क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय हथकरघा दिवस? National Handloom Day2024
राष्ट्रीय हथकरघा दिवस भारत मे हर वर्ष 7अगस्त को मनाया जाता है। हथकरघा यानि हाथ से चलाना,बनाना, राष्ट्रीय हथकरघा दिवस की शुरुआत 7अगस्त 2015 से हुई। इस तिथि का चयन बंगाल विभाजन के विरोध में हुए स्वदेशी आन्दोलन की याद में किया गया।जो 7अगस्त 1905 को प्रारंभ हुआ था।इस आंदोलन ने भारतीयों को स्वदेशी वस्त्र और उत्पाद अपनाने के लिए प्रेरित किया था।और ब्रिटिश वस्त्रों का बहिष्कार किया। राष्ट्रीय हथकरघा दिवस में आत्म निर्भर भारत का संकल्प लेकर हथकरघा उद्योग को मजबूत करना।और लोकल फोर भोकल से है।भारत मे कृषि के बाद हथकरघा ही दूसरा रोजगार प्रदाता बडा़ क्षेत्र है। इसमें 35.22लाख कर्मचारी रजिस्टर्ड हैं।यह भारत मे लाखों लोगों को रोजगार उपलब्ध कराता है। भारत मे 2.38 लाख हथकरघे उद्योग हैं।इसमें 70 प्रतिशत के लगभग महिलायें हैं।इसमें 2015 के बाद 184 उत्पाद श्रेणियों हेतु 1590 रजिस्ट्रेशन हुए। इस क्षेत्र मे भारत प्रतिवर्ष लगभग 2000 करोड़ रुपये का निर्यात करता है।हथकरघा दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य लघु और मध्यम उद्योगों को बढावा देना है।बुनकर समाज का सम्मान और भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास मे उनके योगदान को सराहना भी इस दिवस का उद्देश्य है।आज भारत मे हथकरघा से बनी वस्तुएं देश और विदेशों के कोने कोने में जा रही हैं।और इससे भारत को अलग पहचान भी मिल रही हैं।अपने देश के अंदर बुनकर समाज को भी आगे बढ़ने का मौका मिल रहा है। सन 1905 लॉर्ड कर्जन ने बंगाल विभाजन की घोषणा की थी। इसका प्रतिकार करने के लिए कोलकाता के टाउन हॉल में एक जनसभा से स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत की गयी थी। इसी घटना की याद में हर साल 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया जाता है भारत में हथकरघा उद्योग में बड़ी संख्या में लोग रोजगार में लगे हुए हैं।हथकरघा उद्योग में भारत में महिलाओं का बहुत बड़ा योगदान है आज भी लाखों महिलाएं हथकरघा उद्योग से जुड़ी हुई हैं। जिनको आत्मनिर्भर बनने का भी अवसर प्राप्त होता है। हमारे देश में ऐसे राज्य हैं जिनमें खासतौर से हथकरघा उद्योग बड़े पैमाने पर होता है। जैसे आंध्र प्रदेश की कलमकारी, तमिलनाडु का कांजीवरम महाराष्ट्र की पैठनी, मध्यप्रदेश की चंदेरी, बिहार का भागलपुरी सिल्क,गुजरात की बांधनी, उत्तर प्रदेश के कालीन,जो भारत मे ही नहीं दुनिया भर में भी मशहूर है। हथकरघा क्षेत्र अब भारत मे लगातार बृद्धि कर रहा है।और विदेशों को कई वस्तुओं को बडे़ पैमाने पर निर्यात भी कर रहा है। यह दिवस हथकरघा उद्योग के विकास और संरक्षण के लिए एक सतत प्रयास है।
इस दिन के माध्यम से सरकार और समाज मिलकर हथकरघा कारीगरों को प्रोत्साहित करते हैं।और उनके उत्पादों को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाने का प्रयास है।राष्ट्रीय हथकरघा दिवस भारतीय संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण उत्सव है जो हथकरघा उद्योग और उसके कारीगरों के प्रति सम्मान प्रकट करता है।राष्ट्रीय हथकरघा दिवस हमें यह याद दिलाता है कि हमारे पारंपरिक उद्योग और कारीगर हमारी सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न हिस्सा हैं। जिन्हें संरक्षित और प्रोत्साहित करना हमारे जिम्मेदारी है। राष्ट्रीय हथकरघा दिवस 2024 की थीम (सस्टेनेबल हैंडलूम)हरित और समृद्ध भविष्य की ओर है।इस थीम का उद्देश्य स्थायी और पर्यावरण को संरक्षित करना है।