विश्व दुग्ध दिवस 2024 भारत दुनिया के बडे़ दुग्ध उत्पादकों मे से एक World milk day

 


दूध पूरे विश्व में छोटे बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी उम्र के लोगों का पसंदीदा पेय है। दूध  स्वास्थ्यवर्धक होता है इसे पीने से कई सारे फायदे मिलते हैं कैल्शियम से भरपूर दूध स्वास्थ्य के संपूर्ण विकास के लिए  जरुरी है। लोगों तक दूध के इन फायदों को पहुंचाने के उद्देश्य से हर साल 1 जून को विश्व दुग्ध दिवस मनाया जाता है। 1 जून यानी वर्ल्ड मिल्क डे मनाया जाता है।2024 मे विश्व दुग्ध दिवस की थीम है।दुनिया को पोषण देने के लिए गुणवत्तपूर्ण पोषण प्रदान करने मे डेयरी द्वारा निभाई गयी महत्वपूर्ण भूमिका का जश्न मनाने पर केन्द्रित है। स्वास्थ्य के लिए दूध कितना महत्व होता है और यह हमारे भोजन का कितना जरूरी हिस्सा है इस बात को समझाने और दूध को भोजन में शामिल करने के लिए और आम जन को जागरूकता करने के उद्देश्य से इस दिन को मनाया जाता है।

 विश्व दुग्ध दिवस की शुरुआत 1जून 2001से  शुरू हुआ।इसकी शुरुआत संयुक्त राष्ट्र के विभाग खाद्य और कृषि संगठन द्वारा की गई थी। 2022 में 72 देशों ने इसमें भाग लिया था। इन देशों में लगभग 586 कार्यक्रमों का आयोजन किया गया था। भारत में 1 जून को विश्व दुग्ध दिवस और 26 नवंबर को राष्ट्रीय दुग्ध दिवस मनाया जाता हैं26 नवंबर 1921 को श्वेत क्रांति के जनक भारत में दुग्ध उत्पादन के जनक कहे जाने वाले वर्गीज कुरियन का जन्म हुआ था। आयुर्वेद में मुख्य रूप से आठ प्रकार के दूध का उल्लेख किया गया है। इसमें गाय भैंस बकरी ऊंट ,घोड़ी, हथिनी, गधी और स्त्री के दूध पर विशेष वर्णन मिलता है। इन आंठों में से स्त्री यानी  मां का दूध सर्वोत्तम बताया गया है। इसके बाद गाय और बकरी के दूध को अधिक फायदेमंद बताया गया है। विश्व दूग्ध दिवस निम्न क्षेत्रों में प्रोत्साहन का कार्य करता है।अच्छा भोजन,अचछा स्वास्थ्य, और पोषण, किसान अपने समुदाय जमीन और अपने जानवरों की जिम्मेदारी से देखभाल करते रहे,डेयरी क्षेत्र में स्थिरता अभ्यास डेयरी कैसे आर्थिक विकास का साधन हो आदि। 

भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूग्ध उत्पादक देश है। भारत वैश्विक उत्पादन का लगभग 25% उत्पादन करता है इसके लिए भारत के कृषि और डेयरी क्षेत्र ने बेहतर कार्य किया। उसके बाद अमेरिका, चीन और पाकिस्तान, और ब्राजील है। दूग्ध उत्पादन में भारत का स्थान प्रथम है। भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में कृषि के बाद डेयरी उद्योग की प्रमुख भूमिका है। और भारत ने यह कर दिखाया है। भारत का उत्तर प्रदेश दुग्ध उत्पादन में सबसे अधिक उत्पादन करने वाला राज्य है। न्यूजीलैंड की घास खाने वाली गाय दुनिया के कुछ बेहतरीनपौष्टिकता वाले दूग्ध का उत्पादन करते हैं। दूध देने वाले गायों की गुणवत्ता का सीधा संबंध उनके आहार और पर्यावरण से होता हैं न्यूजीलैंड के चरागाहों में पलने वाली गाय हरी-भरी घास खाकर दुनिया के कुछ बेहतरीन दूग्ध का उत्पादन करती हैं। इसके साथ ही उत्तराखंड की बद्री गाय जो कि पहाड़ों में हरी घास खाती है। 

इसका दूध भी बड़ा उत्तम होता है।बद्री गाय के दूध से बनी घी की मांग भारत मे ही बहुत बडी है। इसके एक किलो  घी की कीमत 2500₹ से 5500₹ तक है। विश्व की कुल दूग्ध उत्पादन 843.04 मिलियन टन में अकेले भारत का हिस्सा 25% के लगभग है। इसके बाद विश्व के टॉप 5 देशों की सूची में अमेरिका 98.09 मि टन, पाकिस्तान 45.7 में मिलियन टन  33.5  मिलियन टन, ब्राजील 34.1 मिलियन टन। आने वाले वर्षों में भारत में दूग्ध उत्पादन में बढ़ोतरी की काफी संभावनाएं विद्यमान है। क्योंकि पशुधन की संख्या के मुकाबले देश में अन्य दुग्ध उत्पादक देशों की तुलना में अभी भी प्रतियोगिता है। दुग्ध उत्पादन काफी कम है। आजादी के इतने वर्षों के बाद और श्वेत क्रांति के जोरदार आगाज के बाद भी हमारे भारतीय गाय की एक ब्यांत का औसत दुग्ध उत्पादन पाकिस्तान जैसे देश के मुकाबले आधा है। 

आंकड़ों के अनुसार भारत में गाय का एक ब्यांत का औसत दुग्ध उत्पादन 1100 लीटर पाकिस्तान 2200  लीटर, है।  जिसे नकारा नहीं जा सकता है। भारत के कई राज्यों में दुग्ध उत्पादन कम होने के पीछे प्रमुख वजह में पशुओं की उन्नत नस्ल का अभाव, हरे चारे की कमी अच्छी गुणवत्ता का सूखा चारा, नहीं मिलना है। और दुग्ध उत्पादन के आधार पर संतुलित आहार नहीं मिलना है। बेहतर पशु स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, प्रमुख समस्याओं में शामिल है। जिसमे नस्ल सुधार, अच्छी खिलाई पिलाई, हरे चारे की उपयोगिता, में बढ़ोतरी करके अधिकतम स्तर तक पहुंचाया जा सकता है। देश की गाय भैंस पालन करने वाले अधिकांश राज्यों में देसी और दोगली नस्ल की गाय भैंसों का नस्ल सुधार किया जाना बहुत जरूरी है। गाय भैंस के नस्ल सुधार के बिना देश में दुग्ध उत्पादन को अधिकतम ऊंचाई तक नहीं पहुंचाया जा सकता है। पिछले 6 सालों के दौरान भारत में 33.1% की दर से दुग्ध उत्पादन में वृद्धि हुई है।वर्ष 2014 में देश में 146मिलियन टन उत्पादन हो रहा था जो 2019 में रिकॉर्ड 198 मिलियन टन और साल दर साल में लगातार इजाफा हो रहा है। इस वर्ष दुग्ध उत्पादन में लगभग 5% की वृद्धि दर्ज की जा रही है।दुग्ध उत्पादन में प्रति व्यक्ति दूध की वृद्धि दर्ज की जा रही है। देश की बढ़ती हुई जनसंख्या के लिए दूध और दुग्ध पदार्थों की दैनिक जरूरतों को देखते हुए। इनकी भी  मांग बढ़ती रहेगी। इस मांग को पूरा करने के लिए पशुपालन एवं डेयरी व्यवसाय के विकास को और अधिक गति से बढ़ाने की आवश्यकता होगी।  उत्तराखंड में पाई जाने वाली बद्री गाय के दूध मे विश्व के सभी गायों की तुलना मे सबसे अधिक पौष्टिकता मिलती है। आम गायों की अपेक्षा बद्री गाय के दूध में A2 प्रोटीन के अलावा अन्य पोषक तत्वों की उपलब्धता के साथ कई रोगों से बचाने की क्षमता होती है। इसका घी और दूध सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है।बद्री गाय के दूध और घी की मिल रही कीमत ने जहां भारतीय नस्ल की बद्री गाय की  मांग बढायी है। वहीं दूध में पाए जाने वाला प्रोटीन सेहत को भी स्वस्थ रखता है। बद्री गाय हिमालय के बुग्यालों में चरकर दूध देती है। इसीलिये इसके दूध में भरपूर मात्रा में पोषक तत्व है। उत्तराखंड डेयरी विभाग के अनुसार बद्री गाय के दूध में  8.4% फैट मौजूद होता है। जो किसी भी गाय और भैंस के दूध की तुलना में कहीं ज्यादा है।बद्री गाय के दूध में टोटल  9.02% और क्रूट प्रोटीन होता है। 3.26% अन्य पोषक मिलते है। बद्री गाय को पहाड़ों की कामधेनु गाय का दर्जा मिला है।

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