कारगिल विजय दिवस,और क्या था ये दिल माँगे मोर? Kargil Vijay diwas,YeDil mange more

 


भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में हुए कारगिल युद्ध की यह 25वीं वर्षगाँठ है। कारगिल युद्ध से पहले भारत और पाकिस्तान ने 1998 में दोनों देशों द्वारा परमाणु परीक्षण किए जाने के कारण उग्र माहौल बन गया था। और इस स्थिति को शांत करने के प्रयास में दोनों देशों ने फरवरी 1999 में लाहौर घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किये। जिसमें कश्मीर संघर्ष का शांतिपूर्ण और द्विपक्षीय समाधान प्रदान करने का वादा किया गया था।लेकिन पाकिस्तान 1998 की सर्दियों के दौरान ही सशस्त्र बलों को गुप्त रूप से पाकिस्तानी सैनिकों और अर्धसैनिक बलों को प्रशिक्षण दे रहे थे। और उन को प्रशिक्षण देकर (एलओसी) नियंत्रण रेखा पार करके भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ करा रहे थे।जिनमे आतंकवादी भी थे।


पाकिस्तान के लगभग 5000 सैनिकों और आतंकवादियों ने कारगिल की ऊंची पहाड़ियों पर कब्जा जमा लिया था। एक भारतीय चरवाहे ने भारतीय सेना को इस घुसपैठ की सूचना दी। भारतीय सेना द्वारा चरवाहे से मिली जानकारी की जांच के लिए पेट्रोलिंग टीम भेजी गई।तो पांच भारतीय जवानों को पाकिस्तानी फौजियों ने पकड़ लिया और उनकी हत्या कर दी ।


पाकिस्तान की इस  हिमाकत के बाद युद्ध होना लाजमी था।पाक समर्थित आतंकियों और पाकिस्तानी सैनिकों ने लाइन ऑफ कंट्रोल को पार कर उन भारतीय चौकियों पर कब्जा करना शुरू कर दिया। जिन्हे भारतीय सेना सर्दियों के मौसम में खाली कर दिया करती थी। पाकिस्तान ने भारत से किए गए समझौते को तोड़ दिया और तभी हिंदुस्तान की तत्कालीन सरकार ने पाकिस्तान को सबक सिखाने का फैसला लिया। घुसपैठियों को खदेड़ने के लिए 8 मई 1999 को भारतीय सेना ने विजय अभियान शुरू किया भारतीय सीमा में घुस आए पाकिस्तानी फौज को खदेड़ना इस अभियान की पहली जिम्मेदारी थी।जिसके लिए सैनिकों ने तुरंत मोर्चा संभाल लिया।लेकिन भारतीय सेना के सामने एक मुश्किल थी।


 दुश्मनों की सेना पहाड़ों पर बैठी हुई थी। जहां से लगातार गोलियां चल रही थी। वहीं भारतीय सैनिक नीचे की तरफ थे। उनका मुकाबला करने के लिए जवानों को चट्टानों की आड़ लेकर रात में चढ़ाई करनी पड़ती थी। उस वक्त भारतीय सेना को काफी शानदार युद्ध नीति से दुश्मन का सामना करना पड़ा।पाकिस्तानी  सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ ने कारगिल की पहाड़ियों पर घुसपैठ कराने के बाद सियाचिन की सप्लाई कट कर दी जाएगी की योजना बनायी थी।लेकिन वे ऐसा न कर सके भारत की सेना को सियाचिन से बाहर निकलने पर मजबूर करने की योजना पर परवेज मुशर्रफ की चाल नाकाम हो गयी। और भारत से जोड़ने वाली सड़क पर नियंत्रण करना घुसपैठियों का असल मकसद था। 


लेकिन भारतीय जवानों ने पाकिस्तान के मंसूबों पर पानी फेर दिया। घुसपैठियों को खदेड़ने के लिए करीब 60 दिनों तक भारतीय सेना ने कारगिल में युद्ध लड़ा। 8 मई से शुरू हुए कारगिल  युद्ध का अंत 26 जुलाई को हुआ था। भारतीय सेना ने इस  युद्ध के दौरान पाकिस्तान का मनोबल पूरी तरह तोड़ कर रखा दिया था। भारतीय सेना के जवानों ने 2 जुलाई के दिन कारगिल को चारों तरफ से घेर लिया था। दोनों ओर से गोलीबारी और बमबारी हो रही थी। भारतीय सेना ने धीरे-धीरे सभी पोस्टों पर अपना कब्जा जमा लिया था।और आखिरकार भारत की सेना ने  अपने दुश्मनों को उनकी औकात याद दिला दी। और पाकिस्तान की सेना युद्ध का मैदान छोड़कर भाग खडी़ हो गयी।इस  युद्ध के दौरान भारतीय सशस्त्र बलों के लगभग 527 सैनिकों का बलिदान हुआ था।यह दिन उन 527 भारतीय सेना के जवानों की बहादुरी और शहादत  को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है।जिन्होंने अपने जीवन का बलिदान देश के लिए दे दिया था। 


पाकिस्तान के इस युद्ध मे अनाधिकृत आंकड़ों के अनुसार और कई सूत्रों के हवालों से यह ज्ञात हुआ कि पाकिस्तान के 3000 से ज्यादा सैनिक और इतने ही  आतंकवादी मारे गए थे। भारत ने इस युद्ध का नाम ऑपरेशन विजय दिया था। जबकि पाकिस्तान में युद्ध का नाम ऑपरेशन पर्वतारोहण दिया था।और कारगिल युद्ध में पाकिस्तान की बुरी तरह हार के कारण वहां पर तख्तापलट हो गया परवेज मुशर्रफ ने अपने देश की कमान अपने हाथों में ले ली कारगिल युद्ध को पाकिस्तान के चार जनरलों ने मिलकर अंजाम दिया था। इस युद्ध मे कैप्टन विक्रम बत्रा ने नारा दिया ये दिल मांगे मोर अर्थात जब कारगिल मे उनकी पल्टन पहाडी़ पर युद्ध मे पाकिस्तानी आतंकवादियों को मार रहे थे। और स्वयं अपने योद्धाओं की शहादत भी देख रहे थे। तब भी वे अपने पल्टन का हौसला बढा रहे थे। कि ये दिल मांगे मोर अर्थात हम पाकिस्तानी आतंकवादियों और सैनिकों को अभी ओर मारेंगे। भारत के वैसे तो सभी सैनिक इस यूद्ध के हीरो थे। फिर भी प्रमुख रोल करने  वाले कारगिल हीरो 



कैप्टन विक्रम बत्रा (परमवीरचक्र)




लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडे (परमवीरचक्र)




सूबेदार जोगिंदर सिंह यादव (परमवीरचक्र)




सुल्तान सिंह नरवरिया (वीरचक्र)




लास नायक दिनेश सिंह भदोरिया (वीरचक्र)




मेजर एम सरावनन(महावीरचक्र)




 मेजर राजेश सिंह (महावीरचक्र)




लास नायक करण सिंह (वीरचक्र)




राइफलमैन संजय कुमार(वीरचक्र)

भारतीय सशस्त्र बलों के अदम्य शौर्य अद्वित्तीय एवं साहस के प्रतीक कारगिल विजय दिवस की समस्त देश वासियों  को हार्दिक बधाई मां भारती के सम्मान और सम्प्रूभता को अक्षुण बनाए रखने हेतु अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले अमर जवानों को नमन! भारतीय सेना की कर्तव्यनिष्ठा व त्याग की भावना पर हमें गर्व है।

Popular posts from this blog

वक्फ बोर्ड क्या है? वक्फ बोर्ड में संशोधन क्यों जरूरी?2024 Waqf Board

सात युद्ध लड़ने वाली बीरबाला तीलू रौतेली का जन्म कब हुआ?Veerbala Teelu Rauteli

संघ(RSS) के कार्यक्रमों में अब सरकारी कर्मचारी क्यों शामिल हो सकेंगे? Now goverment employees are also included in the programs of RSS