भारत के रक्षा निर्यात मे ऐतिहासिक बृद्धि कैसे हुई? India Defence,Export

 


आज के समय में भारत के रक्षा निर्यातक भौगोलिक रूप से विश्व के कोने-कोने तक अपनी पहुंच बना चुके हैं। आज पूरी दुनिया को भारतीय हथियार पसंद आ रहे हैं। भारत के निर्यात किए गए उत्पाद  मालदीव,श्रीलंका,रुस,यूएई,पोलैण्ड,फिलीपींस,सऊदीअरब,मिस्र,इजरायल,स्पेन,चिली,समेत कई अन्य देशों तक पहुंच रहे हैं। भारतीय रक्षा उत्पादों की मांग विश्व स्तर पर बढ़ती ही जा रही है,सुरक्षा के क्षेत्र में भारत की क्षमताओं को वैश्विक स्वीकृति मिल चुकी है। जिन भारतीय रक्षा उत्पादों का अधिक से अधिक निर्यात किया जा रहा है, उनमें निजी सुरक्षा उपकरण,आफशोर पेट्रौल व्हिकल,एएलएच हेलीकॉप्टर, एसयू,एवियानिक्स कोस्टल सर्विलांस सिस्टम, लाइटइंजीनियरिंग मैकेनिकल पार्ट्स, कवच एममोडी अन्य कई,रक्षा उपकरण शामिल है, इन आध्याधुनिक,रक्षा उपकरणों और तकनीकों, के चलते अंतरराष्ट्रीय खरीददारों की भारतीय उत्पादों में विशेष रुचि बढी है। और भरोंसा भी बढा है।

भारत ने विश्व के लगभग 85 देशों को रक्षा उत्पाद बेचे हैं। रक्षा उत्पाद निर्यात में भारत ने मात्र एक वर्ष में 32.5 प्रतिशत  की रिकार्ड बृद्धि निर्यात किया है। पहली बार देश का रक्षा निर्यात 21000 करोड रुपए के पार गया है, भारत में विश्व के 85 देश को रक्षा उत्पाद बेचकर यह उपलब्धि हासिल की है। जिसमें मेक इन इंडिया से जुड़ी लगभग 50 भारतीय कंपनियों की भूमिका महत्वपूर्ण रही है, ऑस्ट्रेलिया यूएई और यूरोप जैसे देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) होने के बाद निर्यात में वृद्धि की उम्मीद है। अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के साथ (एफटीए) के बाद इसमें और उछाल की उम्मीद है। कई वैश्विक खरीदारों ने चीन को छोड़ भारत का रुख किया है।  जिससे निर्यात बढा है, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का यह पुनर्गठन कोविड महामारी की देन है। जो चीन से दुनिया भर में फैली। चीन में लॉकडाउन के कारण वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हुई, जिसका दुनिया की सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं पर असर पड़ा।तब 2021 में भारत ने तीन वैश्विक मंचों संयुक्त राष्ट्र महासभा, जी -8 और जी-20,शिखर सम्मेलन में सभी देशों से अपनी वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को पुनः व्यवस्थित करने का आह्वान किया था। जिसका परिणाम दिखने लगा है। आज भारत के साझेदारी और एकीकरण के संयुक्त प्रयासों ने सेना को हर चुनौती से मिलकर निपटने के लिए सक्षम बना दिया है। भारत का लक्ष्य अगले 5 वर्षों में भारत में एयरो- इंजन और गैस टर्बाइन जैसी उच्च स्तरीय प्रणालियों का निर्माण करना है।

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