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Showing posts from January, 2024

डाटा गोपनीयता क्याहै? Data Privacy Day2024

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  गोपनीयता यह किसी व्यक्ति /संस्था/संगठन की अपनी ब्यक्तिगत,या संगठनात्मक जानाकारियों के सुरक्षित रहने से सम्बधित है। कि उसकी व्यक्तिगत जानकारी,ब्यापार रहिस्य,निजी ब्यावसायिक डेटा,अनाधिकृत,पहु़ँच बिना अनुमति के प्रकटीकरण,और चोरी से सुरक्षित है।डेटा का सोशल मीडिया /साइबर सुरक्षा से तात्पर्य है कि व्यक्तिगत जानकारी,आपके भविष्य की योजनायें,जिसे आप अपने हिसाब से प्राप्त करना चाहते होंगे या आपके खातों से सम्बधित जानकारी जिससे लोग आपके बारे में जान सकते हैं।और गलत फायदा उठा सकते हैं।उस डाटा को सूरक्षित और सिर्फ आपकी जानकारी तक सीमित रखने से मतलब है।या ऐसे दस्तावेज जिनका खुलासा होने पर राष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान पहुंच सकता है। हम हर परिदृश्य में गोपनीयता की उम्मीद नहीं कर सकते हैं।लेकिन हम में से अधिकांश यह मानते हैं कि हमारे घरों में आराम से, या लैपटॉप और स्मार्टफोन जैसे व्यक्तिगत उपकरणों का उपयोग करते समय, हमारे पास कुछ हद तक गोपनीयता होती है।  यह स्तर स्वास्थ्य, संपत्ति, व्यक्तिगत सुरक्षा, संसाधन और रोजगार जैसी सुरक्षा आवश्यकताओं को संरक्षित  करने से है।  चूँकि गोपनीयता ...

सुभाष चन्द्र बोस जयन्ती क्यों पराक्रम दिवस?Subhash Chandra Bose

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  सुभाषचन्द्र बोस भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रणी तथा सबसे बड़े नेताओं मे से एक थे।  सुभास चन्द्र का जन्म 23 जनवरी 1897 कटक, ओड़िशा मे हुआ था। उनके माता का नाम प्रभावती  बोस और पिता का नाम जानकी नाथ बोस था। उनके पिता कटक में एक वकील थे और उन्हें राय बहादुर की उपाधि प्रताप थी। कलकत्ता विश्वविद्यालय (बीए, दर्शशास्त्र, 1919) कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय (मानसिक और नैतिक विज्ञान ट्रिपोस में बीए,किया।1920 मे उन्होने सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण की।1921 मे भारत मे राष्ट्रवाद के उथल - पुथल चला और उन्होंने अफनी उम्मीदवारी से इस्तीफा दे दिया।और भारत वापस आ गये। सुभाष चंद्र बोस ने असहयोग आंदोलन में शामिल होने का निर्णय लिया जो महात्मा गांधी द्वारा शुरू किया गया था। जिन्होंने कांग्रेस को एक शक्तिशाली  संगठन बनाया आंदोलन के दौरान उन्हें महात्मा गांधी ने चितरंजन दास के साथ काम करने की सलाह दी।  बाद मे वह बंगाल कांग्रेस स्वयंसेवकों के युवा शिक्षक और कमांडेंट बन गए। उन्होंने स्वराज समाचार पत्र शुरू किया 1927 में जेल से रिहा होने के बाद वे कांग्रेस पार्टी के महासचिव बने और स्वत...

मेघालय,मणिपुर,त्रिपुरा राज्य स्थापना दिवस Statehood of Meghalaya,Manipur,Tripura

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  भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र (पुनर्गठन)अधिनियम 1971 के तहत मणिपुर,मेघालय,और त्रिपुरा को 21 जनवरी 1972 को अलग राज्य का दर्जा दिया गया।इसीलिए इन तीनों राज्यों का स्थापना दिवस एक ही दिन 21 जनवरी को मनाया जाता है। भारत के पूर्वोत्तर मे सात राज्य हैं।इन सात राज्यों में 255,511 वर्ग किलोमीटर (98,653 वर्ग मील), यह भारत के कुल क्षेत्रफल का लगभग सात प्रतिशत के एक क्षेत्र को कवर किया हुआ है। वर्ष 2011 में 44,98 लाख की आबादी थी, जो कि भारत के कुल आबादी की  3.7 प्रतिशत थी। हालांकि वहाँ सात राज्यों के भीतर महान जातीय और धार्मिक विविधता है, लेकिन राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रों में समानता भी है।जब भारत 1947 में  स्वतंत्र हुआ, केवल तीन राज्यों क्षेत्र को कवर किया। मणिपुर और त्रिपुरा, रियासते थी। जबकि एक बहुत बड़ा हिस्सा असम प्रांत प्रत्यक्ष रूप से ब्रिटिश शासन के अधीन था। इसकी राजधानी शिलांग (मेघालय थी। वर्ष 1963 में नागालैंड अलग राज्य बना, नागालैंड की तर्ज पर  वर्ष 1972 में मेघालय भी एक राज्य बन गया। मिजोरम 1972 में एक केंद्र शासित प्रदेश बन गया, और 1987 में ही अरुणाचल प्रदे...

राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया दिवस क्या है?National Disaster Response day

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  प्राकृतिक आपदा किसी सामुदायिक क्षेत्र में उत्पन्न गम्भीर ब्यवधान प्राकृतिक रूप से होने वाली तीव्र शुरुआत वाली घटना के प्रभाव से जो मौत ,चोट,संपत्ति या पर्यावरण को नुकसान पहुँचाती है।या उसका कारण बनती है।और जिसके लिए महत्वपूर्ण और समन्वित,सामुदायिक प्रतिक्रिया की आवश्यकता होती है।उसे राष्ट्रीय आपदा कहते हैं। भारत का राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया दिवस 19 जनवरी को मनाया जाता है। 19 जनवरी 2024-एनडीआरफ  देश मे हर संकट और किसी भी तरह की आपदा की स्थिति में अपना पूरा योगदान देता है।और अन्य देशों में आपदा के समय सहायता प्रदान करने के साथ भारत और  विभिन्न देशों के सुरक्षा बलों को प्रशिक्षण भी प्रदान करता है। स्वच्छ भारत, स्वच्छ भारत अभियान,स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम बीमारी की रोकथाम एवं मित्र जागरूकता कार्यक्रम बाल कुपोषण, जागरूकता कार्यक्रम में भी एनडीआरएफ सहायता प्रदान करता आ रहा है।एनडीआरएफ को राज्य आपदा प्रतिक्रिया पर एसडीआरएफ के साथ में काम करने और आपदाग्रस्त क्षेत्र के पास उपलब्ध संसाधनों और उपकरणों की जानकारी एकत्र करने हेतु निर्देशित किया जाता है। बचाव कार्य को देखते हुए भ...

गुरु गोविन्दसिंह जी की जयन्ती अंग्रेजी कलेण्डर मे क्यों बदलती रहती है?Guru govind singh birth day

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  पौष माह की सप्तमी तिथि पर सिक्खों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती मनाई जाती है। इस साल कल यानी 17 जनवरी को गुरु गोविंद सिंह जी की जयंती मनाई जा रही है। गुरु गोविंद सिंह जी सिक्ख धर्म के दसवें और आखिरी गुरु थे। वे सिख धर्म के 9वें गुरु तेगबहादुर के पुत्र थे। सिख धर्म में गुरु गोबिंद सिंह का महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है। गुरु गोविंद सिंह जी महाराज ने सिक्ख धर्म के लिए कई नियम बनाए, जिसका पालन आज भी किया जाता है। उन्होंने गुरु ग्रंथ साहिब को गुरु के रूप में स्थापित किया किया और सामाजिक समानता का पुरजोर समर्थन किया। गुरु गोविंद सिंह जी अपने जीवनकाल में हमेशा दमन और भेदभाव के खिलाफ खड़े रहे, गुरु गोविंद सिंह जी के जीवन के बारे में खास बातें. नानकशाही कैलेंडर के अनुसार प्रत्येक वर्ष पौष माह की सप्तमी तिथि को ही गुरुगोविन्दसिंह की जयन्ती मनायी जाती है। वहीं अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 22 दिसंबर 1666 में गुरु गोबिंद सिंह का जन्म हुआ था। नानकशाही कैलेंडर को देखते हुए पौष सप्तमी पर ही इनकी जयंती मनाई जाती है।इसीलिज हर वर्ष अंग्रेजी कलेण्डर मे गुरु गोविन्दसिंह जी की तिथि बदलती ...

भारतीय सेना विश्व की सर्वश्रेष्ठ सेनाओं मे से एक कैसे?Indian Army day

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  आज भारतीय सेना विश्व की सर्वश्रेष्ठ सेनाओं मे से एक है।क्योंकि वह देश की सेवा मे समर्पित और अनुशासित है।भारतीय सेना की शुरुआत 1अप्रैल 1895 में हुई थी। तब भारत मे अंग्रेजों की हुकूमत थी। भारतीय सेना की शुरुआत ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना से हुई थी, जिसे बाद में 'ब्रिटिश भारतीय सेना' के नाम से जाना गया। आखिरकार, स्वतंत्रता के बाद, इसे राष्ट्रीय सेना के रूप में जाना जाने लगा।  भारत ने लगभग 200 साल के ब्रिटिश शासन के बाद 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्रता प्राप्त की थी। उस समय देश सांप्रदायिक दंगों से गुजर रहा था, शरणार्थी पाकिस्तान से आ रहे थे और कुछ लोग पाकिस्तान की ओर पलायन कर रहे थे। इस तरह के अराजकतापूर्ण माहौल के कारण कई प्रशासनिक समस्याएं उभरने लगीं। तब सेना को स्थिति नियंत्रित करने के लिए आगे आना पड़ा ताकि विभाजन के दौरान शांति सुनिश्चित की जा सके। इसके बाद एक तारीख चुनी गई 15 जनवरी।बाद मे 15 जनवरी1949 मे फील्ड मार्शल करिअप्पा पहले सेना प्रमुख बने थे।इसलिए यह तरीख बाद के दिनों में और भी खास हो गई। यह दिन हमारे सैनिकों के बलिदान और राष्ट्र की रक्षा के लिए उनकी प्रतिबद्धता का सम्मा...

भारत मे मकर संक्रान्ति क्यों और किस-किस नाम से मनाते हैं? Makar sankranti

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  इस साल मकर संक्रांति 15 जनवरी को है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब सूर्य देव मकर राशि मे प्रवेश करते हैं। तो उस दिन मकर संक्रान्ति मनायी जाती है। मकर संक्रान्ति संस्कृति और धर्म का पर्व, इससे  देश एकता के सू्त्र में बंधता है। हर साल 14-15 जनवरी को धनु से मकर राशि व दक्षिणायन से उत्तरायण में सूर्य के प्रवेश के साथ यह पर्व संपूर्ण भारत सहित विदेशों में भी अलग-अलग नामों से मनाया जाता है।   पंजाब व जम्मू-कश्मीर में 'लोहड़ी' के नाम से प्रचलित यह पर्व भगवान बाल कृष्ण के द्वारा 'लोहिता' नामक राक्षसी के वध की खुशी में मनाया जाता है। इस दिन पंजाबी लोग जगह-जगह अलाव जलाकर उसके चहुंओर भांगड़ा नृत्य कर अपनी खुशी जाहिर करते हैं। व पांच वस्तुएं तिल, गुड़, मक्का, मूंगफली व गजक से बने प्रसाद की अग्नि में आहुति प्रदान करते हैं।  भारतीय संस्कृति में त्योहारों, मेलों, उत्सवों व पर्वों का महत्वपूर्ण स्थान है। भारत दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है, जहां हर दिन कोई न कोई त्योहार मनाया जाता है।  यभारत मे त्योहार और मेले ही हैं जो हमारे जीवन में नवीन ऊर्जा का संचार करने के साथ परस्पर प्...

विश्व हिन्दी दिवस क्यों मनाते हैं?World Hindi diwas

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  10 जनवरी को विश्व हिन्दी  दिवस मनाया जाता है।जबकि 14 सितम्बर को राष्ट्रीय हिन्दी दिवस मनाया जाता है।हिन्दी विश्व मे सर्वाधिक बोली जाने वाली 5 भाषाओं मे से एक है।भारत कई राज भाषाओं और लिपियों से समृद्ध देश है।यहाँ कई भाषायें बोली जाती हैं। भारत मे आधे से ज्यादा प्रदेशों मे हिन्दी बोली जाती है।भारत मे हिन्दी अधिकतर लोगों की मातृ भाषा है।और यह समाज देश को जोड़ती है। हिन्दी भारत की एकता और विविधता का प्रतीक है।  यह देशभक्ति,संस्कृति और समृद्धि का प्रतीक है।यह हमारे सविंधान की आधिकारिक भाषा है।हिन्दी भाषा भारत के साथ-साथ विदेशों में बसे भारतीयों को भी अपनी एक अलग पहचान दिलाती है।हिंदी को खास दर्जा दिलाने के लिए हर साल 10 जनवरी के दिन विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है।  भारत एक ऐसा देश है, जहां बातचीत के लिए कई तरह की भाषाओं का प्रयोग किया जाता है, लेकिन हिंदी एक ऐसी भाषा है जो ज्यादातर भारतीयों को एक डोर में जोड़े रखती है।अब इसके विश्व स्तर पर बडे़ पैमाने पर प्रचार -प्रसार की जरुरत है।आज के समय में भले ही ज्यादातर लोगों का झुकाव अंग्रेजी की तरफ हो गया है। परन्तु वर्तमान सम...

श्री राम जन्मभूमि का इतिहास क्या है?पूरा विश्व क्यों राममयी

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  जम्बू द्वीपे भरत खण्डे आर्यावृत्ते भारतवर्षे एक नगरी है विख्यात अयोध्यानाम की। यहाँ प्राण प्रतिष्ठा है।श्री राम लला की।यहाँ स्वागत है। मानव विश्व कुटुम्ब की। 22 जनवरी 2024 को अयोध्या मे श्री रामलला प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम पूरे विश्व के आस्था का केन्द्र बना है।और बने भी क्यों न क्योंकि भगवान श्री राम सारे ब्रह्माण्ड के अराध्य हैं।जैसे- जैसे 22 जनवरी की तिथि नजदीक आ रही है।समाज,देश विदेश राममय होता जा रहा है।देशभर मे रामभक्त कार्यकर्ता और समाज उत्साह व उमंग के साथ तैयारियों मे जुटा है। उत्साह और उमंग की यह लहर विदेशों तक भी पहुँच रही है।अमेरिका मे रहने वाले प्रवासी भारतीय पिछले एक माह से मन्दिरोत्सव मना रहे हैं। कार रैली के साथ शुरू हुआ।अमेरिकी भारतीयों का यह उत्सव 22 जनवरी 2024 तक जारी  रहने वाला है।सनातन समाज के लिए यह दिन 500 वर्ष बाद आया है।जब 1528 मे बाबर के हुक्म पर उसके  सिपहसलार मीर बाकी ने श्रीराम जन्म स्थान पर बने मन्दिर को ध्वस्तकर वहाँ मस्जिद बना दी। तब से सनातनी समाज अपने अराध्य श्री राम के मन्दिर की मुक्ति के लिए निरन्तर संघर्षरत रहा है।इतिहास बताता है कि ...

उत्तराखण्ड मे पलायन रोकने और स्वरोजगार हेतु क्या करे? Palayan in uttrakhand

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  उत्तराखण्ड मे बागवानीऔर नगदी फसलों के उत्पादन को बढावा दिया जाना चाहिए।आज उत्तराखंड में परंपरागत फसलों के उत्पादन और खेती किसानी के तौर तरीकों में बदलाव आया है।कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाली नगदी फसलों की तरफ नई पीढ़ी का रुझान बढ रहा है। पढ़े लिखे युवा भी खेती किसानी को आजीविका का साधन बना रहे हैं। कृषि एवं बागवानी आधारित उत्पादों की मांग ने मार्केटिंग में प्रदेश में कई स्टार्टअप काम शुरु किये हैं। प्रदेश में कुल कृषि क्षेत्रफल 6.41 लाख हेक्टेयर है इसमें 3.28 लाख हेक्टेयर पर्वतीय और 2.93 लाख हेक्टेयर मैदानी क्षेत्र में आता है। राज्य गठन से पहले पर्वतीय भू-भाग वाले उत्तराखंड में किसान परंपरागत मोटे अनाजों की खेती करते थे।  पहाड़ों में बिखरी कृषि जोत होने से खेती पर लागत अधिक होने, जंगली जानवरों और बंदरों की समस्या सिंचाई का अभाव समेत किसानों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता था। यही वजह है कि राज्य गठन के बाद प्रदेश में कृषि क्षेत्रफल में कमी आई है। खेती किसानी में मुनाफा कम होने से किसान खेती छोड़कर पलायन करने लगे। कृषि विभाग के आंकड़े बताते हैं कि 2001 में परती भूमि(...

भारत की पहली महिला शिक्षिका सावित्री बाई फुले का संघर्ष क्या था?Savitribai phule

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  सावित्रीबाई फुले भारत की पहली महिला शिक्षिका का जन्म 3 जनवरी 1831को नायगांव,अब सतारा जिला, महाराष्ट्र मे हुआ था। उनके पिता का नाम खन्दोजी नैवेसे और माता का नाम लक्ष्मीबाई था। मात्र 9 साल मे उनकी शादी 13 साल के ज्योतिराव फुले से हो गयी थी। शिक्षा के लिए उनको कई संघर्षों का सामना करना पडा़ जब वह पढने स्कूल जाती थी।तो लोग उनको पत्थर मारते थे।उनके ऊपर कूडा़ ,कीचड़ फेंका जाता था। लेकिन सावित्री बाई ने हिम्मत नहीं हारी।वह महाराष्ट्र की एक भारतीय समाज सुधारक, शिक्षाविद्, गर्भपात विरोधी और कवियत्री थीं। अपने पति ज्योतिराव फुले के साथ उन्होंने ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में महिलाओं के अधिकारों को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । फुले और उनके पति ने 1848 में पुणे में भिडे वाडा में भारत द्वारा संचालित पहला गर्ल्स स्कूल स्थापित किया। उन्होंने जाति और लिंग के आधार पर लोगों के साथ होने वाले भेदभाव और अनुचित व्यवहार को खत्म करने के लिए काम किया। उन्हें महाराष्ट्र में सामाजिक सुधार आंदोलन की एक महत्वपूर्ण हस्ती माना जाता है। 1858 मे उनके बढते कदम को ब्रिटिश सरकार ने उनके 3 विद्यालय बन्द...