परमवीर चक्र निर्मलजीत सिंह सेखो ने पाकिस्तान के 1971 मे कैसे तीन जेट गिराये?Nirmaljeet singh shekho paramveer chakra

 


भारत वीरों का  देश है।यहाँ अनेक वीरों ने जन्म लिया और आजादी से लेकर कई युद्धों तक अनगिनत वीर जवान देश के लिए शहीद हुए हैं।इनमे से एक थे।

परमवीर चक्र फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों, सेखो  ने 1971 में पाकिस्तान के विरुद्ध लड़ते हुए वीरगति पाई.सेखो का जन्म 17 जुलाई 1943 को पंजाब के लुधियाना मे हुआ था।उनके पिता तारलोचनसिंह भी ऐअरफोर्स मे थे।24 साल की उम्र मे वे भारतीय वायुसेना मे 1967 को पायलट बने।4 साल बाद वे फ्लाईंग अफसर बन गये।1971 मे उनकी शादी मंजीत कौर नाम की लड़की से हुई। शादी के कुछ दिन बाद पत्नी के हाथो की मेंहदी भी न छूटी थी। कि 3 दिसम्बर1971 को बार्डर से खबर मिली कि भारत पाकिस्तान का युद्ध छिड़ गया है।बस सेखो देश की सुरक्षा का वादा पूरा करने के लिए निकल पडे़।

इस युद्ध में भारत विजयी हुआ और पाकिस्तान से टूटकर उसका पूर्वी हिस्सा, बांग्लादेश के नाम से स्वतंत्र राष्ट्र बन गया. उस समय निर्मलजीत सिंह श्रीनगर वायुसेना के हवाई अड्डे पर तैनात थे और नेट हवाई जहाजो पर अपने करिश्मे के लिए निर्मलजीत सिंह उस्ताद माने जाते थे.


14 दिसम्बर 1971 को श्रीनगर एयरफील्ड पर पाकिस्तान के 6 सैबर जेट विमानों ने हमला किया था। सुरक्षा टुकड़ी की कमान संभालते हुए फ़्लाइंग ऑफ़िसर निर्मलजीत सिंह वहाँ पर 18 नेट स्क्वाड्रन के साथ तैनात थे। दुश्मन F-86 सेबर जेट वेमानों के साथ आया था। उस समय निर्मलजीत के साथ फ्लाइंग लैफ्टिनेंट घुम्मन भी कमर कस कर मौजूद थे। एयरफील्ड में एकदम सवेरे काफ़ी धुँध थी। सुबह 8 बजकर 2 मिनट पर चेतावनी मिली थी कि दुश्मन आक्रमण पर है। निर्मलसिंह तथा घुम्मन ने तुरंत अपने उड़ जाने का संकेत दिया और उत्तर की प्रतीक्षा में दस सेकेण्ड के बाद बिना उत्तर उड़ जाने का निर्णय लिया। ठीक 8 बजकर 4 मीनट पर दोनों वायु सेना-अधिकारी दुश्मन का सामना करने के लिए आसमान में थे।


उस समय दुश्मन का पहला F-86 सेबर जेट एयर फील्ड पर गोता लगाने की तैयारी कर रहा था। एयर फील्ड से पहले घुम्मन के जहाज ने रन वे छोड़ा था। उसके बाद जैसे ही निर्मलजीत सिंह का नेट उड़ा, रन वे पर उनके ठीक पीछे एक बम आकर गिरा। घुम्मन उस समय खुद एक सेबर जेट का पीछा कर रहे थे। सेखों ने हवा में आकर दो सेबर जेट विमानों का सामना किया, इनमें से एक जहाज वही था, जिसने एयरफिल्ट पर बम गिराया था। बम गिरने के बाद एयर फील्ड से कॉम्बैट एयर पेट्रोल का सम्पर्क सेखों तथा घुम्मन से टूट गया था। सारी एयरफिल्ड धुएँ और धूल से भर गई थी, जो उस बम विस्फोट का परिणाम थी। इस सबके कारण दूर तक देख पाना कठिन था। तभी फ्लाइट कमाण्डर स्क्वाड्रन लीडर पठानिया को नजर आया कि कोई दो हवाई जहाज मुठभेड़ की तैयारी में हैं। घुम्मन ने भी इस बात की कोशिश की, कि वह निर्मलजीत सिंह की मदद के लिए वहाँ पहुँच सकें लेकिन यह सम्भव नहीं हो सका। तभी रेडियो संचार व्यवस्था से निर्मलजीत सिंह की आवाज़ सुनाई पड़ी...


'मैं दो सेबर जेट जहाजों के पीछे हूँ...मैं उन्हें जाने नहीं दूँगा...'


उसके कुछ ही क्षण बाद नेट से आक्रमण की आवाज़ आसमान में गूँजी और एक सेबर जेट आग में जलता हुआ गिरता नजर आया। तभी निर्मलजीत सिंह सेखों ने अपना सन्देश प्रसारित किया:

मैं मुकाबले पर हूँ और मुझे मजा आ रहा है। मेरे इर्द-गिर्द दुश्मन के दो सेबर जेट हैं। मैं एक का ही पीछा कर रहा हूँ, दूसरा मेरे साथ-साथ चल रहा है।'


इस सन्देश के जवाब में स्क्वेड्रन लीडर पठानिया ने निर्मलजित सिंह को कुछ सुरक्षा सम्बन्धी हिदायत दी, जिसे उन्होंने पहले ही पूरा कर लिया था। इसके बाद नेट से एक और धमाका हुआ जिसके साथ दुश्मन के सेबर जेट के ध्वस्त होने की आवाज़ भी आई। अभी निर्मलजीत सिंह को कुछ और भी करना बाकी था, उनका निशाना फिर लगा और एक बड़े धमाके के साथ तीसरा सेबर जेट भी ढेर हो गया। जो भारत के के ऐअर बेस पर बमबारी कर रहा था।इस प्रकार से सेखो ने पाकिस्तान के 3 विमान गिराये कुछ देर की शांति के बाद फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों का सन्देश फिर सुना गया। उन्होंने कहा-

शायद मेरा नेट भी निशाने पर आ गया है... घुम्मन, अब तुम मोर्चा संभालो।'

यह निर्मलजीत सिंह का अंतिम सन्देश था। अपना काम पूरा करके वह वीरगति को प्राप्त हो गए। उनके अद्भुत शौर्य के लिए उन्हें मरणोपरांत निर्मल जीत सिझह सेखो को भारत सरकार ने परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।

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