क्या है अखंड भारत दिवस की संकल्पना?Akhand Bharat sankalp Diwas

 


अखंड भारत एक ऐसा शब्द है जिसका इस्तेमाल भारत में कई राष्ट्रवादी समूहों, द्वारा एकीकृत भारतीय उपमहाद्वीप की  अवधारणा को ब्यक्त करने के लिए किया जाता है।  इस क्षेत्र से ऐतिहासिक संबंध रखने वाले कई पड़ोसी देशों के वर्तमान क्षेत्र शामिल हैं।इस शब्द का अनुवाद अविभाजित भारत या ग्रेटर इंडिया होता है। अखंड भारत के समर्थकों का मानना है कि इन क्षेत्रों को एक ही राजनीतिक और सांस्कृतिक इकाई के तहत फिर से एकीकृत किया जाना चाहिए।अखंड भारत में कई देश जुड़े थे। अफगानिस्तान, बांग्लादेश,भूटान,भारत, मालदीव, म्यांमार , नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका,ईरान, मलेशिया , थाईलैण्ड, कंबोडिया, इंडोनेशिया,तिब्बत और कहा जाता है कि कुछ भाग चीन का भी था। इतिहासकारों के अनुसार अखंड भारत के पहले शासक के रूप में गुप्त वंश के राजा समुद्र गुप्त को माना जाता है।(गुप्त वंश का शासन काल240/275ई.550ई.) इन्होंने छोटे-छोटे राज्यों पर कब्जा करने के बाद अखंड भारत का निर्माण किया,इनका शासनकाल 550 ई.तक माना गया है।मौर्य वंश के चक्रवर्ती सम्राट अशोक ने भी अखंड भारत पर राज्य किया था। तथा उनका मौर्य साम्राज्य उत्तर में हिंदू कुश की श्रेणियां से लेकर दक्षिण में गोदावरी नदी के दक्षिण तथा मैसूर तक पूर्व में बांग्लादेश से पश्चिम में अफगानिस्तान, ईरान तक पहुंच गया था।

 इसके बाद विदेशी आक्रांताओं ने भारत पर हमला करना शुरू कर दिया जिसके बाद इसका पतन शुरू हो गया  था। अखंड भारत के विघटन के बावजूद भारत आज भी दुनिया में क्षेत्रफल की दृष्टि से सातवां सबसे बड़ा देश है। अखंड भारत को समझने के लिए वीर सावरकर द्वारा लिखित पुस्तक भारतीय इतिहास के 6 गौरवशाली युगों को पढ़ सकते हैं। ताकि भारतीय इतिहास को सही परिपेक्ष में समझ सके। अखंड भारत का मूल रूप है। जिसकी सभ्यता 5000 साल पहले सिंधु घाटी की सभ्यता से शुरू हुई थी। यह दुनिया की सबसे लंबी जीवित सभ्यता है। यह सभ्यता बाद में भारत की सात प्रमुख नदियों तक फैल गई जिन्हें सप्त सिंधु कहा जाता है इसलिए सिंधु से हिमालय और समुद्र तक की भूमि अखंड भारत या अखंड हिंदुस्तान है। जैसे की सावरकर ने कहा था कि भारत 5000 साल पुरानी सभ्यता है, जो हिंदू जीवन शैली का पालन करती है। और इसकी जीवन शैली मध्य पूर्व और पश्चिमी दुनिया से अलग है यहां तक कि सिक्ख धर्म , बौद्ध धर्म,जैन धर्म, आज जैसे धर्म को भारतीय धरती पर विकसित हुए हैं हिंदू धर्म से बहुत मिलते- जुलते हैं। और उनके अनुयायियों की जीवन शैली लगभग पूर्व की तरह ही है। इसलिए कोई कितनी कोशिश कर ले।भारत से भारतीय जीवन शैली अर्थात हिन्दू जीवन शैली को नहीं मिटा सकते। यहां तक कि कि जो हिन्दू इस्लाम में परिवर्तित हो गये वे जीवन शैली से भारतीय ही दिखते हैं।वे अरबों की तरह नहीं दिखते हैं। 

भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण पहलू यह भी है कि कई बार गैर इस्लामिक और साथ ही इस्लामिक आक्रमणकारियों ने भी आक्रमण किया लेकिन हर बार कोई न कोई भारत का  भूमिपुत्र नेतृत्व करने वाला सामने आया।जिसने आक्रमणकारियों को सबक सिखाया। भारत में रहने वाले गैर मुस्लिम आक्रमणकारियों ने धीरे-धीरे हिंदू जीवन शैली को ही अपना लिया लेकिन मुस्लिम आक्रमणकारी आत्मसात नहीं कर सके। हालांकि हर मामले में यह आक्रमणकारियों पर भारतीयों की जीत थी। यहां हम उन प्रमुख भारतीय लोगों के बारे में जानते हैं जिन्होंने युगों से भारतीय संस्कृति की पहचान को संरक्षित रखा है।

 चंद्रगुप्त मौर्य -सिकंदर के माध्यम से यूनानियों के आक्रमण के बाद उन्होंने उन्हें सिंधु नदी के पार तक खदेड़ दिया। 

शंकराचार्य -अशोक के बाद के काल में अहिंसा की अधिकता के कारण हूणों ने भारत पर आक्रमण किया। शंकराचार्य ने राजाओं को हूणों के आक्रमण से बचाने के लिए अधिक आक्रामक हिंदू धर्म अपनाने के लिए प्रेरित किया।

 राजेंद्र चोल- भारतीय क्षेत्रों को आधुनिक सिंगापुर जावा और सुमात्रा तक ले गये।

 नसीरुद्दीन खुसरो खान जब वह बच्चा था तो अलाउद्दीन खिलजी ने उसे जबरन अगवा कर लिया था और उसे इस्लाम में परिवर्तित कर दिया था उसने बड़ा होकर अलाउद्दीन के बेटे मुबारक खिलजी को मारकर बदला लिया और उन सभी लोगों को फिर से भारतीयों में परिवर्तित कर दिया जिन्हें जबरन इस्लाम में परिवर्तन परिवर्तित किया गया था।

 महाराणा प्रताप- उन्होंने अकबर के मेवाड़ पर शासन करने के सपने को तोड़ दिया। और छत्रपति शिवाजी महाराज सहित कई हिंदू महान लोगों को भी प्रेरित किया 

विजयनगर साम्राज्य के राजा- हरि हरराय और बुक्का राय,कृष्णदेव राय और रामराय की वीरता के कारण दक्षिण भारत को 300 वर्षों तक सल्तनत राज्य बनने से रोका।

 लचित बोड़फुक्कन- असम में सरायघाट की लड़ाई में मुगलों को बुरी तरह हराया। 

छत्रपति शिवाजी महाराज हिंदवी स्वराज्य की स्थापना और कल्पना की। अपने शासनकाल में 230 किलो को मुगलों और दक्कन सल्तनतों से मुक्त कराया। उनके पुत्र संभाजी महाराज भी बहादुरी से आगे बढे

 बाजीराव पेशवा -दिल्ली के विजेता, मुगल साम्राज्य को कठपुतली राज्य बनाया उत्तर भारत में हिंदू पातशाही की स्थापना की क्योंकि उनके बेटे रघुनाथ राव और नाना साहब ने छत्रपति शिवाजी महाराज के हिंदवी स्वराज्य का  क्रमशः  लाहौर और बंगाल तक विस्तार किया।

 सिख गुरु नानक देव जी ने उस युग में हिंदू भावना को पुनर्जीवित किया जब इस्लामी शासन मजबूत हो रहा था और हिंदू धर्म के सिख संप्रदाय का गठन किया गुरु हरगोविंद ने शाहजहां से युद्ध किया,  गुरु तेग बहादुर और गुरु गोविंद सिंह ने औरंगजेब से और बाबा बंदा बहादुर ने फरुखसियर से युद्ध किया, जो वीरता और बलिदान की सबसे बड़ी कहानियों में से एक है। बाद के चरणों में महाराजा रणजीत सिंह ने खैबर दर्रे पर विजय प्राप्त की और इस्लामी सेनाओं को खैबर मार्ग से भारत में प्रवेश करने से रोका। और धर्म को आगे बढ़ाने के लिए अद्भुत गुरुद्वारों का निर्माण किया।

 पेशवा सदाशिवराव भाऊ- पानीपत में शहीद हुए लेकिन उन्होंने उत्तर भारत को इस्लामी राज्य बनने से रोका।

 पेशवा माधव राघव बड़े- उनके नेतृत्व और माजी शिंदे की कमान में दिल्ली फिर से हिंदू बादशाही बन गई उन्होंने हैदर अली और निजाम को भी हराकर उन्हें सीमित कर दिया।

 स्वामी विवेकानंद- उत्कृष्ट व्यक्तित्व और वक्त ने हिंदू पहचान को विश्व पटल पर पहुंचाया।

 स्वामी दयानंद सरस्वती- उन्होंने पूरे भारत में हिंदू धर्म का व्यापक प्रचार किया और  हिंदू धर्म में वापसी धर्मांतरित किए गए हिंदुओं की मदद की।

 वीर सावरकर- सावरकर बताते  हैं कि हम एक महान 5000 साल पुरानी सभ्यता के हैं। भारत के मूल हिंदू पहचान की है। डॉक्टर अंबेडकर ने हिंदू कोड बिल के लिए अधिक प्रयास किया जिससे हिंदू धर्म के सभी संप्रदाय एक छत के नीचे आकर जातिवाद के उन्मूलन के लिए काम करने का प्रयास किया।।  उन्होंने बुद्धिमानी से स्वयं ही एक अन्य बौद्ध धर्म को अपना लिया और दलितों को इस्लाम और ईसाई धर्म जैसे विदेशी धर्मों के शिकार होने से बचने की प्रेरणा दी। इतिहास के अनुसार 7-8  अक्टूबर 1944 को दिल्ली में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन की अवधि के दौरान प्रसिद्ध भारतीय राष्ट्रवादी तथा कुमुद मुखर्जी ने अखंड हिंदुस्तान नेताओं के सम्मेलन की अध्यक्षता की जो इस तरह का पहला सम्मेलन था भारतीय कार्यकर्ता और हिंदू महासभा के नेता विनायक दामोदर सावरकर ने 1937 में अहमदाबाद में हिंदू महासभा के 19वें  वार्षिक सत्र में एक अखंड भारत की अवधारणा को प्रतिपादित किया जिसे कश्मीर से रामेश्वरम तक सिंध से असम तक एक और अविभाज्य रहना चाहिए अखंड भारत या अखंड हिंदुस्तान के निर्माण का आह्वान कई मौका पर हिंदू राष्ट्रवादी संगठनों जैसे हिंदू महासभा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद, शिवसेना महाराष्ट्र नव निर्माण सेना, हिंदू सेना हिंदू जनजागृति समिति भारतीय जनता पार्टी आदि द्वारा उठाया गया है। इस लक्ष्य को साझा करने वाला एक संगठन अखंड हिंदुस्तान मोर्चा अपने नाम में इस शब्द को रखता है। इतिहास के अनुसार अफगानिस्तान बांग्लादेश भूटान भारत मालदीव म्यांमार नेपाल पाकिस्तान श्रीलंका और तिब्बत आदि भारत का हिस्सा थे। येभारत से कब अलग हुए।

अफगानिस्तान -1834

नेपाल-1872

भूटान-1906

तिब्बत-1914

श्रीलंका-1935

म्यामार(ब्रह्मदेश)-1937

पाकिस्तान -1947

पाक अधिकृत कश्मीर-1948

चीन अधिकृत भारत-1962

बांग्लादेश -1947/1971

बिरूबाडी़ व तीन वीघा-1992

इन्हें एक राष्ट्र कहा जाता था। 1947 से पहले के भारत के नक्शे जिसमें आधुनिक पाकिस्तान और बांग्लादेश राज्यों को ब्रिटिश भारत का हिस्सा दिखाया गया था, एक प्रोटो- अखंड भारत की सीमाओं को दर्शाते हैं। अखंड भारत का निर्माण वैचारिक रूप से हिंदुत्व की अवधारणा और एकता और शुद्धि के विचारों से जुड़ा हुआ है।

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