डा मनमोहनसिंह को क्यों कहा जाता है आर्थिक सुधारों के क्रांतिकारी? Why is Dr Manmohan Singh called the revolutionary of economic formulas?

 


पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर, 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत के एक गांव गाह में हुआ था। यह हिस्सा अब पाकिस्तान में है।उनके पिता का नाम गुरमुख सिंह और माता का नाम अमृत कौर था।उनकी श्रीमती गुरशरण कौर एक गृहिणी है।उनकी  तीन पुत्रियां हैं।मनमोहन सिंह की शुरुआती शिक्षा अविभाजित भारत के पंजाब में उर्दू माध्यम से हुई। इसके बाद वह पेशावर के उच्च प्राथमिक स्कूल में पढ़े।

देश के विभाजन के बाद उनका परिवार भारत  आया था। और वे पंजाब के अमृतसर में रहने लगे।

डॉ. मनमोहन सिंह ने 1948 में पंजाब विश्वविद्यालय से मैट्रिकुलेशन की परीक्षाएं पूरी कीं।

इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए वह विदेश चले गए।

कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से उन्होंने साल 1957 में अर्थशास्त्र में प्रथम श्रेणी ऑनर्स की डिग्री हासिल की।

इसके बाद उन्होंने 1962 में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के नफील्ड कॉलेज से अर्थशास्त्र में डी. फिल. की।

कैंब्रिज विश्वविद्यालय से पीएचडी और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से डी फिल किया। इसके बाद 1972 के दौरान वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार बने। फिर 1976 में वित्त मंत्रालय में सचिव का पद भी संभाला।1982 में भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर नियुक्त हुए 

 विभिन्न पदों पर रहते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था में उनका योगदान महत्वपूर्ण है।

आरबीआई गवर्नर, वित्तमंत्री और दो भारत के प्रधानमंत्री के पद पर रहे मनमोहन सिंह भारत में आर्थिक उदारीकरण के प्रणेता के तौर पर जाने जाते रहे हैं।

साल 1985 में राजीव गांधी के शासन काल में मनमोहन सिंह को भारतीय योजना आयोग का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया था। वे इस पद पर पांच सालों तक रहे जिसके बाद उन्हें 1990 में प्रधानमंत्री का आर्थिक सलाहकार बना दिया गया।

इसके बाद जब पी.वी नरसिंहराव पीएम बनें, तो उन्होंने डॉ मनमोहन सिंह को 1991 में वित्त मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार सौंपा।

डॉ. मनमोहन सिंह साल 1991 में असम से राज्यसभा के लिए चुने गए। इसके बाद 1995, 2001, 2007 और 2013 में पुन:नर्वाचित हुए।

मनमोहन सिंह वित्त मंत्रालय के सचिव, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष भी रहे।

साल 2004 से 2014 के बीच यू पीए-1 और यू पीए-2 सरकार में वे प्रधानमंत्री पद पर रहे।

बतौर प्रधानमंत्री उन्होंने 10 साल के शासनकाल में कई ऐसे बड़े और महत्वपूर्ण फैसले लिए, जिसने भारत को और अधिक ऊंचाइयों पर ले जाने का काम किया।

शिक्षा का अधिकार (RTE), सूचना का अधिकार (RTI), मनरेगा योजना समेत तमाम कई ऐसे बड़े फैसले हैं, जो उन्होंने प्रधानमंत्री रहते हुए लिए थे।

पूर्व प्रधानमंत्री को शिक्षक के पद पर भी खासा तजुर्बा था। वह पंजाब विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के सीनियर लेक्चरर रहे। इसके साथ ही उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ इकोनामिक्स में भी अध्यापन कार्य भी किया।

 1991 में देश की अर्थव्यवस्था को फिर से विकसित करने के लिए संरचनात्मक सुधारों की रूपरेखा तैयार करके देश को पूर्ण आर्थिक संकट के कगार से बचाने का श्रेय दिया जाता है। वित्त मंत्री के रुप में उनके नेतृत्व में संकट सफलतापूर्वक टल गया और भारत विश्व बाजार में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बनने की राह पर लौट आया।

 उत्तर-पूर्व में आतंकवाद पर लगाम लगाने में सफल रहे।


मनमोहन सिंह का राजनीतिक जीवन

2018: मनमोहन सिंह एक बार फिर बतौर का‍ँग्रेस सांसद राज्य सभा पहु‍ँचे।

2013 : मनमोहन सिंह को पांचवीं बार राज्यसभा के लिए चुना गया।

2007 : उन्हें चौथे कार्यकाल के लिए राज्यसभा के लिए फिर से चुना गया।

2004 : 2004 में यूपीए ने लोकसभा में पूर्ण बहुमत हासिल किया, जिसके बाद कांग्रेस संसदीय दल ने मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री चुना। 2004 से 2014 तक उन्‍होंने बतौर पीएम दो कार्यकाल पूरे किये।

2001 : उन्हें तीसरे कार्यकाल के लिए राज्यसभा के लिए फिर से चुना गया।

1999 : वे 13 वां लोकसभा चुनाव दक्षिण दिल्ली से भाजपा के विजय कुमार मल्होत्रा से हार गए।

1998 : सदस्य, वित्त संबंधी समिति।

1998 : नेता प्रतिपक्ष, राज्यसभा।

1996 : सदस्य, वित्त मंत्रालय की सलाहकार समिति।

1995 : उन्हें दूसरे कार्यकाल के लिए राज्यसभा के लिए फिर से चुना गया।

मनमोहन सिंह जी के कार्यकाल में यू पी ए सरकार पर  बहुत घोटालों के आरोपों पर उनकी चुप्पी साधने पर प्रश्न चिन्ह लगे, लेकिन उनकी व्यक्तिगत छवि वेदाग रही।

मनमोहन सिंह जी ने 1991मे भारत को आर्थिक भंवर में फंसने से उभारा इसलिए उनको आर्थिक सुधारों के क्रांतिकारी के रुप में जाना जाता है। 26दिसम्बर 2024को रात्रि में उनका निधन हो गया। भगवान उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे।

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