राष्ट्रीय महिला दिवस क्यों जरूरीNational Women's day2024

 


भारत मे महिलाओं के प्रति ये भाव रहा है।(यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः) भारत में 13 फरवरी के  दिन को राष्ट्रीय महिला दिवस के रुप मे मनाया जाता है। यह दिवस भारत की प्रमुख महिला स्वतंत्रता सेनानी,और भारत कोकिला सरोजिनी नायडू के जन्म दिवस के अवसर पर मनायी जाती है। सरोजिनी नायडू से राष्ट्रीय महिला दिवस का गहरा नाता है। सरोजिनी नायडू भारत की प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी व कवियत्री रही हैं। उन्हें भारत कोकिला यानी नाइटिंगेल ऑफ इंडिया भी कहा जाता है। इतना ही नहीं वह आजाद भारत की पहली महिला राज्यपाल भी रही हैं। ब्रिटिश सरकार के खिलाफ देश को आजादी दिलाने के लिए हुए स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही है। वह हर महिला के लिए प्रेरणा है। राष्ट्रीय महिला दिवस को आज ही के दिन मनाने के पीछे की  वजह है कियह दिवस सरोजिनी नायडू को समर्पित है। सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी 1879 को हुआ था। वह बचपन से बुद्धिमान थीं। जब सरोजिनी नायडू 12 साल की थीं, तब से उन्होंने कविताएं लिखनी शुरू कर दी थी। बाद में स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया। देश की आजादी और महिलाओं के अधिकारों के लिए संघर्ष किया। आजादी के बाद सरोजिनी नायडू को पहली महिला राज्यपाल बनने का भी मौका मिला। उनके कार्यों और महिलाओं के अधिकारों के लिए उनकी भूमिका को देखते हुए सरोजिनी नायडू के जन्मदिन के मौके पर राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है

 देश को 1947 में आजादी मिली और  उत्तर प्रदेश की राज्यपाल बनने का गौरव  सरोजिनी नायडू को प्राप्त हुआ। साल 2014 में सरोजिनी नायडू की जयंती को राष्ट्रीय महिला दिवस के तौर पर मनाने की शुरुआत की गई।वैसे तो सरोजिनी नायडू के नाम कई उपलब्धियां हैं लेकिन उनका साहित्यिक योगदान पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। उन्होंने कई कविताएं लिखी, कुछ कविताएं  पाठ्यक्रम में  भी शामिल की गईं।  क्योंकि वह बहुत ही मधुर स्वर में अपनी कविताओं का पाठ किया करती थीं, इसी कारण सरोजिनी नायडू को भारत कोकिला कहा जाता था। राष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं की उपलब्धियों का उत्सव है। इसलिए इस अवसर पर भारत में महिलाएं विभिन्न गतिविधियों में भाग लेती है।और जनजागरण का कार्य समाज और संस्थायें भी करती हैं।इस दिन सरोजिनी नायडू के भारत में महिलाओं के उत्थान के लिए योगदान और कार्य को याद किया जाता है।इसीलिए भारत में सरोजिनी नायडू के साहित्यिक और सामाजिक योगदान को सम्मानित करने के लिए राष्ट्रीय महिला दिवस को मनाया जाता है सरोजिनी नायडू महिलाओं ने महिलाओं के  मुक्ति,नागरिक अधिकारों ,और अन्य सामाजिक समस्याओं और भेदभाव को दूर करने के लिए  कार्य किया।राष्ट्रीय महिला दिवस के दिन लिंग,भेद, हिंसा,वेतन असमानता, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा तक पहुंच की कमी, राजनीति और नेतृत्व करने वाले पदों में महिलाओं के कम प्रतिनिधित्व जैसी समस्याओं पर ध्यान आकर्षित करने के लिए मनाया जाता है। राष्ट्रीय महिला दिवस मनाकर हम उन समस्याओं की ओर ध्यान आकृषित कर सकते हैं। जिनका महिलाएं सामना करते हैं। राष्ट्रीय महिला दिवस 2024 के लिए अभियान का विषय (इंस्पायर इंक्लूजन) है।  समाज मे समावेशी वातावरण,  राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर विद्यालयों और अन्य संस्थाओं में इस दिन को लेकर निबंध लेखन, भाषण , वाद- विवाद जैसी प्रतियोगिताएं करवाई जाती हैं आज महिलाएं ममतामयी, त्याग,और साहस,के बलबूते समाज के हर पहलू से जुड़ी हुई हैं। वह आज पढ़ी लिखी हैं। एवं अपने अधिकारों और कृत्ब्यों के प्रति जागरुक हैं। उनकी शिक्षा से आज नौकरी पेशा मे महिलाओं की संख्या में बढोत्तरी हुई है। हमारे समाज में महिलाओं की निस्वार्थ सेवा हर क्षेत्र रही है।लेकिन फिर भी समाज में हत्या, घरेलू हिंसा,लिंग भेद, असमानता, आदि को हम महिला समस्या के रूप में देखते हैं। 2023 में केंद्र सरकार ने महिला आरक्षण विधेयक बिल पास किया है। जिसमें लोकसभा और राज्य विधान मंडलों में महिलाओं के लिए सभी सीटों में से एक तिहाई सीटें आरक्षित की गयी हैं।यह महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए अच्छा कदम हैं।अतःयह दिवस महिलाओं के समावेशन को प्रेरित करने का दिवस है।

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