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Showing posts from November, 2023

साइबर सुरक्षा क्या और कैसे करें?CYBER SAFETY

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  साइबर सुरक्षा का तात्पर्य आनलाइन स्पेस की सुरक्षा से है। साइबर हमलोंं के जोखिम को कम करना और सिस्टम नेटवर्क,और प्रौद्यौगिकियों के अनाधिकृत शोषण से रक्षा करना है।साइबर सुरक्षा सिस्टम,नेटवर्क, प्रोग्राम डिवाइस, और डेटा को साइबर हमलों से बचाने के लिए प्रौद्योगिकियों के अनाधिकृत शोषण से रक्षा करना है। या ये कह सकते हैं साइबर सुरक्षा कम्यूटर सर्वर मोबाइल डिवाइस,इलेक्ट्रानिक सिस्टम नेटवर्क और डेटा को दुर्भाग्यपूर्ण हमलों से बचाने का अभ्यास है।  साइबर खतरों के प्रकार  1-साइबर अपराध में वित्तीय लाभ के लिए या ब्यवधान उत्पन्न करने के लिए सिस्टम को लक्षित करने वाले एकल व्यक्ति या समूह शामिल होते हैं। 2-साइबर हमले मे अक्सर राजनीति से प्रेरित जानकारी एकत्र करना शामिल होता है। 3-साइबरआतंकवाद का उद्देश्य दहशत या भय पैदा करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम को कमजोर करना है।  साइबर अपराधी कंप्यूटर सिस्टम पर नियन्त्रण कैसे हासिल करते है? मेलवेयर यह सबसे आम साइबर खतरों मे से एक है।मेलवेयर वह साफ्टवेयर है जिसे किसी साइबर अपराधी या हैकर ने किसी वैध उपयोग कर्ता के कम्यूटर को बाधित करने या क...

भारत मे टेलीविजन का इतिहास और विश्व टेलीविजन दिवसWorld Television Day

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  विश्व टेलीविजन दिवस हर साल 21 नवम्बर को मनाया जाता है। संचार और वैश्वीकरण में टेलीविजन के  महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए इसके महत्व को रेखांकित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा टेलीविजन की जरूरत को महसूस किया गया और आम लोगों की जिंदगी में टेलीविजन के पड़ते प्रभाव को देखते हुए आखिरकार टेलीविजन के आविष्कार के करीब सात दशक बाद टेलीविजन दिवस मनाने की घोषणा संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1996 में की थी।तब से हर साल 21 नवंबर को विश्व टेलीविजन दिवस मनाया जाता है।इस दिवस को मनाने का उद्देश्य है विश्वभर में टेलीविजन के महत्व को बताना। टेलीविजन एक ऐसा माध्यम है।जो लोगों को मनोरंजन, शिक्षा और सूचना प्रदान करता है। लोगों को दुनिया भर से जुड़ने और एक दूसरे के बारे में जानने और संस्कृतियों,रीति- रिवाजों,दुनिया मे हो रही घटनाओं,और मानव सभ्यताओं के विकास में मदद करता है। टेलीविजन अविष्कार को सूचना के क्षेत्र में एक ऐसी क्रांति का आविष्कार माना गया है। जिसे हम घर बैठे ही विश्व मे हो रही घटनाओं को लाइव देख सकते हैं। टेलीविजन दिवस के अवसर पर दुनिया भर में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इन का...

अन्तर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस क्यों मनाते हैं?International mens day

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  अंतर्राष्ट्रीय पुरूष दिवस की शुरूआत (त्रिनिनाद,एवं टोबैगो) वैस्टइंडीज वि विद्यालय मे इतिहास के प्रोफेसर डा जेरोम तिलकसिंह ने अपने पिता का सम्मान करने के लिए पुरूष दिवस के लिए 19 नवम्बर की तारीख चुनी।तब से यह दिन अन्तर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस के रूप मे 100 से अधिक देशों मे मनाया जा रहा है। इसे संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी सराहा है।और इसकी आवश्यकता पर बल दिया है। विश्वभर मे पुरुषों के कार्यों,मानव समाज मे उनकी अहमियतता,उनके सकारात्मक गुणों की सराहना,पुरुषों के साथ होने वाले भेदभाव,शोषण,उत्पीड़न,हिंसा,असमानता,के खिलाफ आवाज उठाने,और उन्हें उनके अधिकार दिलाने का दिन है। अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस नकारात्मक लिंग रुढिवादिता के बजाय पुरुष पहचान के सकारात्मक पहलुओं को बढ़ावा देता है। यह दिन पुरुषों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य और सकारात्मक मर्दानगी के महत्व को उजागर करता है।भारत मे मेन्स डे की शु़रुआत महिलाओं ने ही की।हैदराबाद की उमा चल्ला ने इसकी शुरुआत की। अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस यह याद दिलाने के लिए मनाया जाता है कि सभी पुरुष अलग-अलग है। लेकिन उनकी सराहना की जानी चाहिए। और उनके योगदानों क...

बीराँगना लक्ष्मी बाई ने अंग्रेजों के आगे समर्पण की बजाय युद्ध क्यों चुना ? Why did brave woman Lakshmi Bai choose war instead of surrendering to the British?

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  रानी लक्ष्मी बाई का जन्म 19 नवंबर 1828 को वाराणसी में हुआ था। उनका बचपन का नाम मणिकर्णिका बाज था। उनके पिता का नाम मोरोपन्त ताम्बे और माता का नाम भागीरथी बाई था। जब लक्ष्मी बाई 4 वर्ष की थी तब उनकी माँ की मृत्यु हो गई।उनके पिता मराठा बाजीराव द्वित्तीय के दरबार मे सेवारत थे।बचपन मे ही उन्होंने शस्त्र और शास्त्र की शिक्षा घर पर ही ली।1842 मे  लक्ष्मीबाई का विवाह गंगाधर राव के साथ हुआ।बाद मे 1853 मे गंगाधर राव की मृत्यु के बाद वह  झांसी की रानी बनी। गंगाधर राव ने एक पुत्र को गोद लिया था। जिसका नाम दामोदर राव रखा गया था।और दामोदर राव को अपने वारिस के रुप मे रखा गया। उस समय लार्ड डलहौजी ने यह  नियम बनाया था। कि जिस राज्य के राजा की मृत्यु होगी वह राज्य स्वतः ही अंग्रेजी हुकूमत मे विलय हो जायेगा। जिसका नाम हड़प नीति से जाना जाता है।अंग्रेजों ने1854 में 60000₹लक्ष्मीबाई को वार्षिक पेंशन के रूप में दिया गया।1857 को भारत मे अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह की शुरुआत हुई। जब यह खबर झांसी तक पहुंची। तो लक्ष्मी ने अपनी सुरक्षा बढ़ा दी। 23 मार्च 1858 को ब्रिटिश सेना के कमांडिंग आफिसर...

धन्वंतरि का जन्म इतिहास और आर्युर्वैदिक चिकित्सा Dhanwantari

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  श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय स्वाहा। धन की देवी माता लक्ष्मी को माना जाता है।और धन के देवता कुबेर कहे जाते हैं।लेकिन ऐसे मे धन्वंतरि का धनतेरस से क्या नाता?और उनको देवता की उपाधि कैसे मिली?इसकी रोचक पौराणिक कथा है।श्रीमदभागवत पुराण में कहा गया है कि जब प्राचीन समय मे देवता गंभीर संकट में थे। तो उन्होंने मदद के लिए भगवान विष्णु से प्रार्थना की।भगवान विष्णु ने देवताओं और राक्षसों को महान मंदार पर्वत और नाग वासुकी की सहायता से समुद्र मंथन करने के लिए कहा। समुद्र की आदि ब्रह्मण्डीय जीवन सामग्री की तरल गहराई से 14 वें रत्न के रुप मे देवताओं के चिकित्सक धन्वंतरी प्रकट हुए। जो सफेद वस्त्र पहने हुए थे। उनके हाथों में अमृत का कलश था।वह उन 14 रत्नों में से एक है। जो  सागर मंथन की इस महत्वपूर्ण पौराणिक प्रक्रिया के दौरान कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन भगवान धन्वंतरि के रूप मे प्रकट हुए थे। वे भगवान विष्णु के 24 अवतारों में से12वें अवतार माने गए हैं। जिनके हाथों में अमृत कलश था। अमृत के लिए देव और राक्षसों मे छीना -झपटी हुई थी। धन्वंतरि के अमृत कलश को प्रकट होने के कारण उनका बरतनों से...

उत्तराखण्ड राज्य स्थापना दिवस का इतिहास और भविष्य की चुनौतियाँ?History of uttrakhand founded

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  उत्तराखंड एक बेहद प्राकृतिक छटाओं से भरपूर खूबसूरत राज्य है। जिसे देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है। यहां कई प्राचीन धार्मिक स्थलों के साथ ही यह राज्य हिंदू धर्म में सबसे पवित्र माने जाने वाली देश की सबसे बड़ी नदियां गंगा और यमुना का उद्गम स्थल भी है। 9 नवंबर 2000 की तारीख इतिहास में उत्तराखंड की स्थापना दिवस के तौर पर दर्ज है। उत्तराखंड की मांग को लेकर कई वर्षों तक चले आंदोलन के बाद आखिरकार 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड को भारत के 27 वें  गणराज्य के रूप में शामिल किया गया। वर्ष 2000 से 2006 तक इसे उत्तरांचल के नाम से पुकारा जाता था। लेकिन जनवरी 2007 में स्थानीय जनता की भावनाओं का सम्मान करते हुए इसका आधिकारिक नाम बदलकर उत्तराखंड कर दिया गया।  उत्तर प्रदेश का हिस्सा रहा उत्तराखंड की सीमाएं उत्तर में तिब्बत, और पूर्व में नेपाल से लगी हैं। पश्चिम में हिमाचल प्रदेश और दक्षिण में उत्तर प्रदेश इसकी सीमा से लगे राज्य हैं। उत्तराखण्ड गठन का इतिहास------ भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन की एक ईकाई के रुप में उत्तराखंड में स्वाधीनता संग्राम के दौरान 1913 के कांग्रेस अधिवेशन में उत्तराखंड क...

नौबेल और भारत रत्न सम्मानित सी बी रमन की खोज रमन इफेक्ट क्या है? What is the Raman effect discovered by novel and Bharat Ratna awardee CV Raman?

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  नोबेल पुरस्कार और भारत रत्न से सम्मानित सीवी रमन चंद्रशेखर वेंकट रमन का जन्म 7 नंबर 1888 को मद्रास प्रेसीडेंसी के तिरुचिरापल्ली में हुआ था। सीवी रमन के पिता का नाम चंद्रशेखर रामनाथन अय्यर और माता का नाम पार्वती अमल था। सीवी रमन ने तिरुचिरापल्ली से अपनी स्कूल की पढ़ाई पूरी की और कक्षा दसवीं टॉप किया। आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज मद्रास में एडमिशन लिया। 1907 में उन्होंने भारत सरकार के वित्त विभाग में अकाउंटेंट के रूप में कार्य  भी किया। 1917 में वे कोलकाता यूनिवर्सिटी में फिजिक्स के प्रोफेसर नियुक्त हुए।वर्ष 1928 में उन्होंने रमन प्रभाव नामक अभूतपूर्व खोज की।जब एक माध्यम में एक किरण बिखरी हुई होती है। तो प्रकाश की तरंग दैर्ध्य में परिवर्तन की घटना होती है। इस खोज के लिए 1930 में भौतिकी के लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।चंद्रशेखर वेंकटरमन रमन को 1929 में नाइट की उपाधि दी गई। 1933 में वे भौतिकी विभाग के प्रमुख के रूप में बेंगलुरु में भारतीय विज्ञान संस्थान में नियुक्त हुए।1947 में उन्हें वहां रमन अनुसंधान संस्थान का निदेशक नामित किया गया।और 1961...

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस और सी बी रमन National Science Day

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  विज्ञान दिवस   विज्ञान से होने वाले लाभों के प्रति समाज में जागरूकता लाने और वैज्ञानिक सोच पैदा करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तत्वधान में हर साल 28 फरवरी को भारत में  राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है।राष्ट्रीय विज्ञान दिवस रमन प्रभाव की खोज की उपलब्धि पर मनाया जाता है। इस खोज की घोषणा भारतीय वैज्ञानिक सर चंद्रशेखर वेंकटरमन ने 28 फरवरी सन 1928 को की थी। इसी खोज के लिए उन्हें 1930 में विश्व नोबेल पुरस्कार दिया गया था। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का मूल उद्देश्य ---विद्यार्थियों को विज्ञान के प्रति आकृर्षित व प्रेरित करना तथा जनसाधारण को विज्ञान एवं वैज्ञानिक उपलब्धियों के प्रति सजग बनाना है। विज्ञान के बिना विकास की राह में तीव्रता से आगे नहीं बढ़ा जा सकता है। विज्ञान से गलत धारणा और अंधविश्वासों का विनाश होता है। विज्ञान और तकनीक को प्रसिद्ध करने के साथ ही देश के नागरिकों को इस क्षेत्र में मौका देकर नई ऊंचाइयों को हासिल करना भी इसका मुख्य उद्देश्य है।देश के विकास के लिए वैज्ञानिक सोच का प्रसार आव...

उत्तराखण्ड पिथोरागढ के सरमोली गाँव को कैसे मिला देश के पर्यटन गांव का पुरस्कार?Tourism village sarmoli

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 पर्यटन की दृष्टि से उत्तराखण्ड का कोना -कोना विख्यात है।लेकिन पर्यटकों की सबसे पहली पसंद बना उत्तराखण्ड पिथोरागढ जिले के सरमोली गांँव।यह मुनस्यारी मे है सरमोली गाँव को   27 सितम्बर 2023 को देश के सर्व श्रेष्ठ पर्यटन गाँव का पुरस्कार मिला। मुनस्यारी अपनी खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध है।केन्द्रीय पर्यटन मंत्रालय ने पर्यटन और होम स्टे के माध्यम से प्रतियोगिता का आयोजन  किया।जिसमे सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों से 795 गाँवो के आवेदन मिले।पर्यटन को बढावा देने के लिए गाँव स्तर पर किये गये बेहतर कार्यों पर सरमोली गाँव को श्रेष्ठ पर्यटन गांव के रूप चयनित किया गया। मुनस्यारी के समीप यह गाँव अपनी समृद्ध संस्कृति,और नैसर्गिक सुन्दरता को समेटे हुए है। पर्यावरण संरक्षण के साथ- साथ इस गांव के लोगों ने ग्रामीण पर्यटन को स्वरोजगार बनाया। इको टूरिज्म और साहसिक पर्यटन के लिए पर्यटक सरमोली गांव आते हैं। यहाँ से हिमालय,नंदा देवी,राजरंभा,पंचाचूँली,नंदादेवी,चोटियों का दृश्य हर किसी को आकृषित करता है।और सरमोली गाँव का होम स्टे पर्यटकों की पहली पसंद है।मल्लिका विर्दी जो दो बार की सरपंच रह च...

नोबेल और भारत रत्न सम्मानित अर्थशास्त्री अमृत्य सेन के क्या सिद्धान्त हैं?Amrtya sen

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  भारतीय मूल के अर्थशास्त्री नोबेल पुरस्कार और भारत रत्न  से सम्मानित अमृत्य सेन एक विश्व प्रसिद्ध अर्थशास्त्री सिद्धांत, दार्शनिक, और लेखक हैं। उन्होंने सामाजिक चयन सिद्धांत राजनीतिक और नैतिक दर्शन और निर्णय सिद्धांत सहित कई क्षेत्रों में अभूतपूर्व शोध किये हैं। वे भारत के संदर्भ में  गरीबी उन्मूलन,भूमि सुधारो पर अधिक बल देते हैं।वे भूमंडलीकरण उदारीकरण एवं निजीकरण के आर्थिक सुधारो से सहमत हैं। परंतु उनका मानना है कि पूंजीवादी सरकारों को सामाजिक क्षेत्र, सामाजिक सुरक्षा और कल्याणकारी योजनाओं पर भी धन खर्च करना चाहिए। अमर्त्य सेन को अकाल की समस्या पर उनके काम के लिए जाना जाता है।अकाल जिसके कारण भोजन की वास्तविक स्थिति, कमी के प्रभाव को रोकने या सीमित करने के लिए व्यावहारिक समाधान का विकास और समाधान के लिए जाना जाता है। अमृत्य सेन के अनुसार विकास  स्वतंत्रताओं का विस्तार करने की प्रक्रिया है।अकाल, मानव विकास सिद्धांत,कल्याणकारी अर्थशास्त्र,गरीबों के अंतर्गत लैंगिक असमानता और राजनीतिक उदारवाद पर उनके काम के लिए अमृत्य सेन को आर्थशास्त्र का पितामह कहा जाता है। भारतीय मूल...

करवा चौथ त्यौहार का इतिहास कब और क्यों मनाते है?Karwa chauth

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  भारतीय संस्कृति बहुत प्रकार के रीति-रिवाजों और त्योहारों से भरा पडा़ है।उनमे से करवा चौथ भी हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है।इस त्योहार को मनाने की परम्परायें सभी युगों मे और कालों के इतिहास मे मिलता है। भारतीय संस्कृति मे पति-पत्नी के बन्धन को सात जन्मों तक आत्माओं और शरीर का मिलन माना जाता है।करवा चौथ  अटूट विश्वास,प्रेम,समर्पण,और बन्धन के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है। करवा चौथ का व्रत भारत के जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा,मध्य प्रदेश और राजस्थान में प्रमुख रूप से मनाया जाता है। यह कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। यह पर्व सौभाग्यवती सुहागिन स्त्रियां मनाती है।मान्यता है कि करवा चौथ अनादि काल से चला आ रहा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार करवा चौथ का व्रत माता गौरी ने भी  भगवान भोलेनाथ के लिए रखा था। इस दिन उन्होंने पूरे दिन निर्जल उपवास रखकर चांद को अर्ध दिया था।  एक अन्य मान्यता के अनुसार देव- दैत्य युद्ध के बाद जब सभी देवियाँ ब्रह्मदेव के पास पहुंची थी। और उनसे अपने पतियों की रक्षा के लिए सुझाव ...