फायर पावर 2025 के अनुसार दुनिया के 145 शक्तिशाली सेना की सूची में भारत चौथे स्थान पर है भारत की सेना की ताकत के बारे में दुनिया जानती है यून के आह्वान पर दुनिया भर के मुश्किल हालातों को भारतीय सेना संभाल चुकी है।

सेना दिवस 2025 की थीम अभी घोषित किया जाना बाकी है। भारतीय सेना  देश पर आए हर संकट मे  जान की बाजी लगाकर लड़ती है।और देशवासियों को सुरक्षित रखने की कोशिश करती है। चाहे वह संकट दुश्मन देश की तरफ से आया हो या फिर अन्य मोर्चे पर।भारतीय सेना प्राकृतिक आपदा अशांति और उपद्रव की स्थिति में बचाव एवं मानवीय सहायता पहुंचाने में प्रशासन का सहयोग भी करती है। समय आने पर देश में होने वाली प्राकृतिक आपदाओं के वक्त भी भारतीय सेना जान लगाकर देशवासियों की रक्षा करने में जुट जाती है उनका देश के प्रति हर जज्बा ही इतना अमिट है कि सभी भारतीय आंख मूँद कर सेना पर भरोसा करते है। थल सेना दिवस पर सभी भारतीय सेना के वीर जवानों को दिल से नमन।

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