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Showing posts from February, 2024

श्री गुरुजी राष्ट्र को समर्पित एक ब्यक्तित्व Guruji sadashiv golvalkar

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  सदाशिव गोळवलकर उपाख्य श्री गुरुजी का जन्म 19 फ़रवरी 1906 को  रामटेक महाराष्ट्र मे हुआ था।  वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक 1940 से 1973 तक रहे। तथा वे महान विचारक थे। वे गुरूजी' के ही नाम से अधिक जाने जाते थे। हिन्दुत्व की विचारधारा का प्रवर्तन करने वालों  मे उनका नाम प्रमुख है। वे संघ के द्वित्तीय सर संघचालक रहे।और आरम्भिक नेताओं में से एक थे।  वे अपने माता-पिता की चौथी संतान थे। उनके पिता का नाम श्री सदाशिव राव उपाख्य 'भाऊ जी' तथा माता का श्रीमती लक्ष्मीबाई उपाख्य 'ताई' था। उनका बचपन में नाम माधव रखा गया पर परिवार में वे मधु के नाम से ही पुकारे जाते थे। पिता सदाशिव राव प्रारम्भ में डाक-तार विभाग में कार्यरत थे परन्तु बाद में उनकी नियुक्ति शिक्षा विभाग में 1908 में अध्यापक पद पर हो गयी। मधु जब मात्र दो वर्ष के थे तभी से उनकी शिक्षा प्रारम्भ हो गयी थी। पिताश्री भाऊजी जो भी उन्हें पढ़ाते थे उसे वे सहज ही इसे कंठस्थ कर लेते थे। बालक मधु में कुशाग्र बुद्धि, ज्ञान की लालसा, असामान्य स्मरण शक्ति जैसे गुणों का समुच्चय बचपन से ही विकसित हो रहा था। सन्...

कौन थे कर्पूरी ठाकुर जिन्हें मिलेगा भारत रत्न ?Karpuri Thakur

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  जननायक कर्पूरी ठाकुर का जन्म 24 जनवरी 1924 को बिहार के समस्तीपुर जिले में हुआ था। उनकी प्रारम्भिक  शिक्षा गांँव से ही हुई।मैट्रिक की परीक्षा1940 मे पास करने के बाद वे आजादी के आन्दोलन मे कूद पडे़। और वर्ष 1942 में पटना विश्वविद्यालय में आने के बाद वह गांधी जी के असहयोग आन्दोलन का हिस्सा बने।एक सभा मे उन्होने अपने भाषण मे कहा था। कि भारत की जनसंख्या इतनी है कि अगर एक साथ इतनी बडी़ जनसंख्या थूकेगी तो अंग्रेज बह जायेंगे। और वे अंग्रेजों के द्वारा गिरफ्तार किये गये। कर्पूरी ठाकुर के पिता का नाम गोकुल ठाकुर और माता का नाम रामदुलारी देवी था। भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षक, राजनीतिक और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को उनके जन्मशताब्दी वर्ष 2024 मे भारत रत्न दिया जाएगा।कर्पूरी ठाकुर को उनकी लोकप्रियता के कारण जननायक कहा जाता है। कर्पूरी ठाकुर भारत छोडो़ आन्दोलन के दौरान 26 महीने जेल मे रहे।  कर्पूरी ठाकुर बिहार में एक बार उपमुख्यमंत्री, दो बार मुख्यमंत्री और दशकों तक विधायक और विरोधी दल के नेता रहे। 1952 की पहली विधानसभा में चुनाव जीतने के बाद वे बिहार विधानस...

राष्ट्रीय महिला दिवस क्यों जरूरीNational Women's day2024

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  भारत मे महिलाओं के प्रति ये भाव रहा है।(यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः) भारत में 13 फरवरी के  दिन को राष्ट्रीय महिला दिवस के रुप मे मनाया जाता है। यह दिवस भारत की प्रमुख महिला स्वतंत्रता सेनानी,और भारत कोकिला सरोजिनी नायडू के जन्म दिवस के अवसर पर मनायी जाती है। सरोजिनी नायडू से राष्ट्रीय महिला दिवस का गहरा नाता है। सरोजिनी नायडू भारत की प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी व कवियत्री रही हैं। उन्हें भारत कोकिला यानी नाइटिंगेल ऑफ इंडिया भी कहा जाता है। इतना ही नहीं वह आजाद भारत की पहली महिला राज्यपाल भी रही हैं। ब्रिटिश सरकार के खिलाफ देश को आजादी दिलाने के लिए हुए स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही है। वह हर महिला के लिए प्रेरणा है। राष्ट्रीय महिला दिवस को आज ही के दिन मनाने के पीछे की  वजह है कियह दिवस सरोजिनी नायडू को समर्पित है। सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी 1879 को हुआ था। वह बचपन से बुद्धिमान थीं। जब सरोजिनी नायडू 12 साल की थीं, तब से उन्होंने कविताएं लिखनी शुरू कर दी थी। बाद में स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया। देश की आजादी और महिलाओं के अधिकारों के...

स्वामी दयानन्द सरस्वती का भारतीय समाज मे क्या योगदान है?Swami Dayanand ji

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  आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानन्द सरस्वती का जन्म 12 फरवरी1824 को गुजरात के टंकारा मज हुआ था।भारत की उत्कृष्ट वैदिक संस्कृति एवं सभ्यता की गरिमामयी विरासत मध्यकाल युग में लुप्तप्राय हो गई थी। राजनीतिक परतंत्रता तथा पराधीनता के कारण विचलित भारतीय जनमानस को महर्षि दयानंद सरस्वती ने आत्मबोध आत्मगौरव स्वाभिमान एवं स्वाधीनता का मंत्र प्रदान किया। भारत ऋषि-मुनियों की पावन धरा है। इनमे से एक हुए स्वामी दयानन्द सरस्वती जी  मूल नक्षत्र में जन्म लेने के कारण इनका नाम मूल शंकर रखा गया।  शाश्वत सत्य के अन्वेषण हेतु एवं सत्य व शिव की प्राप्ति हेतु मूल शंकर वर्ष 1846 में 21 वर्ष की आयु में समृद्ध घर-परिवार मोह ममता के बंधनों को त्याग कर संन्यासी जीवन की ओर बढ़ गए, उन्होंने 1859 में गुरु विरजानंद जी से व्याकरण व योग दर्शन की शिक्षा प्राप्त की, भारत की उत्कृष्ट वैदिक संस्कृति एवं सभ्यता की हजारों वर्षों की गरिमामयी विरासत मध्यकाल के तमसाच्छन्न युग में लुप्तप्राय हो गई। स्वामी दयानंद जी  19वीं सदी के नवजागरण के प्रमुख ब्यक्तियों मे से एक थे। जिन्होंने मध्ययुगीन अंधकार का नाश किय...

विश्व के लिए कैंसर क्यों खतरा बन रहा है?World cancer day

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  हर साल 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है। इस दिन वीश्वभर के देशों को साथ मिलकर कैंसर से लड़ने और इसकी रोकथाम करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इस दिन को मनाने के पीछे एक बेहद खास उद्देश्य है और  कैंसर दुनियाभर में मौतों की दूसरी सबसे बड़ी वजह है। इस साल की थीम है ( क्लोज द केयर गैप) एवरीवन डिजर्व्स एक्सेस टू  2024 कैंसर इतनी गंभीर बीमारी है जिससे दुनियाभर में लाखों मौतें होती हैं। WHO के अनुसार जानलेवा बीमारी कैंसर को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकडे़ डराने वाले हैं।WHO के अनुसार वर्ष 2050 तक गरीब देशों मे  कैंसर से होने वाली मौतें दोगुनी हो जाएंगी।इस दौरान दुनिया भर में कैंसर के नए रोगियों की संख्या 3.5 करोड़ से अधिक हो जाएगी। जो वर्ष 2022 के मुकाबले 77 फीसदी अधिक होगी। WHO की इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च आँन कैंसर ने 115 देशों की सर्वे के आधार पर ये नतीजे जारी किए हैं। वर्ष 2022 में कैंसर के करीब 2 करोड नये मामले सामने आए। जिनमें 97 लाख लोगों की मौत हुई। अकेले भारत में ही 14 लाख से अधिक मामले दर्ज किए गए। इनमें से भी अधिक महिलाएं हैं। रिपोर्ट के अनु...