अन्तर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस क्यों मनाते हैं?International mens day

 


अंतर्राष्ट्रीय पुरूष दिवस की शुरूआत (त्रिनिनाद,एवं टोबैगो) वैस्टइंडीज वि विद्यालय मे इतिहास के प्रोफेसर डा जेरोम तिलकसिंह ने अपने पिता का सम्मान करने के लिए पुरूष दिवस के लिए 19 नवम्बर की तारीख चुनी।तब से यह दिन अन्तर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस के रूप मे 100 से अधिक देशों मे मनाया जा रहा है। इसे संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी सराहा है।और इसकी आवश्यकता पर बल दिया है। विश्वभर मे पुरुषों के कार्यों,मानव समाज मे उनकी अहमियतता,उनके सकारात्मक गुणों की सराहना,पुरुषों के साथ होने वाले भेदभाव,शोषण,उत्पीड़न,हिंसा,असमानता,के खिलाफ आवाज उठाने,और उन्हें उनके अधिकार दिलाने का दिन है। अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस नकारात्मक लिंग रुढिवादिता के बजाय पुरुष पहचान के सकारात्मक पहलुओं को बढ़ावा देता है। यह दिन पुरुषों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य और सकारात्मक मर्दानगी के महत्व को उजागर करता है।भारत मे मेन्स डे की शु़रुआत महिलाओं ने ही की।हैदराबाद की उमा चल्ला ने इसकी शुरुआत की। अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस यह याद दिलाने के लिए मनाया जाता है कि सभी पुरुष अलग-अलग है। लेकिन उनकी सराहना की जानी चाहिए। और उनके योगदानों के लिए भी एक दिन सेलिब्रेट किया जाना चाहिए। यह पुरुषों के उस दबाव को कम करने का दिन है जो समाज द्वारा उन पर लगातार डाला जाता है।कि समाज उनसे यह अपेक्षा करता है। कि पुरुष मजबूत होता है।वह जीवन बिना सहायता मांगे जी सकता है।लेकिन यह गलत है। पुरुष को भी हर दुखः और सुख का सामना करना पड़ता है।वह अपनी जिम्मेदारी को लेकर पारिवारिक और सामाजिक कार्यों मे बिना सहयोग के नहीं चल सकता है। समाज उनसे अपेक्षा करता है। कि वे प्रदाता हों।मजबूत हों और मदद न मांगे। पुरुष दिवस इन रुढियों को तोड़ने और पुरुषत्व को सकारात्मक रुप से परिभाषित करने का है।यह दिवस लैंगिक समानता को बढावा देना,पुरुषों के रोल माँडल को बढावा देना,समाज, समुदाय,परिवार,विवाह,बच्चों की देखभाल,और पर्यावरण के लिए पुरूषो के सकारात्मक योगदान को सम्मान देने के लिए है।, यह दिवस पुरुषों के स्वास्थ्य, सामाजिक,भावनात्मक,शारीरिक,और अध्यात्मिक तौर पर बल देता है।।पुरूषों के खिलाफ,भेदभाव,को रोकना,और एक सुरक्षित,संतुलित, दुनिया बनाना। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य है।

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