भारतीय सेना विश्व की सर्वश्रेष्ठ सेनाओं मे से एक कैसे?Indian Army day

 


आज भारतीय सेना विश्व की सर्वश्रेष्ठ सेनाओं मे से एक है।क्योंकि वह देश की सेवा मे समर्पित और अनुशासित है।भारतीय सेना की शुरुआत 1अप्रैल 1895 में हुई थी। तब भारत मे अंग्रेजों की हुकूमत थी। भारतीय सेना की शुरुआत ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना से हुई थी, जिसे बाद में 'ब्रिटिश भारतीय सेना' के नाम से जाना गया। आखिरकार, स्वतंत्रता के बाद, इसे राष्ट्रीय सेना के रूप में जाना जाने लगा। 

भारत ने लगभग 200 साल के ब्रिटिश शासन के बाद 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्रता प्राप्त की थी। उस समय देश सांप्रदायिक दंगों से गुजर रहा था, शरणार्थी पाकिस्तान से आ रहे थे और कुछ लोग पाकिस्तान की ओर पलायन कर रहे थे। इस तरह के अराजकतापूर्ण माहौल के कारण कई प्रशासनिक समस्याएं उभरने लगीं। तब सेना को स्थिति नियंत्रित करने के लिए आगे आना पड़ा ताकि विभाजन के दौरान शांति सुनिश्चित की जा सके। इसके बाद एक तारीख चुनी गई 15 जनवरी।बाद मे 15 जनवरी1949 मे फील्ड मार्शल करिअप्पा पहले सेना प्रमुख बने थे।इसलिए यह तरीख बाद के दिनों में और भी खास हो गई। यह दिन हमारे सैनिकों के बलिदान और राष्ट्र की रक्षा के लिए उनकी प्रतिबद्धता का सम्मान करने का अवसर है।

आजादी के बाद स्वतंत्र भारत का निर्माण करते समय, यह जरूरी था कि देश की रक्षा का दायित्व उसी के वीर सपूतों को सौंपा जाए। यही वजह थी कि 15 जनवरी 1949 को फील्ड मार्शल के.एम. करिअप्पा भारत के पहले स्वतंत्र सेना प्रमुख बने। उस समय तक भारतीय सेना की कमान ब्रिटिश जनरल सर फ्रांसिस बुचर के हाथों में थी। लेकिन स्वतंत्रता के साथ ही यह जरूरी हो गया था कि सेना का नेतृत्व अपने ही सेना के वीर जवान करें। इसलिए इस ऐतिहासिक क्षण को सम्मानित करने और भारतीय सेना के जज्बे को सलाम करने के लिए हर साल 15 जनवरी को सेना दिवस मनाया जाता है।

इस खास दिन देशभर के सभी सेना मुख्यालयों और राष्ट्रीय राजधानी में सेना परेड का आयोजन किया जाता है। ये परेड सैनिकों के अनुशासन, शौर्य और देशभक्ति का शानदार प्रदर्शन होता है। सेना दिवस के मुख्य समारोह का आयोजन दिल्ली छावनी के करियप्पा परेड ग्राउंड में होती है। यहां भारतीय सेना प्रमुख परेड की सलामी लेते हैं, जो एक सम्मानजनक परंपरा है। इसके अलावा, विभिन्न सैन्य प्रदर्शन, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और रक्षा उपकरणों के प्रदर्शन के जरिए भी सेना दिवस मनाया जाता है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि कैसे 1949 में फील्ड मार्शल के.एम. करिअप्पा भारत के पहले स्वतंत्र सेना प्रमुख बने, उसे समय भारतीय सेना में दो लाख सैनिक थे।जिससे एक नए युग की शुरुआत हुई।

सेना दिवस सभी सेना कमान मुख्यालयों में मनाया जाता है। इस दिन भारतीय सेना के उन सैनिकों को सम्मानित किया जाता है, जिन्होंने निस्वार्थ भाव से देश की सेवा की और भाईचारे की सबसे बड़ी मिसाल कायम की। सलामी उन सभी बहादुर सेनानियों को दी जाती है जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा और राष्ट्र की अखंडता को बनाए रखने के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया है। भारतीय सेना में फील्ड मार्शल का पद उच्चतम माना जाता है यह एक मानक पद है जो केंद्र सरकार की अनुशंसा पर राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया जाता है केवल विशिष्ट परिस्थितियों में ही इसकी अनुशंसा की जाती है अब तक भारतीय सेना के 6 दशकों के इतिहास में दो मात्र दो अधिकारियों को ही फील्ड मार्शल का पद सोंपा गया है। पहले फील्ड मार्शल सैम मानेकशाँ (1972)और दूसरे एम करियप्पा(1986)सेना  दिवस पर सेना जो सुरक्षा का एहसास देश को देती है।(सेना दिवस 2024 की थीम राष्ट्र की सेवा मे इस बार सेना दिवस लखनऊ मे मनाया जायेगा)।वह उस पर आज तक खरा उतरती आई है। देश पर आए हर संकट मे  जान की बाजी लगाकर लड़ती है।और देशवासियों को सुरक्षित रखने की कोशिश करती है। चाहे वह संकट दुश्मन देश की तरफ से आया हो या फिर अन्य मोर्चे पर।भारतीय सेना प्राकृतिक आपदा अशांति और उपद्रव की स्थिति में बचाव एवं मानवीय सहायता पहुंचाने में प्रशासन का सहयोग भी करती है। समय आने पर देश में होने वाली प्राकृतिक आपदाओं के वक्त भी भारतीय सेना जान लगाकर देशवासियों की रक्षा करने में जुट जाती है उनका देश के प्रति हर जज्बा ही इतना अमिट है कि सभी भारतीय आंख मूँद कर सेना पर भरोसा करते है। थल सेना दिवस पर सभी भारतीय सेना के वीर जवानों को दिल से नमन।

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