1जनवरी को भारतीय संस्कृति मे नववर्ष क्यों नहीं मनाते?
1जनवरी को ईसाई नववर्ष की शुरुआत होती है।क्योंकि विश्व मे ईसाई राष्ट्र बहुसंख्यक हैं।और उन्होने विश्व के अनेक राष्ट्रों पर राज किया है।इसलिए उनकी संस्कृति का प्रभाव पूरी दुनिया मे है।लेकिन विश्व मे बहुत से देश ऐसे हैं जो अपनी संस्कृति के अनुरूप नया साल मनाते हैं।उनमे से भारत भी है।भारतीय संस्कृति विश्व मे सबसे प्राचीन संस्कृति है।भारतीय संस्कृति के अनुसार नये वर्ष की शुरूआत चैत्र मास के शुक्ल प्रतिपदा से होती है।यह पृथ्वी के निर्माण का दिन है।भारतीय संस्कृति शाश्वत है।और यहाँ हर वस्तु ईश्वर के विभिन्न रुपों से सम्बधित है। भारतीय जीवन पद्धति प्रकृति अनुरुप और वैज्ञानिक आधारित है। * न ऋतु बदली.. न मौसम * न कक्षा बदली... न सत्र * न फसल बदली...न खेती * न पेड़ पौधों की रंगत * न सूर्य चाँद सितारों की दिशा *ना ही नक्षत्र* फिर कैसा नया साल नया केवल एक दिन ही नही होता.. कुछ दिन तो नई अनुभूति होनी ही चाहिए। आखिर हमारा देश त्योहारों का देश है। ईस्वी साल वर्ष सत्र संवत का नया साल 1 जनवरी को और *भारतीय नववर्ष* (विक्रमी संवत) चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है। आईये देखते हैं दोनो...