विश्व मानवाधिकार दिवस क्या है?International Human Rights Day
विश्व मानवाधिकार दिवस हर साल 10 दिसम्बर को मनाया जाता है।1948 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रस्ताव 423(वी)पारित करके मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा की थी।और 10 दिसम्बर 1950 को विश्व मानवाधिकार दिवस के रूप मे शामिल करने का आग्रह किया गया था। फिर दिसम्बर 1993 से इसे मानवधिकार दिवस के रुप मे हर साल मनाने की घोषणा हुई।
मानव आधिकार क्या हैं----
किसी भी मनुष्य को स्वतन्त्रता और सम्मान पूर्वक जीवन जीने का अधिकार है। दुनियाभर मे अलग-अलग नस्ल,रंग,लिंग,भाषा,धर्म राजनीति या अन्य विचार के आधार पर भेद-भाव न हो।अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून ऐसे दायित्व निर्धारित करता है जिनका सम्मान करने के लिए राज्य बाध्य हो मानव अधिकारों के प्रकारों की कोई निश्चित संख्या नहीं है।इसमे समय के साथ बदलाव होता रहता है।इनमे प्राकृतिक अधिकार,नैतिक अधिकार,कानूनी अधिकार,नागरिक अधिकार,मौलिक अधिकार,सांस्कृतिक,सामाजिक,और आर्थिक अधिकार जीवन और स्वतन्त्रता का अधिकार,गुलामी और यातना से मुक्ति ,राय और अभिब्यक्ति की स्वतन्त्रता,काम और शिक्षा का आधिकार, संगठित होने का अधिकार,आदि अधिकार शामिल हैं।
मानवाधिकार का हनन--
किसी भी ब्यक्ति को दूसरे का हक छीनने का अधिकार नहीं है और इस नियम का उल्लंघन करना ही मानवाधिकार का हनन है। मानवाधिकार अन्तर्राष्ट्रीय मानकों पर निहित है।और विभिन्न माध्यमों से शिक्षा प्रदान करने जैसे मानवाधिकारों के क्षेत्र मे कार्य करते हैं।शिक्षा प्रणाली,सूचना सलाहकार,और तकनीकी सहायता वे नये मानदण्डों के विकास मे सहायता करके मानवाधिकारों और संधि निगरानी निकायों का समर्थन करते हैं।
विश्वमानवाधिकार 2023 की थीम--सभी के लिए स्वतन्त्रता,समानता और न्याय
मानवाधिकार परिषद-वर्ष 2006 मे सयुक्त राष्ट्र महासभा ने मानवाधिकार आयोग पर आयोग को समाप्त करके उसे मानवाधिकार परिषद मे बदल दिया।आयोग ध्रुवीक्रत,उग्र और अन्तहीन बहस का विषय बन गया था। परिषद आयोग की तुलना मे छैटी है।और सीधे महासभा को रिपोर्ट करती है।इसमे महासभा द्वारा 3 साल की अवधि के लिए राज्यों से निर्वाचित 47 सदस्य हैं।
सार्वभौमिक आवधिक समीक्षा--सार्वभौमिक आवधिक समीक्षा मानवाधिकार परिषद का सबसे महत्वपूर्ण निगरानी साधन है।इस प्रक्रिया के अन्तर्गत 4 साल मे एक बार हर देश मे मानव अधिकारों की स्थिति की समीक्षा की जाती है। विश्वभर मे लगभग 150 से अधिक देशों ने (एन एच आर आई एस) की स्थापना की है।
भारत की स्थिति-- भारत के मानव अधिकारों की छवि आमतौर पर अच्छी है।कुछ गैर सरकारी संगठनों ने कश्मीर मे मानवाधिकारों को एक मुद्दा बनाया है।पश्चिमी देश के मिशनरियों द्वारा धर्मान्तरण पर किसी भी प्रतिबन्ध को धर्म की स्वतन्त्रता पर प्रतिबन्ध मानते हैं। जो उनके विचारकों द्वारा बनाये गये धर्म की स्वतन्त्रता सूचकांक मे भारत की रेटिंग को कम करता है। आज भारत ने विकास को मानव विकास में शामिल करने और अपनी सांस्कृतिक विरासत की मूल मानव अधिकारों सहित आधुनिक विचारों से मिलाने के रूप में नए सिरे से परिभाषित किया है। धार्मिक कट्टरवाद, और अन्य प्रगति विरोध बलों के हमले के अंतर्गत यह प्रवृत्ति कमजोर हो रही है। देश के भीतर और बाहर दोनों ओर से इसका मुकाबला करने की जरूरत है। मानव अधिकारों की प्रगति में अड़चनों और अंतर्राष्ट्रीय यंत्र में खामियों के बावजूद भी पिछली आधी सदी दुनिया के मानवाधिकारों को बढ़ावा देने में हुई जबरदस्त प्रगति को पहचाना जा सकता है।