भारत रत्न नानाजी देशमुख का भारत ग्रामोदय में क्या योगदान था? What was the contribution of Bharat Ratna nanaji Deshmukh in Bharat gramoday?


11 अक्टूबर 1916 में महाराष्ट्र में नानाजी देशमुख का जन्म हुआ था।बचपन में माता-पिता गुजर गए थे, उनका जीवन संघर्षों में गुजरा उन्होंने राजस्थान से हाईस्कूल की परीक्षा पास की और 1937 में बिरला कॉलेज में दाखिला लिया। उन्होने चित्रकूट मे 1969 में दीनदयाल शोध संस्थान की स्थापना की। उन्होंने गांवों में लोगों को कुटीर उद्योगों के लिए प्रेरित किया।स्वास्थ्य, शिक्षा,बिजली, सड़क, पानी,आदि कार्यों के लिए भी उन्होने बहुत मेहनत की। मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के लगभग 500 गांवों में उन्होने बड़े विकास कार्य किए। हम अपनों के लिए हैं। अपने वे हैं। जो सदियों से पीड़ित एवं उपेक्षित हैं। विचार को व्यवहार में लाने वाले ऐसे सेवाऔर संघर्ष के आदर्श समाज सेवक एवं ग्राम विकास के प्रणेता भारत रत्न सम्मानित नानाजी देशमुख ने ग्राम उदय से राष्ट्रोदय की संकल्पना के प्रणेता नाना जी देशमुख का सम्पूर्ण जीवन मा भारती की सेवा मे समर्पित रहा।वे राष्ट्र ऋषि बनकर रहे।

नाना जी ने चित्रकूट को ही अपना  सेवा का केंद्र बनाया।उन्होंने 1980 में सक्रिय राजनीति से संयास ले लिया था। और फिर से ग्रामोदय और समाज सेवा के कार्य मे लग गये।ग्राम उद्योग, का बढ़ाने में लगे रहे।1999 में उनको पद्म विभूषण का सम्मान मिला। 27 फरवरी 2010 को इस राष्ट्रऋषि ने सांसारिक जीवन से अपने देह को त्याग दिया। 2019 उनको मरणोपरांत उनको भारत रत्न का सम्मान मिला। भारत देश के विकास में नाना जी का बहुत बड़ा योगदान रहा। गांव के विकास की महत्ता को  उन्होंने लोगों को बतायी। नानाजी ने एकात्म मानवतावाद को मूर्त रूप देने के लिए नानाजी ने 1972 में दीनदयाल शोध संस्थान की स्थापना की। नानाजी देशमुख ने एकात्म मानवतावाद के आधार पर ग्रामीण भारत के विकास की रूपरेखा बनायी। शुरुआती प्रयोगों मे उत्तर प्रदेश के गौंडा और महाराष्ट्र के भींड जिलों में नानाजी ने गांव में स्वास्थ्य ,सुरक्षा, शिक्षा, कृषि, आय अर्जन के संसाधनों के संरक्षण व सामाजिक विवेक के विकास के लिए एकात्मक कार्यक्रम की शुरुआत की। पूर्ण परिवर्तन कार्यक्रम का आधार लोक सहयोग और सहकार को माना। चित्रकूट परियोजना या आत्मनिर्भरता के लिए अभियान की शुरुआत 26 जनवरी 2005 को चित्रकूट में हुई जो उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित है इस परियोजना का उद्देश्य 2005 के अंत तक इन गांव में आत्मनिर्भरता हासिल करना था किंतु यह परियोजना 2010 में पूरी हो सकी इस परियोजना से यह उम्मीद तो जगी है कि चित्रकूट के आसपास कम से कम 500 गांवों को आत्मनिर्भर बना ही लिया जाएगा। निस्सन्देह यह परियोजना भारत और दुनिया के लिए एक आदर्श बनी है।इस प्रकार नाना जी ने भारतीय ग्रामोदय हेतु उत्थान और कल्याण का कार्य किया था।

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