भारत कैसे बनने वाला है ?सौर ऊर्जा का विश्व सिरमौर Indias,Solar Power


सौर ऊर्जा उत्पादन मे भारत विश्व का सिरमौर बनने जा रहा है।2015 में भारत सौर ऊर्जा उत्पादन में विश्व भर में 15वें स्थान पर था। सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के कारण भारत ने विगत 8 वर्ष में 6 पायदान की छलांग लगाते हुए 2023 में जापान और जर्मनी को पीछे छोड़ते हुए विश्वभर मे तीसरा स्थान प्राप्त कर लिया है।भारत से आगे अब सिर्फ अमेरिका और चीन है, ऊर्जा क्षेत्र में काम करने वाले वैश्विक थिंकटैंक एम्बर की रिपोर्ट "ग्लोबल इलेक्ट्रिसिटी रिव्यू 2024"में इसकी पुष्टि हुई है,रिपोर्ट के अनुसार 2009 में भारत 6.57  टेरावॉट घंटे उत्पादन के साथ 9वे स्थान पर था। पिछले वर्ष 113.41 टेरावाट घंटे की दर से सौर ऊर्जा उत्पादन कर भारत ने जापान को पीछे छोड़ दिया है। 2015 के मुकाबले 2023 में सौर ऊर्जा उत्पादन की दर 17 प्रतिशत अधिक रही है।सौर ऊर्जा के साथ यदि पवन ऊर्जा में वृद्धि दर को भी जोड़ लें तो यह लगभग 30% बैठती है। 
भारत सौर ऊर्जा की ओर जिस तेजी से कदम बढ़ा रहा है उससे वह दिन दूर नहीं लगता जब भारत सौर बिजली उत्पादन में विश्व मे पहले स्थान पर होगा। मार्च 2024 तक भारत ने  81.81 गीगावाट (लगभग 81,813 मेगावाट) की कुल स्थापित सौर ऊर्जा क्षमता हासिल कर ली है। नवीन एवं नवीनीकरण ऊर्जा मंत्रालय की आंकडो़ के अनुसार देश में सौर ऊर्जा की अनुमानित क्षमता लगभग 750 गीगावॉट है। देश में जहां सौर,पवन, जल, हरित हाइड्रोजन, और परमाणु ऊर्जा जैसे अक्षय ऊर्जा संसाधनों का तेजी से विकास हो रहा है। वहीं यह पर्यावरण अनुकूल जीवन शैली को लेकर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में भी सहायक है।

देश में बड़े जल विद्युत नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों के साथ संयुक्त स्थापित क्षमता 183.49 गीगावॉट पिछले वर्ष भारत ने अपने ऊर्जा बास्केट में 13.5 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा क्षमता जोडी़ है, गैर -जीवाश्म संसाधनों से जुटाई जा रही ऊर्जा में अभी भी सौर ऊर्जा अग्रणी है। इसका अनुपात लगभग 80 गीगावॉट के स्तर पर पहुंच चुका है।वहीं पवन ऊर्जा उत्पादन पिछले साल 13% की दर से बढा है।असीमित ऊर्जा स्रोत से बनी इस स्वच्छ ऊर्जा की स्थापित क्षमता 30 जून 2023 तक 43.7 की गीगावाट थी। केंद्र सरकार 2030 तक इसे बढाकर 99 गीगावाट करने के लिए प्रयासरत है। वहीं परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की स्थापित क्षमता भी 7,480 मेगावाट के स्तर पर पहुंच चुकी है।इसके अलावा अक्षय ऊर्जा के महत्वपूर्ण स्रोत हरित हाइड्रोजन के महत्व को समझते हुए सरकार ने जनवरी में हरित हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी दी है। सरकार का लक्ष्य इस दशक के अंत तक 5 मिलियन मीट्रिक टन प्रतिवर्ष हरित हाइड्रोजन उत्पादन का है। सरकार ने हरित हाइड्रोजन नीति के पहले हिस्से में ठोस कदम उठाए हैं। अब हरित हाइड्रोजन तैयार करने वाली इकाइयां कच्चे माल के रूप में नवीकरणीय ऊर्जा कहीं से भी और किसी से भी ले सकती है।साथ ही ये कंपनियां सौर या पवन ऊर्जा संयंत्र भी लगा सकती हैं। हरित अमोनिया के निर्यात के लिए बंदरगाहों के पास बंकर बनाए जा रहे हैं।

 ऊर्जा आत्मनिर्भरता की इस यात्रा में देश जहां एक ओर इस दशक की अंत तक गैर-जीवाश्म स्रोत से 500 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल करेगा, वहीं दूसरी ओर कार्बन उत्सर्जन में एक बिलियन टन की कमी आएगी। यदि हम अर्थव्यवस्था में कार्बन तीव्रता को 2005 के स्तर से 45% कम करने में सफल हुए हैं। तो  वहीं 2017 तक शून्य कार्बन उत्सर्जक देश बनने का लक्ष्य आसानी से हासिल किया जा सकता है। 

देश को सौर ऊर्जा का सिरमौर बनाने में सौर ऊर्जा और अल्ट्रा मेगा और सौर ऊर्जा परियोजनाओं का विकास योजना मील का पत्थर साबित हुई है। वर्तमान सरकार ने अपने पहले कार्यकाल के शुरुआती वर्ष दिसंबर 2014 में इस योजना को लागू किया था। 20,000 मेगावाट क्षमता के साथ शुरू हुई इस योजना की क्षमता 2017 में बढाकर 40,000 मेगावाट कर दी गई। 30 नवंबर 2023 तक 12 राज्यों में लगभग 37,490 मेगावाट क्षमता वाले 50 सौर पार्कों की मंजूरी मिल चुकी है।इनमें कुल 10,401 मेगावाट क्षमता वाली सौर ऊर्जा परियोजनाएं लाभ चालू  हो चुकी है। मध्य प्रदेश के रीवा में 750 मेगावाट का अल्ट्रा मेगा सोलर पावर प्रोजेक्ट, उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में 75 मेगावाट, प्रयागराज में 50 मेगावाट, जालौन में 40 मेगावाट, छत्तीसगढ़ के भिलाई चरोदा में स्थापित 50 मेगावाट, के सौर संयंत्र जैसे अनेक सौर पार्क इस परियोजना की देन है। ईंधन के अक्षय स्रोतों से ऊर्जा आत्मनिर्भरता की इस उपलब्धि में केंद्र और राज्य सरकारों के एकीकृत प्रयास सबसे अहम है। पूरी तरह सौर ऊर्जा से जगमग गुजरात के मेहसाणा के मोढेरा गांव से लेकर अंतरर्राष्ट्रीय सौर ऊर्जा गठबंधन में देश की ऊर्जामयी  प्रतिबद्धता नजर आती है। सौर ऊर्जा से जुड़ी तकनीक और वित्तीय आदान-प्रदान को सुलभ बनाने के लिए भारत के नेतृत्व मैं अंतरर्राष्ट्रीय सौर ऊर्जा गठबंधन के रूप में वैश्विक पहल हुई है। आईएसए 2015 में अस्तित्व में आया था। इसने 2030 तक विश्व में सौर ऊर्जा की माध्यम से एक ट्रिलियन वाट (यानी 1,000 गीगावॉट )ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा है।आने वाले समय मे भारत अवश्य  विश्व का नम्बर एक सौर ऊर्जा उत्पादक देश बनेगा।

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