भारत का मानवयुक्त गगनयान मिशन क्या है?Misson Gaganyan
भारत का गगनयान मिशन 2022 मे शुरू होना था। लेकिन कोरोना महामारी और मिशन की जटिलताओं की वजह से इसमे देरी हुई।यदि इसरो का गगनयान मिशन सफल होता है, तो भारत अमेरिका,चीन और पूर्ववर्ती सोवियत संघ के बाद मानवयुक्त अंतरिक्ष उडा़ने संचालित करने वाला चौथा देश बन जाएगा। मिशन गगनयान का उद्देश्य मानव रहित अंतरिक्ष यान को अंतरिक्ष में भेज कर उसे सुरक्षित वापस लाना है। और अंतरिक्ष में मानव उड़ान के लिए जरूरी प्रौद्योगिकियों का विकास करना है। भारत चंद्रमा की दक्षिणी धुर्व पर उतरने वाला पहला देश बनने की उपलब्धि हासिल कर चुका है। आज चन्द्रमा पर स्थित शिवशक्ति पॉइंट पूरी दुनिया को भारतीय सामर्थ्य से परिचित करा रहा है। अब विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में हम सभी एक और ऐतिहासिक सफर के साक्षी बनने जा रहे हैं। गगनयान मिशन से अंतरिक्ष शोध, अनुसंधान,आर्थिक विकास,शिक्षा, तकनीकी विकास, और युवाओं में विज्ञान के प्रति रुचि पैदा करने में सफलता मिलेगी। हमारे वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत और राजनीतिक इच्छा शक्ति ने आज भारत को उस स्थिति में लाकर खड़ा किया है, जहां वह विज्ञान और अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक नया इतिहास रचने वाला है, 27 फरवरी को प्रधानमंत्री मोदी ने अंतरिक्ष में देश के गगनयान के पहले मानवयुक्त मिशन पर जाने वाले चार अंतरिक्ष यात्रियों के नाम की घोषणा की। ये यात्री हैं।
1-ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर'
2- ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप
3-ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन
4- विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला
वर्तमान में यह सभी इस मिशन के लिए कठोर प्रशिक्षण ले रहे हैं।गगनयान मिशन के तहत चार अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष की सैर कराई जाएगी। इसी साल मानव रहित परीक्षण उड़ान होगी, जिसमें एक व्योममित्र रोबोट भेजा जाएगा।और 2025 मे गगनयान मिशन तीन दिवसीय मिशन के लिए मानव को 400 किलोमीटर ऊँचाई पर पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजा जाएगा,और फिर सुरक्षित पृथ्वी पर वापस लाया जाएगा,
अंतरिक्ष यात्रियों का चुनाव--
अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए आवेदन करने वाले बहुत से टेस्ट पायलटो में से 12 को सितंबर 2019 में बेंगलुरु में हुए पहले चरण के चयन में सफलता मिली। यह चयन भारतीय वायु सेना के अधीन कार्यरत इंस्टीट्यूट आफ एयरोस्पेस मेडिसिन (आइएयम) द्वारा किया गया था। कई चरणों के बाद (आईएएम) और इसरो ने अंतिम चार यात्रियों को चुना। 2020 के प्रारंभ में इसरो ने चारों को शुरुआती प्रशिक्षण के लिए रूस भेजा। कोविड-19 के कारण इनका प्रशिक्षण कुछ देरी के बाद 2021 में पूरा हुआ। इन चारों ने रूस में 13 महीने तक कठिन प्रशिक्षण प्राप्त किया, और अब भारत में भी वैसा ही प्रशिक्षण ले रहे हैं,वे नियमित रूप से उड़ान भरना जारी रखे हुए हैं। गगनयान मिशन के शुरुआती चरणों को 2024 तक पूरा किया जा सकता है।इसमें दो मानव रहित विमान को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। इस मिशन की सफलता के बाद ही यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।