श्री राम जन्मभूमि का इतिहास क्या है?पूरा विश्व क्यों राममयी

 


जम्बू द्वीपे भरत खण्डे आर्यावृत्ते भारतवर्षे एक नगरी है विख्यात अयोध्यानाम की। यहाँ प्राण प्रतिष्ठा है।श्री राम लला की।यहाँ स्वागत है। मानव विश्व कुटुम्ब की। 22 जनवरी 2024 को अयोध्या मे श्री रामलला प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम पूरे विश्व के आस्था का केन्द्र बना है।और बने भी क्यों न क्योंकि भगवान श्री राम सारे ब्रह्माण्ड के अराध्य हैं।जैसे- जैसे 22 जनवरी की तिथि नजदीक आ रही है।समाज,देश विदेश राममय होता जा रहा है।देशभर मे रामभक्त कार्यकर्ता और समाज उत्साह व उमंग के साथ तैयारियों मे जुटा है। उत्साह और उमंग की यह लहर विदेशों तक भी पहुँच रही है।अमेरिका मे रहने वाले प्रवासी भारतीय पिछले एक माह से मन्दिरोत्सव मना रहे हैं।
कार रैली के साथ शुरू हुआ।अमेरिकी भारतीयों का यह उत्सव 22 जनवरी 2024 तक जारी  रहने वाला है।सनातन समाज के लिए यह दिन 500 वर्ष बाद आया है।जब 1528 मे बाबर के हुक्म पर उसके  सिपहसलार मीर बाकी ने श्रीराम जन्म स्थान पर बने मन्दिर को ध्वस्तकर वहाँ मस्जिद बना दी। तब से सनातनी समाज अपने अराध्य श्री राम के मन्दिर की मुक्ति के लिए निरन्तर संघर्षरत रहा है।इतिहास बताता है कि इसके लिए 77बार हिन्दू समाज ने बडी़ लडा़इयाँ लडी़। और हजारों बलिदानियों ने अपने जीवन का उत्सर्ग भी किया।तब से लेकर वर्तमान तक संघर्ष चलता रहा।और अन्ततः विजय सत्य की हुई।सनातनी समाज ने राम मन्दिर के लिए हर तरफ से संघर्ष किया। कभी आतताइयों से आमने-सामने की तलवार की लड़ाई लड़ी। तो कभी कानूनी लड़ाई लड़ी अंततः हिंदू समाज सफल हुआ।
 और राम का जन्म स्थान उसे मिला वर्तमान काल के संघर्ष की चर्चा करें तो 1980 से 1990 के दशक राम मंदिर संघर्ष के निर्णायक दशक थे।1992 में लाखों कर सेवक राम भक्तों ने बाबरी ढांचे को श्री राम जन्म स्थान से जड़ से ही उखाड़ कर फेंक दिया था। और उस स्थान पर एक अस्थाई मंदिर बना दिया उसके बाद चली लंबी कानूनी लड़ाई भी हिंदू समाज ने जीत ली।
9 नवम्बर 2019 को वह ऐतिहासिक फैसला था।जब 5 जजों की संवैधानिक बैंच ने वह ऐतिहासिक फैसले पर सत्यमेव जयते का फैसला सुनाया था।अब अवसर है श्री राम के भव्य मंदिर निर्माण का तथा अयोध्या नगरी को सजाने संवारने का जो विगत कुछ समय से उत्तम तरीके से हो भी रहा है।इस जीत का उत्सव स्वाभाविक रूप से विश्व समाज मना रहा है यह उत्सव न केवल अयोध्या में बल्कि देश-विदेश के कोने-कोने में मनाया जा रहा है। राम सबके हैं श्री राम हमारे हैं और सभी के हैं इसलिए राम के इस उत्सव में समाज के हर वर्ग के लोग शामिल हो रहे हैं। इस उत्सव में हिंदू ही नहीं इस्लाम और अन्य धर्मों  के मानने वाले बन्धु भी सम्मिलित होने को उत्सुक हैं। काशी के 4000 से अधिक मुस्लिम समाज के लोगों ने मंदिर निर्माण निधि समर्पण में सहयोग किया था। जिसमें इकरा अहमद का नाम प्रमुख है मुंबई की एक मुस्लिम लड़की शबनम तो अपने कुछ साथियों के साथ श्री राम लला प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने अयोध्या के लिए पैदल ही चल पड़ी है। 
शबनम कहती है कि राम की पूजा के लिए हिंदू होना जरूरी नहीं है। अर्थात जिसकी राम में आस्था व विश्वास है वह किसी भी मजहब का मानने वाला हो। श्री राम की पूजा अर्चना कर सकता है।हमारा तो मानना ही है कि श्री राम घाट घाट वासी हैं। अर्थात सबके हृदय में निवास करते हैं। जो उन्हें मानता है भजता है या भजेगा वह राम का है।चाहे वह इकरा हो, अब्दुल हो,या फिर शबनम हो,सभी के राम हैं और सब राम के हैं।भगवान राम पूरे ब्रह्माण्ड के अराध्य हैं।इसीलिए पूरा विश्व राममयी है। 22 जनवरी 2024 इतिहास का दिन बनेगा। जब श्री रामलला अवध मे विराजमान होंगे। अतः राम सभी के हैं।और सभी राम के हैं।......... जय श्री राम

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