भारतरत्न सरदार बल्लभ भाई पटेल क्यों राष्ट्रीय एकता के प्रतीक ?sardar vallabhbhai patel Why symbol of national unity ?

 


सरदार वल्लभ भाई पटेल भारत के प्रमुख स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे।तथा आजाद भारत के पहले गृहमंत्री और उप प्रधानमंत्री रहे। स्वतंत्रता की लड़ाई में उनका महत्वपूर्ण योगदान था। जिसके कारण उन्हें भारत का लोह पुरुष भी कहा जाता है। सरदार पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नाडियाद मे  हुआ था। उनके पिता का नाम झवेरभाई पटेल और माता का नाम लाडवा देवी था। जो एक किसान परिवार था, स्वतंत्र देश में राष्ट्रीय एकीकरण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता, और दृढ निश्चय समझौता रहित था। जिसके कारण उन्हें भारत के लोह पुरुष की उपाधि मिली।सरदार पटेल स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के दौरान छह बार जेल में गए।1932 में वे करीब 16 महीने तक गांधी जी और महादेव देसाई जी के साथ नर्मदा जेल में बंद रहे।1930 में नमक सत्याग्रह के दौरान पटेल को 3 महीने की जेल हुई।मार्च 1931 में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के करांची अधिवेशन की अध्यक्षता की थी।जनवरी1932 में उन्हें फिर से गिरफ्तार कर लिया गया था।सरदार पटेल ने रियासतों का विलय सुनिश्चित करने और उन्हें भारतीय संघ में एकीकृत करने के लिए कदम उठाये। 

25 जून 1947 को सरदार पटेल के अधीन राज्य विभाग का गठन किया गया। आजादी के समय 562 से अधिक रियासतों को एकता के सूत्र में बांधने वाले सरदार पटेल को भारत का बिस्मार्क भी कहा जाता है। भारत की स्वतंत्रता के बाद देशी रियासतों का एकीकरण करके अखंड भारत के निर्माण में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। उन्होंने देश के रियासतों के राजाओं को यह स्पष्ट कर दिया था। कि अलग राज्य का उनका सपना असंभव है। और भारतीय गणतंत्र का हिस्सा बनने में ही उनकी भलाई है। उन्होंने अपनी बुद्धिमता और राजनीतिक दूरदर्शिता से छोटी-बडी़ रियासतों को संगठित किया। भारत की भौगोलिक एकीकरण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका होने के चलते उनकी जयंती को देश में राष्ट्रीय एकता दिवस के तौर पर मनाया जाता है। पहली बार राष्ट्रीय एकता दिवस 31 अक्टूबर 2014 में को मनाया गया।

सरदार पटेल ने स्कूली शिक्षा गुजरात में ही प्राप्त की।22 वर्ष की उम्र मे उन्होंने मैट्रिक पास किया। और बाद में लंदन जाकर बैरिस्टर की पढ़ाई की।और वापस भारत  आकर अहमदाबाद में वकालत करने लगे।महात्मा गांधी जी से वे काफी प्रेरित थे। बारडोली सत्याग्रह आंदोलन के सफल होने के बाद वहां की महिलाओं ने वल्लभभाई पटेल को सरदार की उपाधि प्रदान की थी।सरदार पटेल स्पष्ट व निर्भीक वक्ता थे यदि वह कभी गांधी जी व जवाहरलाल नेहरू जी से असहमत होते तो वह उसे भी साफ कह देते थे। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उन्हें 3 साल की कैद हुई थी। महात्मा गांधी ने सरदार पटेल को लोह पुरुष की उपाधि दी थी। ये सरदार पटेल का ही विजन था कि भारतीय प्रशासनिक सेवाएं देश को एकता रखने में अहम भूमिका निभाएगी। 

उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवाओं को मजबूत बनाने पर काफी जोर दिया उन्होंने सिविल सेवा को स्टील फ्रेम कहा था।

खेड़ा आंदोलन -1917 में ज्यादा बारिश होने से खेड़ा के किसानों की फसल खराब हो गई थी उसे समय ब्रिटिश सरकार किसानों से कर वसूला करती थी। फसल बर्बाद होने के चलते किसान कर देने में असमर्थ थे तब सरदार वल्लभभाई पटेल ने गांधी जी के नेतृत्व में खेड़ा के किसानों को एक किया और अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया था।यह वल्लभभाई पटेल की पहली बड़ी जीत मानी जाती है।

बारदोली आंदोलन-बारदोली सत्याग्रह बारदोली सत्याग्रह भारतीय स्वाधीनता संग्राम के दौरान जून 1928 में गुजरात में हुआ यह एक प्रमुख किसान आंदोलन था। जिसका नेतृत्व वल्लभभाई पटेल ने किया था। उसी समय प्रांतीय सरकार ने किसानों के लगान में 22% तक की वृद्धि कर दी थी।सरदार वल्लभभाई पटेल ने इस लगान वृद्धि का जमकर विरोध किया बारदोली सत्याग्रह आंदोलन में सरकार के खजाने में एक कौड़ी भी नहीं गई। जब्त किए हुए सामान को उठाने को ना कोई मजदूर मिले और ना ही नीलामी में बोली लगाने वाले। अंततःअंग्रेज हुकूमत झुक गई। और यह आन्दोलन भी सफल रहा। गृहमंत्री के रूप में उनकी पहली प्राथमिकता थी।कि भारत के देशी रियासतों को भारत में मिलाना। इस काम को उन्होंने बिना खून बहाये करके दिखाया। केवल हैदराबाद के ऑपरेशन पोलो के लिए उन्हें सेना भेजनी पड़ी। भारत के एकीकरण में उनके महान योगदान के लिए उन्हें भारत के लोह पुरुष के रूप में जाना जाता है। यह सरदार पटेल की महानतम देन थी।कि भारत के 562 छोटी या बड़ी रियासतों को भारतीय संघ मे मिलाकर एकता का निर्माण कराना।

आज तक विश्व के इतिहास में एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं हुआ जिसने इतनी बड़ी संख्या में राज्यों का एकीकरण करने का साहस किया हो।5 जुलाई 1947 को एक रियासत विभाग की स्थापना की गई थी। सरदार पटेल को देश के प्रथम प्रधानमंत्री बनने के लिए अधिक समर्थन मिला था। परंतु महात्मा गांधी की इच्छा का सम्मान करते हुए वह इस पद से पीछे हट गए। और नेहरू जी देश के पहले प्रधानमंत्री बने। देश के स्वतंत्रता के पश्चात सरदार पटेल उप प्रधानमंत्री के साथ-2 प्रथम गृहमन्त्री ,सूचनामन्त्री और रियासत विभाग के मंत्री भी थे। सरदार पटेल को मरणोपरान्त 1991 में भारत के सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया। सरदार पटेल के पास खुद का मकान भी नहीं था। वह अहमदाबाद में किराए के एक मकान में रहते थे। 15 दिसंबर 1950 में मुंबई में जब उनका निधन हुआ तब उनके बैंक खाते में सिर्फ 260 रुपए मौजूद थे। आजादी से पहले जूनागढ़ रियासत के नवाब ने 1947 में पाकिस्तान के साथ जाने का फैसला किया था। लेकिन भारत ने उनका फैसला स्वीकार करने से इनकार कर दिया।और उसे भारत में मिला लिया गया।भारत के तत्कालीन उप प्रधानमंत्री सरदार पटेल 12 नवंबर 1947 को जूनागढ़ पहुंचे उन्होंने भारतीय सेना को इस क्षेत्र में स्थिरता बहाल करने के निर्देश दिए और साथ ही सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण का आदेश भी दिया। जम्मू एवं कश्मीर जूनागढ़ तथा हैदराबाद के राजाओं ने ऐसा करना स्वीकार नहीं किया।जूनागढ़ के नवाब के विरुद्ध जब विरोध हुआ तो वह भागकरर पाकिस्तान चला गया।और जूनागढ़ को भी भारत में मिला दिया गया। जब हैदराबाद के निजाम ने भारत में विलय का प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया तो सरदार पटेल ने निजाम का आत्म समर्पण करा लिया। और कश्मीर पर यथा स्थिति रखते हुए इस मामले को अपने पास रख लिया। सरदार वल्लभभाई पटेल के सम्मान में भारत के गुजरात राज्य में स्टैचू ऑफ यूनिटी सरदार पटेल की मूर्ति दुनिया की सबसे प्रसिद्ध मूर्तियों में से एक है। यह प्रतिमा सरदार वल्लभभाई पटेल की याद में बनाई गई है।जिन्हें भारत के एक महान नेता के रूप में देखा जाता है। इस मूर्ति की ऊंचाई 182 मीटर है और यह मूर्ति दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति है।

उनका नारा था। 

आज हमे ऊँज-नीच,अमीर- गरीब,जाति-पंथ के भेदभावों को समाप्त कर देना चाहिए।

आधुनिक भारत के शिल्पकार, किसान हितचिंतक, लौह पुरुष 'भारत रत्न' सरदार वल्लभ भाई पटेल जी की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि!


राष्ट्र की एकता, अखण्डता और संप्रभुता को विराट स्वरूप प्रदान करने में उनके योगदान 'एक भारत-श्रेष्ठ भारत' के निर्माण हेतु सदैव प्रेरित करते रहेंगे।


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