काशी मे 501 वंचित जातियों के लोगों को पुजारी बनाकर सामाजिक समरसता को दिया बढावा।

 


काशी में आयोजित कार्यक्रम में 501 वंचित जनजाति मुसहर, किन्नर ,और महिलाओं को राम मंत्र की दीक्षा देकर पुजारी बनाया गया।यह सामाजिक समरसता का एक अच्छा उदाहरण है। यह लोग राम के आदर्शों को घर-घर तक पहुंचाएंगे, काशी की लमही कस्बे में 16 और 17 अप्रैल को श्री राम संबंध कथा और महादीक्षा संस्कार कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें मध्य प्रदेश,छत्तीसगढ़, के साथ-साथ ही पूर्वी उत्तर प्रदेश,  वाराणसी, चंदौली, मिर्जापुर,सोनभद्र,बलिया आजमगढ़ जौनपुर मऊ गाजीपुर, बलरामपुर, आदि जनपदों से बड़ी संख्या में वंचित समाज के लोगों ने भागीदारी करके श्री राम कथा का श्रवण किया। रामनवमी के दिन आयोजित ऐतिहासिक महादीक्षा संस्कार कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक और रामपंथ के मार्गदर्शन इंद्रेश कुमार, रामपंथ के धर्माध्यक्ष महेंद्र बालक दास और रामपंथ के पंथाचार्य डॉक्टर राजीव श्रीगुरु द्वारा एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक क्रांति का सूत्रपात करते हुए 501 वंचित समाज के लोगों को राम मंदिर की दीक्षा देकर पुजारी बनाया गया। यह शायद पहला ऐसा अवसर है जब इतनी बड़ी संख्या में वंचित, किन्नर,और महिलाओं को विधिवत प्रशिक्षण और दीक्षित कर पुजारी बनाया गया है।पुजारी बने लोगों को श्री राम का चित्र खजाने में रखने के लिए अक्षत,और पवित्र माला प्रदान की गई। रामपंथ की ओर से प्रत्येक पुजारी को 20 परिवारों में पूजा कराने का दायित्व सौंपा गया है, ताकि घर-घर में प्रतिदिन राम की पूजा हो सके महिलाओं को जानकीचार्या,और पुरुषों को रामाचार्य की उपाधि प्रदान की गई। पुजारी की उपाधि मिलने के बाद रामपंथ से जुड़े राम भक्तों ने सभी पुजारियों के पैर छूकर उनका सार्वजनिक रूप से आशीर्वाद लिया।वहीं जीवन में पहली बार स्वयं को रामकाज का दायित्व मिलने से अधिकांश लोग आश्चर्यचकित और भावविभोर हो गये।


रामपंथ ने राम परिवार भक्ति आंदोलन शुरू करके देश में सांस्कृतिक पुनर्जागरण की शुरुआत कर दी है। भगवान राम भारत के सांस्कृतिक नायक हैं और वह सभी के हैं।जब भगवान राम किसी के बीच भेदभाव नहीं करते तो हम कौन होते हैं भेदभाव करने वाले।

 सभी मत -पंथ के लोगों में एकता, समाजिक समरसता, और विश्वबंधुत्व का भाव स्थापित करने के लिए लमही गाँव में श्री राम संबंध मंदिर बनाया जा रहा है, इस मंदिर में भगवान राम सहित चारों भाइयों और उनकी पत्नियों तथा पवन पुत्र हनुमान जी की मूर्तियों की पूजा होगी, इस मंदिर की विशेषता यह होगी कि इसमें सभी मत पंथ के लोग बिना किसी रोक-टोक के प्रवेश पा सकेंगे।इसके साथ ही मंदिर में वंचित, वनवासी, किन्नर आदि समाज के लोगों को पुजारी बनने का अवसर मिलेगा। इस कार्यक्रम में भागीदार महिलाएं वंचित वनवासी अनुसार धरकर और किन्नर समाज के लोगों को जब गुरु मंत्र लेकर पुजारी पुजारी बनने का अवसर मिला तो वे भाव विभोर हो गये। रामपंथ ने ऐसी व्यवस्था कर दी है कि हर दिन लोगों को भगवान राम के दर्शन और पूजन करने का सौभाग्य मिल गया। कार्यक्रम में भागीदारी करने आए अधिकांश लोगों को पहले लगता था कि उनकी जाति की वजह से उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है और उन्हें धर्म से दूर रखा गया है। लेकिन जब गुरुदेव ने राममंत्र देकर महादीक्षा दी तो वह मिथक टूट गया और तमाम चेहरों पर खुशी के आंसू बह चले।

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