क्या और कैसे?पपीते की पत्तियां किसी भी स्तर के कैंसर को ठीक कर सकते हैं? Can and how papaya leaves cure cancer of any stage?

 


पपीते की पत्तियां किस प्रकार से विभिन्न प्रकार के कैंसर को ठीक करने अथवा रोकने में सक्षम है आइये इसके बारे में जानते हैं -

पपीते के पत्ते की चाय -

 किसी भी स्टेज के कैंसर को सिर्फ 60 से 90 दिन में जड़ से खत्म किया जा सकता है।


    

यदि रोजाना पपीते के पत्ते की चाय का सेवन करते हैं तो तीसरी और चौथी स्टेज का कैंसर सिर्फ 35 से 90 दिनों में ठीक हो सकता है।अभी तक हम पपीते के पत्तों का इस्तेमाल बहुत ही सीमित तरीके से किया करते रहे हैं। या अधिकतर 

 खासतौर पर प्लेटलेट बढ़ाने या त्वचा संबंधी या अन्य किसी छोटे या बड़े प्रयोग के लिए

लेकिन ये वाकई आपको हैरान कर देगा कि आप सिर्फ पांच हफ्ते में कैंसर जैसी गंभीर बीमारी को जड़ से खत्म कर सकते हैं।आगे बढ़ने से रोक सकते हैं। इसे हम प्रकृति की एक शक्ति माने या आयुर्वेदिक की महत्ता।सीकर जिले में कार्यरत बलवीर सिंह शेखावत  जो एक सरकारी फार्मासिस्ट भी हैं, उन्होंने पपीते के पत्तों पर गहनता से अध्ययन किया है। अन्य वैज्ञानिक खोजों से बहुत सारा ज्ञान प्राप्त हुआ जो 

पपीते के हर भाग जैसे- फल, तना, बीज, पत्तियां, जड़ सभी में कैंसर कोशिकाओं को मारने और उसके विकास को रोकने के लिए शक्तिशाली औषधि होती है।


 विशेष रूप से -

 पपीते की पत्तियों में कैंसर कोशिकाओं को मारने और उनकी वृद्धि को रोकने के गुण प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।

यूनिवर्सिटी ऑफ फ्लोरिडा (2010) और अमेरिका तथा जापान के अंतरराष्ट्रीय डॉक्टरों और शोधकर्ताओं द्वारा किए गए शोध से यह पता चला है कि पपीते की पत्तियों में कैंसर कोशिकाओं को मारने का गुण पाया जाता है। श्री डांग,(एमडी) पीएचडी जो एक आविष्कारक हैं,उनके अनुसार पपीते की पत्तियां सीधे कैंसर का इलाज कर सकती हैं

उनके अनुसार -पपीते की पत्तियां करीब 10 तरह के कैंसर को खत्म कर सकती हैं।इनमें से प्रमुख हैं-

 1-स्तन कैंसर


 2-फेफड़े का कैंसर


 3-यकृत कैंसर


 4-अग्न्याशय का कैंसर


 5-गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर


 इसमें जितनी ज्यादा पपीते की पत्तियां डाली जाएंगी परिणाम उतना ही बेहतर होगा।

पपीते की पत्तियां कैंसर का इलाज कर सकती हैं

 और,

 कैंसर को बढ़ने से रोकता है।पपीते की पत्तियां कैंसर का इलाज कैसे करती हैं।


 1-पपीता कैंसर रोधी अणुओं टी एच 1 साइटोकिन्स के उत्पादन को बढ़ाता है।जो इम्यून सिस्टम को मजबूती प्रदान करता है,जिससे कैंसर कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं।

2 -पपीते के पत्ते में पपेन नमक है जिसमें प्रोटियोलिटिक एंजाइम पाए जाते हैं, जो कैंसर कोशिकाओं पर प्रोटीन कोटिंग को तोड़ देता है,

 इससे कैंसर कोशिकाओं का शरीर में जीवित रहना मुश्किल हो जाता है।

इस प्रकार,पपीते के पत्ते की चाय रोगी के रक्त में मिलकर मैक्रोफेज को उत्तेजित करता है।

 प्रतिरक्षा प्रणाली को उत्तेजित करके कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करना शुरू कर देता है।

कीमोथेरेपी/रेडियोथेरेपी और पपीते के पत्तों से उपचार के बीच मुख्य अंतर यह है -

कीमोथेरेपी में प्रतिरक्षा प्रणाली दबी हुई रहती है।

जबकि पपीता बाहर निकालता है।और 

प्रतिरक्षा प्रणाली को उत्तेजित करता है।

जबकि कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी में सामान्य कोशिकाएं भी प्रभावित होती हैं।और पपीता केवल कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करता है।

सबसे बड़ी बात यह है कि 

 कैंसर के इलाज में पपीते की पत्तियों का भी कोई भी साइड इफेक्टनहीं होता है।

कैंसर में पपीते के सेवन के नियम-

1-कैंसर के लिए सर्वोत्तम पपीते की चाय दिन में 3 से 4 बार पीएं पपीते की चाय।यह रोगी के लिए बहुत फायदेमंद है


पपीते की चाय कैसे बनाएं-

 1-सबसे पहले 5 से 7 पपीते के पत्तों को धूप में अच्छी तरह सुखा लें।

और इन्हे छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ लें। 500 मि.ली.  पानी में कुछ सूखे पपीते के पत्ते डालें और अच्छी तरह उबालें।


 इतना उबालें कि -

 यह आधा रह जाये,आप चाहें तो इसे 125 एम एल दे सकते हैं, दिन में 2 बार  पियें। और अगर ज्यादा बनता है तो इसे दिन में 3 से 4 बार पियें।बचे हुए तरल को फ्रिज में रखें और आवश्यकतानुसार उपयोग करें।


 इसका रखें ध्यान कि

 इसे दोबारा गर्म न करें,


 2-7 ताजी पपीते की पत्तियां लें इसे हाथ से अच्छी तरह गूंथ लें,

 अब इसे 1 लीटर पानी में उबालें,जब यह 250 मि.ली. रह जाये या यदि यह बढ़ जाए तो इसे छानकर 125 मि.ली.  इसे 2 टाइम यानि सुबह और शाम पियें। इस प्रयोग को दिन में 3 से 4 बार कर सकते हैं।आप जितना अधिक पपीते के पत्तों का उपयोग करेंगे उतनी ही जल्दी आपको लाभ मिलेगा


सावधानी-

 इस चाय को पीने के आधे घंटे तक आपको कुछ भी खाना-पीना नहीं चाहिए।


 यह प्रयोग आपको 5 सप्ताह में अपना परिणाम दिखा देगा हालाँकि

 हम आपको इसे 3 महीने तक इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं। काफी लोगों ने यह प्रयोग किया है।अब अन्य लोगों का भी भला किया  जा रहा है।

 जिनका कैंसर 'तीसरे' या 'चौथे' चरण का था।उनको भी काफी लाभ मिला है।

जन हित में इस जानकारी को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाएं।

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