करवा चौथ त्यौहार का इतिहास कब और क्यों मनाते है?Karwa chauth

 


भारतीय संस्कृति बहुत प्रकार के रीति-रिवाजों और त्योहारों से भरा पडा़ है।उनमे से करवा चौथ भी हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है।इस त्योहार को मनाने की परम्परायें सभी युगों मे और कालों के इतिहास मे मिलता है। भारतीय संस्कृति मे पति-पत्नी के बन्धन को सात जन्मों तक आत्माओं और शरीर का मिलन माना जाता है।करवा चौथ 

अटूट विश्वास,प्रेम,समर्पण,और बन्धन के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है। करवा चौथ का व्रत भारत के जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा,मध्य प्रदेश और राजस्थान में प्रमुख रूप से मनाया जाता है। यह कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। यह पर्व सौभाग्यवती सुहागिन स्त्रियां मनाती है।मान्यता है कि करवा चौथ अनादि काल से चला आ रहा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार करवा चौथ का व्रत माता गौरी ने भी  भगवान भोलेनाथ के लिए रखा था। इस दिन उन्होंने पूरे दिन निर्जल उपवास रखकर चांद को अर्ध दिया था।  एक अन्य मान्यता के अनुसार देव- दैत्य युद्ध के बाद जब सभी देवियाँ ब्रह्मदेव के पास पहुंची थी। और उनसे अपने पतियों की रक्षा के लिए सुझाव मांगा था।तब उन्होंने सभी देवियों को करवा चौथ के व्रत रखने की सलाह दी थी।


करवा चौथ का संबंध रामायण काल से भी जुड़ा हुआ है। और माता सीता ने भगवान श्री राम के लिए करवा चौथ का व्रत रखा था। उन्होंने कहा कि जब लंका पति रावण के द्वारा मां सीता का हरण किया गया था। तब उन्होंने अशोक वाटिका में रहते हुए भगवान श्री राम के लिए करवा चौथ का व्रत रखा था। अशोक वाटिका में रहते हुए माता सीता ने अन्न जल का त्याग कर दिया था। और तब सभी देवी देवता वहां प्रकट हुए  और उन्होंने माता-सीता को मनाया था तथा उन्हें खीर का भोग लगाया था। करवा चौथ का त्यौहार इतिहास और भावना दोनों से भरा हुआ है। 

पौराणिक मान्यताओं मे पतिव्रता सती के पति सत्यवान को लेने जब यमराज धरती पर आए तो सत्यवान की पत्नी ने यमराज से अपने पति के प्राण वापस मांगने की प्रार्थना की। उसने यमराज से कहा कि वह उसके सुहाग को वापस लौटा दे।

 पौराणिक कथा यह भी है कि एक करवा नाम की पतिव्रता स्त्री थी। उनके पति एक दिन नदी में स्नान करने गये तो नहाते समय एक मगरमच्छ ने उसका पैर पकड़ लिया उसने अपनी पत्नी करवा को सहायता के लिए बुलाया करवा के तपोबल मे काफी बल था। नदी के तट पर अपने पति के पास पहुंचकर अपने तपोबल से उसने मगरमच्छ को बांध दिया फिर करवा मगरमच्छ को लेकर यमराज के पास पहुंची। यमराज ने करवा से पूछा की देवी आप यहां क्या कर रही हैं?और आप चाहती क्या हैं? करवा ने यमराज से कहा कि इस मगर ने मेरे पति के पैर को पकड़ लिया था। इसलिए आप अपनी शक्ति से  इसको मृत्युदंड दें।और उसको नरक में ले जाएं।यमराज ने करवा से कहा कि अभी इस मगर की आयु है। इसलिए वह समय से पहले मगर को मृत्यु दंड नहीं दे सकता?इस पर करवा ने कहा की अगर आप मगर को मारकर मेरे पति को चिराआयु का वरदान नहीं देंगे तो मैं अपने तपोबल के माध्यम से आपको ही नष्ट कर दूंँगी। करवा माता की बात सुनकर यमराज के पास खड़े चित्रगुप्त सोच में पड़ गये क्योंकि करवा के सतीत्व के कारण ना तो वह उनको श्राप दे सकते थे। और ना ही उसके वचन को अनदेखा कर सकते थे।तब उन्होंने मगर को ही यमलोक भेज दिया।और उसके पति को चिरायु का आशीर्वाद दे दिया। साथ ही चित्रकूट ने भी करवा को आशीर्वाद दिया कि तुम्हारा जीवन सुख समृद्धि से भरपूर होगा चित्रगुप्त ने कहा कि जिस तरह तुमने अपने तपोबल से अपने पति के प्राणों की रक्षा की है उससे मैं बहुत प्रसन्न हूंँ। मैं वरदान देता हूं कि आज की तिथि के दिन जो भी महिला पूर्ण विश्वास के साथ तुम्हारा व्रत और पूजन करेंगे उसके शुहाग की रक्षा मैं करूंगा।उस दिन कार्तिक मास की चतुर्थी होने के कारण करवा और चौथ मिलन से इसका नाम करवा चौथ पड़ा इस तरह मां करवा पहली महिला है जिन्होंने सुहाग की रक्षा के लिए न केवल व्रत किया बल्कि करवा चौथ की शुरुआत भी की थी। द्वापर मे भगवान श्री कृष्ण के कहने पर द्रौपदी ने भी इस व्रत को किया था। जिसका उल्लेख वाराह पुराण में मिलता है। सुहागिन महिलायें अपने पति के सुख- समृद्धि, स्वस्थ और चिरायु के लिए करवा चौथ व्रत में महादेव, माता पार्वती, गौरी पुत्र गणेश,और चंद्रमा की पूजा पूरी विधि विधान से करते है।

Popular posts from this blog

वक्फ बोर्ड क्या है? वक्फ बोर्ड में संशोधन क्यों जरूरी?2024 Waqf Board

सात युद्ध लड़ने वाली बीरबाला तीलू रौतेली का जन्म कब हुआ?Veerbala Teelu Rauteli

संघ(RSS) के कार्यक्रमों में अब सरकारी कर्मचारी क्यों शामिल हो सकेंगे? Now goverment employees are also included in the programs of RSS