विश्वभर मे बढती गर्मी के क्या कारण?और उपाय Heat wave and Summers
दुनिया भर में इतनी जबरदस्त गर्मी क्यों पड़ रही है? क्या हैं इसका कारण?
हैरानी की बात ये है कि इस भीषण गर्मी (Extreme Heat) से सिर्फ एशियाई देश ही नहीं बल्कि पश्चिमी देश और दक्षिणी गोलार्ध में स्थित अंटार्कटिका मे भी गर्मी बहुत बढी है।हमेशा से बर्फ और ग्लेशियर्स से ढके रहने वाले अंटार्कटिका में पहली बार इतनी भीषण गर्मी पढ़ रही है कि इस ठंडे प्रदेश में रहने वाले जीव-जंतु तक सूरज की पराबैंगनी किरणों से झुलस रहे हैं।अप्रैल और मई मे गर्मी ने अपना रौद्र रूप भी दिखाना शुरू कर दिया है। पूरे भारत को इस समय प्रचंड गर्मी का सामना करना पड़ रहा है। भारत के कई शहरों का तापमान 47 डिग्री शैल्शियस तक बढ गया है।आखिर इतनी गर्मी कैसे और क्यों पड़ रही है? और
क्या बढ़ती गर्मी विनाश का संकेत है?
दुनिया भर में पड़ रही भीषण गर्मी को वैज्ञानिक विनाश का संकेत मान रहे हैं। मौसम की गतिविधियों के जानकार बताते हैं कि भौगोलिक तौर पर भारत के बहुत बड़े हिस्से को प्रभावित करने वाली हीट वेव (Heat Wava) यानी लू 100 साल में कभी एक बार चलती है। लेकिन इंसानी भारत के अलावा अब ये दुनिया के कई देशों को प्रभावित कर रही है यहां तक कि ठंडे देशों में भी भीषण गर्मी का अनुभव हो रहा है। जलवायु परिवर्तन से इस गर्मी के बढ़ने की संभावना 30 गुना तक बढ़ी है। तभी तो इस बार मार्च और अप्रैल में ही भीषण गर्मी दर्ज की गई है।
इस साल सूरज इतना क्यों तप रहा है?
आपको भी ऐसा लग रहा होगा कि सूरज पहले से ज्यादा तप रहा है। सुबह 7-8 बजे ही ऐसा लगता है कि दोपहर 12 बजे की कड़क और तीखी धूप हो रही है। हालांकि जैसा हम समझ रहे है वैसा नहीं है सूरज तब भी वैसा तपता था और अभी भी वैसा ही तप रहा है। बस हमें बचाने वाली ओजोन चादर पतली हो गई है और वो हुई है ग्लोबल वॉर्मिंग (Global Warming) की वजह से। दरअसल जब जीवाश्म ईंधन जलाते हैं, तो कार्बन प्रदूषण (Carbon Pollution) वातावरण में रहता है। आज, वायुमंडल में इतना ज्यादा कार्बन प्रदूषण है कि इसकी वजह से मौसम में बदलाव आ रहा है और गर्मी बढ़ रही है।
जलवायु परिवर्तन पर नजर रखने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि 99% से ज्यादा वैज्ञानिक इस बात से सहमत हैं कि जलवायु परिवर्तन का सबसे प्रमुख कारण इंसानों की वजह से हो रहा प्रदूषण और कार्बन उत्सर्जन हैं। औऱ जब तक हम प्रदूषण को खत्म नहीं कर देते, तब तक गर्मी और ज्यादा बढ़ती जाएगी। अगर हम अपने कार्बन प्रदूषण को कम करने के लिए कदम उठाते हैं, तो हम अपने बच्चों और आने वाले भविष्य को इस महाविनाश से बचा सकते हैं।
गर्मी कम करने के लिए क्या करना होगा
इस गर्मी से बचने के लिए जो सबसे ज्यादा फोकस है वो कार्बन उत्सर्जन पर है। क्योंकि ये गर्मी बढ़ाने का सबसे बड़ा कारण हैं। यही जलवायु परिवर्तन का भी बड़ा कारण बन रही है। वैश्विक तापमान यानी ग्लोबल वॉर्मिंग के इस संकट से निपटने के लिए बड़े-बड़े देशों के पास बड़ी योजनाएं हैं जो पेरिस जलवायु समझौते 2015 में शामिल हैं। पेरिस समझौता उत्सर्जित ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा को सीमित करने पर आधारित है। हालांकि इस समझौते को हुए 10 साल होने को हैं। लेकिन अभी तक किसी भी देश ने इस पर कोई उल्लेखनीय काम नहीं हुआ।
गर्मी बढने के लिए कारण -
ग्लोबल वार्मिंग,ग्रीन हाउस गैसौं का बढना,बढता शहरी करण,बढता औद्यौगीकरण,कोल तार की सड़को का निर्माण,हरे पडो़ का लगातार कटान,जंगलों मे आग लगना, कार्बनडाईआक्साइड,का बढना आदि कारण हैं,
गर्मी कम/रोकने हेतु उपाय-
इस हेतु विश्व भर मे सभी देशों को चिन्ता ही नहीं बल्कि ब्यावहारिक कार्यवाही करनी होगी। ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करना होगा,निर्माण/विकास कार्यों हेतु मानक,जंगलों का संरक्षण,विश्वभर मे अत्यधिक वृक्षारोपण,करना होगा।