क्या है?अन्तर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस 2024 की थीम? What is the theme of International day of older persons 2024?




 अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस वृद्ध व्यक्तियों के योगदान को मान्यता देने तथा उनके जीवन को प्रभावित करने वाले मुद्दों की जांच करने के लिए प्रतिवर्ष 1अक्टूबर को मनाया जाता है। यह दिवस हमारे वरिष्ठ नागरिकों के  समाज में दिये योगदान,ज्ञान, सम्मान और आवश्यकताओं को स्वीकार करने तथा उनके कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए पूरे समाज के प्रयासों से बृद्धजनो को समर्पित करने का यह दिवस अवसर प्रदान करता है। वैश्विक जनसांख्यकीय के अनुसार वैश्विक जनसंख्या का लगभग 

1-24.7% 15 वर्ष से कम आयु का है 

2- 65.2 प्रतिशत 15 से 64 वर्ष की आयु का है।

3- 10.01% 65 वर्ष या उससे अधिक आयु का है। 

एक रिपोर्ट के मुताबिक 1 जुलाई 2022 तक भारत में बुजुर्गों की आबादी 14.9 करोड़ थी जो कुल आबादी का 10.5% है, लेकिन 2050 तक भारत में बुजुर्गों की संख्या 34.7 करोड़ होने का अनुमान है। भारत सरकार ने वर्ष 1999 में वृद्धि नागरिकों से संबंधित राष्ट्रीय नीति की घोषणा की थी। 

अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस की घोषणा-

14 दिसंबर 1990 को, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस ( संकल्प 45/106 ) के रूप में नामित किया। इससे पहले वियना इंटरनेशनल प्लान ऑफ एक्शन ऑन एजिंग जैसी पहल की गई थी , जिसे 1982 में वर्ल्ड असेंबली ऑन एजिंग द्वारा अपनाया गया था और उसी वर्ष बाद में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा इसका समर्थन किया गया था। 1991 में, महासभा ने वृद्ध व्यक्तियों के लिए संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांतों ( संकल्प 46/91 ) को अपनाया। 2002 में, वृद्धावस्था पर द्वितीय विश्व सभा ने 21वीं सदी में जनसंख्या वृद्धावस्था के अवसरों और चुनौतियों का जवाब देने और सभी आयु वर्गों के लिए समाज के विकास को बढ़ावा देने के लिए मैड्रिड अंतर्राष्ट्रीय वृद्धावस्था कार्य योजना को अपनाया। 

हर वर्ष विश्व अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस की थीम रखी जाती है।इस वर्ष 2024 की अन्तर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस की थीम है सम्मान के साथ वृद्धावस्था। 


वृद्धजन (जिन्हें 65 वर्ष या उससे अधिक आयु के लोग माना जाता है) की संख्या 1980 में लगभग 260 मिलियन से बढ़कर 2021 में 761 मिलियन हो गई है। 2021 और 2050 के बीच, वृद्ध आबादी का वैश्विक हिस्सा 10% से बढ़कर लगभग 17% होने का अनुमान है।

वृद्धावस्था तक पहुंचने वाले लोगों की संख्या में तेजी से वृद्धि, जीवन भर स्वास्थ्य को बढ़ावा देने, बीमारियों की रोकथाम और उपचार के महत्व को रेखांकित करती है।

वृद्ध आबादी वाले समाजों में, वृद्ध व्यक्तियों की बढ़ती संख्या के साथ तालमेल बिठाना अनिवार्य हो जाता है, जिनके पास विभिन्न प्रकार की कार्यात्मक क्षमताएँ होती हैं। आवश्यक कार्य करने और रोजमर्रा की गतिविधियों में भाग लेने की क्षमता न केवल व्यक्ति की अंतर्निहित क्षमता से प्रभावित होती है, बल्कि उस सामाजिक और भौतिक वातावरण से भी प्रभावित होती है जिसमें वे रहते हैं। सहायक वातावरण वृद्ध व्यक्तियों को उनकी उम्र बढ़ने के साथ-साथ उनकी गतिविधि के स्तर और स्वतंत्रता को बनाए रखने में सहायता करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

क्या आप जानते हैं?

दुनिया भर में 65 वर्ष या उससे अधिक आयु के लोगों की संख्या दोगुने से भी अधिक होने का अनुमान है, जो 2021 में 761 मिलियन से बढ़कर 2050 में 1.6 बिलियन हो जाएगी। 80 वर्ष या उससे अधिक आयु के लोगों की संख्या और भी तेजी से बढ़ रही है।

आज, दुनिया के आधे देशों या क्षेत्रों में जन्म के समय जीवन प्रत्याशा 75 वर्ष से अधिक है, जो 1950 में पैदा हुए लोगों की तुलना में 25 वर्ष अधिक है। 65 वर्ष की आयु तक पहुंचने वाले व्यक्तियों के अब औसतन 16.8 वर्ष अतिरिक्त जीने की उम्मीद है।

2018 में, एक ऐतिहासिक मील का पत्थर तब हासिल हुआ जब दुनिया भर में पहली बार बुज़ुर्गों की संख्या पाँच साल से कम उम्र के बच्चों से ज़्यादा हो गई। अनुमान है कि 2030 तक बुज़ुर्गों की वैश्विक आबादी युवाओं की संख्या से ज्यादा हो जाएगी, और पाँच साल से कम उम्र के बच्चों की संख्या दोगुनी हो जाएगी।

जैसे-जैसे आबादी बढ़ती है, स्वास्थ्य सेवा और सामाजिक सहायता की मांग बढ़ती जाती है, खासकर उन लोगों के लिए जो डिमेंशिया जैसी बीमारियों से पीड़ित हैं, जो वृद्ध वयस्कों में निर्भरता और विकलांगता का एक प्रमुख कारण है। इन बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए अब विशेष देखभाल आवश्यक है।महिलाएं, जो देखभाल प्राप्त करने वालों और देखभाल करने वालों में सबसे ज्यादा हैं, वैश्विक अनौपचारिक देखभाल घंटों में लगभग 70% का योगदान देती हैं। यह विशेष रूप से कम और मध्यम आय वाले देशों में सत्य है, जहाँ देखभाल सेवाएँ सीमित हैं, जिससे महिलाएं बुढ़ापे में गरीबी के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाती हैं।

उम्र बढ़ना और स्वास्थ्य-

लंबी उम्र अपने साथ अवसर लेकर आती है, न केवल वृद्ध लोगों और उनके परिवारों के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए भी। अतिरिक्त वर्ष नई गतिविधियों जैसे आगे की शिक्षा, नया करियर या लंबे समय से उपेक्षित शौक को आगे बढ़ाने का मौका प्रदान करते हैं। वृद्ध लोग अपने परिवार और समुदाय में कई तरह से योगदान भी देते हैं। वे अपने परिवार के भरण पोषण के लिए अपना जीवन समर्पण करके एक बड़े अनुभव को अपने साथ रखते हैं। अतः बृद्धजनों का अनुभव युवा समाज के लिए मार्गदर्शक की  भूमिका का कार्य करता है। प्रत्येक समाज में बृद्धजनों के प्रति आदर, सम्मान ,और सेवा का भाव अनिवार्य होना चाहिए। तभी अंतरराष्ट्रीय बुद्धजन दिवस की सार्थकता सिद्ध हो सकती है।

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