क्या है? उत्तराखंड राज्य के गठन का इतिहास और उपलब्धियों 2024? What is the history and achievements of the formation of Uttarakhand 2024?
उत्तराखंड एक बेहद प्राकृतिक छटाओं से भरपूर खूबसूरत राज्य है। जिसे देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है। यहां कई प्राचीन धार्मिक स्थलों के साथ ही यह राज्य हिंदू धर्म में सबसे पवित्र माने जाने वाली देश की सबसे बड़ी नदियां गंगा और यमुना का उद्गम स्थल भी है। 9 नवंबर 2000 की तारीख इतिहास में उत्तराखंड की स्थापना दिवस के तौर पर दर्ज है। उत्तराखंड की मांग को लेकर कई वर्षों तक चले आंदोलन के बाद आखिरकार 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड को भारत की 27 वें गणराज्य के रूप में शामिल किया गया। वर्ष 2000 से 2006 तक इसे उत्तरांचल के नाम से पुकारा जाता था। लेकिन जनवरी 2007 में स्थानीय यहां की जनता की भावनाओं का सम्मान करते हुए इसका आधिकारिक नाम बदलकर उत्तराखंड कर दिया गया।
उत्तर प्रदेश का हिस्सा रहा उत्तराखंड की सीमाएं उत्तर में तिब्बत, और पूर्व में नेपाल से लगी हैं। पश्चिम में हिमाचल प्रदेश और दक्षिण में उत्तर प्रदेश इसकी सीमा से लगे राज्य हैं।
उत्तराखण्ड गठन का इतिहास------
भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन की एक ईकाई के रुप में उत्तराखंड में स्वाधीनता संग्राम के दौरान 1913 के कांग्रेस अधिवेशन में उत्तराखंड के ज्यादा प्रतिनिधि सम्मिलित हुये। इसी वर्ष उत्तराखंड के अनुसूचित जातियों के उत्थान के लिये गठित टम्टा सुधारिणी सभा का रूपान्तरण एक व्यापक शिल्पकार महासभा के रूप में हुआ।
1916 के सितम्बर माह में हरगोविन्द पंत, गोविन्द बल्लभ पंत, बदरी दत्त पाण्डे, इन्द्रलाल साह, मोहन सिंह दड़मवाल, चन्द्र लाल साह, प्रेम बल्लभ पाण्डे, भोलादत पाण्डे और लक्ष्मीदत्त शास्त्री आदि उत्साही युवकों के द्वारा कुमाऊँ परिषद की स्थापना की गयी। जिसका मुख्य उद्देश्य तत्कालीन उत्तराखंड की सामाजिक तथा आर्थिक समस्याओं का समाधान खोजना था। 1926 तक इस संगठन ने उत्तराखण्ड में स्थानीय सामान्य सुधारों की दिशा के अतिरिक्त निश्चित राजनीतिक उद्देश्य के रूप में संगठनात्मक गतिविधियां संपादित कीं। 1923 तथा 1926 के प्रान्तीय काउन्सिल के चुनाव में गोविन्द बल्लभ पंत हरगोविन्द पंत मुकुन्दी लाल तथा बदरी दत्त पाण्डे ने प्रतिपक्षियों को बुरी तरह पराजित किया।
1926 में कुमाऊँ परिषद का कांग्रेस में विलीनीकरण कर दिया गया।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार मई 1938 में तत्कालीन ब्रिटिश शासन में गढ़वाल के श्रीनगर में आयोजित कांग्रेस के अधिवेशन में पंडित जवाहर लाल नेहरू ने इस पर्वतीय क्षेत्र के निवासियों को अपनी परिस्थितियों के अनुसार स्वयं निर्णय लेने तथा अपनी संस्कृति को समृद्ध करने के आंदोलन का समर्थन किया।
सन् 1940 में हल्द्वानी सम्मेलन में बद्रीदत्त पाण्डेय ने पर्वतीय क्षेत्र को विशेष दर्जा तथा अनुसूया प्रसाद बहुगुणा ने कुमाऊँ-गढ़वाल को पृथक् इकाई के रूप में गठन की मांग रखी। 1954 में विधान परिषद के सदस्य इन्द्रसिंह नयाल ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री गोविन्द बल्लभ पंत से पर्वतीय क्षेत्र के लिये पृथक् विकास योजना बनाने का आग्रह किया तथा 1955 में फजल अली आयोग ने पर्वतीय क्षेत्र को अलग राज्य के रूप में गठित करने की संस्तुति की।
वर्ष 1957 में योजना आयोग के उपाध्यक्ष टीटी कृष्णमाचारी ने पर्वतीय क्षेत्र की समस्याओं के निदान के लिये विशेष ध्यान देने का सुझाव दिया। 12 मई 1970 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा पर्वतीय क्षेत्र की समस्याओं का निदान राज्य तथा केन्द्र सरकार का दायित्व होने की घोषणा की और 24 जुलाई 1979 में पृथक् राज्य के गठन के लिये मसूरी में उत्तराखण्ड क्रान्ति दल की स्थापना की गई। जून 1987 में कर्ण प्रयाग के सर्वदलीय सम्मेलन में उत्तराखण्ड के गठन के लिये संघर्ष का आह्वान किया तथा नवंबर 1987 में पृथक् उत्तराखण्ड राज्य के गठन के लिये नई दिल्ली में प्रदर्शन और राष्ट्रपति को ज्ञापन एवं हरिद्वार को भी प्रस्तावित राज्य में सम्मिलित् करने की मांग की गई।
1994 में उत्तराखण्ड राज्य एवं आरक्षण को लेकर छात्रों ने सामूहिक रूप से आन्दोलन किया। मुलायम सिंह यादव के उत्तराखण्ड विरोधी वक्तव्य से क्षेत्र में आन्दोलन तेज हो गया। उत्तराखण्ड क्रान्ति दल के नेताओं ने अनशन किया। उत्तराखण्ड में सरकारी कर्मचारी पृथक् राज्य की मांग के समर्थन में लगातार तीन महीने तक हड़ताल पर रहे तथा उत्तराखण्ड में चक्काजाम और पुलिस फायरिंग की घटनाएं हुई। उत्तराखण्ड आन्दोलनकारियों पर मसूरी और खटीमा में पुलिस द्वारा गोलियां चलायीं गईं। संयुक्त मोर्चा के तत्वाधान में 2 अक्टूबर, 1994 को दिल्ली में भारी प्रदर्शन किया गया। इस संघर्ष में भाग लेने के लिये उत्तराखण्ड से हजारों लोगों की भागीदारी हुई। प्रदर्शन में भाग लेने जा रहे आन्दोलनकारियों को मुजफ्फर नगर में बहुत पेरशान किया गया और उन पर पुलिस ने फायिरिंग की और लाठिया बरसाईं तथा महिलाओं के साथ अश्लील व्यहार और अभद्रता की गयी। इसमें अनेक लोग हताहत और घायल हुए। इस घटना ने उत्तराखण्ड आन्दोलन की आग में घी का काम किया। अगले दिन 3 अक्टूबर को इस घटना के विरोध में उत्तराखण्ड बंद का आह्वान किया गया जिसमें तोड़फोड़ गोलाबारी तथा अनेक मौतें हुईं।
7 अक्टूबर, 1994 को देहरादून में एक महिला आन्दोलनकारी की मृत्यु हो हई इसके विरोध में आन्दोलनकारियों ने पुलिस चौकी पर उपद्रव किया।
15 अक्टूबर को देहरादून में कर्फ्यू लग गया और उसी दिन एक आन्दोलनकारी शहीद हो गया।
27 अक्टूबर, 1994 को देश के तत्कालीन गृहमंत्री राजेश पायलट की आन्दोलनकारियों की वार्ता हुई। इसी बीच श्रीनगर में श्रीयंत्र टापू में अनशनकारियों पर पुलिस ने बर्बरतापूर्वक प्रहार किया जिसमें अनेक आन्दोलनकारी शहीद हो गए।
15 अगस्त, 1996 को तत्कालीन प्रधानमंत्री एच.डी. देवगौड़ा ने उत्तराखण्ड राज्य की घोषणा लाल क़िले से की।
1998 में केन्द्र की भाजपा गठबंधन सरकार ने पहली बार राष्ट्रपति के माध्यम से उ.प्र. विधानसभा को उत्तरांचल विधेयक भेजा। उ.प्र. सरकार ने 26 संशोधनों के साथ उत्तरांचल राज्य विधेयक विधान सभा में पारित करवाकर केन्द्र सरकार को भेजा। केन्द्र सरकार ने 27 जुलाई, 2000 को उत्तर प्रदेश पुनर्गठन विधेयक 2000 को लोकसभा में प्रस्तुत किया जो 1 अगस्त, 2000 को लोकसभा में तथा 10 अगस्त, 2000 अगस्त को राज्यसभा में पारित हो गया। भारत के राष्ट्रपति ने उत्तर प्रदेश पुनर्गठन विधेयक को 28 अगस्त, 2000 को अपनी स्वीकृति दे दी और इसके बाद यह विधेयक अधिनियम में बदल गया और इसके साथ ही 9 नवंबर, 2000 को उत्तरांचल राज्य अस्तित्व में आया जो अब उत्तराखण्ड नाम से जाना जाता है।इसके गठन के लिए उत्तराखण्ड वासियों ने बहुत आन्दोलन किये।सैकडो़ आन्दोलनकारी शहीद हुए।उत्तराखण्ड राज्य के गठन के बाद इसके विकास और समस्याओं का आंकलन करना भी जरूरी है।
उत्तराखंड के लिए चुनौतियां-पहाड़ो से युवाओं के पलायन को रोकना,रोजगार ,शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं ये अभी भी चुनौतियां हैं।
उत्तराखंड की उपलब्धियों -
उत्तराखंड इन 24 सालों में भारत ही नहीं बल्कि विश्वभर के लिए पर्यटन का प्रमुख केन्द्र बना। उत्तराखंड, 7 साल में 62 फीसदी बढ़ी टूरिस्ट की संख्या, सरकार भी कर रही नई पहल
Uttarakhand Tourism- पर्यटन विभाग के आंकड़ों के अनुसार सात वर्षों में ही पर्यटकों की संख्या में 61.79 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 2018 में 3.68 करोड़ पर्यटक उत्तराखंड आए थे जबकि 2023 में यह आंकड़ा बढ़कर 5.96 करोड़ पहुंच गया। इस वर्ष अगस्त तक करीब तीन करोड़ पर्यटक आ चुके हैं। दिसंबर तक यह आंकड़ा छह करोड़ से अधिक पहुंचने की उम्मीद है।
पर्यटन का प्रमुख गंतव्य बनी देवभूमि उत्तराखंड
7 साल में 62 फीसदी बढ़ी पर्यटकों की संख्या
पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई नवाचार हुए है।
1-देहरादून-उत्तराखंड 24 वां स्थापना दिवस मना रहा है। यह पहाड़ी राज्य आज पर्यटन के लिए महत्वपूर्ण गंतव्य के रूप में उभरा है। पर्यटकों की बढ़ती संख्या हर साल नया रिकॉर्ड बना रही है। कोरोना काल के बाद बड़ी संख्या में पर्यटक/तीर्थयात्री उत्तराखंड पहुंच रहे हैं। पर्यटन विभाग के आंकड़ों के अनुसार सात वर्षों में ही पर्यटकों की संख्या में 61.79 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 2018 में 3.68 करोड़ पर्यटक उत्तराखंड आए थे जबकि 2023 में यह आंकड़ा बढ़कर 5.96 करोड़ पहुंच गया। इस वर्ष अगस्त तक करीब तीन करोड़ पर्यटक आ चुके हैं। दिसंबर तक यह आंकड़ा छह करोड़ से अधिक पहुंचने की उम्मीद है। प्रदेश सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू करने के साथ ही एस्ट्रो, एयरो, ईको और साहसिक पर्यटन में कई नवाचार किए हैं।
2-मानसखण्ड के प्रचार को चली विशेष ट्रेन
मानसखण्ड मंदिर माला मिशन के मंदिरों का देशभर में प्रचार प्रसार के उद्देश्य से पर्यटन विभाग द्वारा आईआरसीटीसी के सहयोग से भारत गौरव मानसखंड एक्सप्रेस ट्रेन का संचालन किया जा रहा है। अब तक पुणे, बंगलूरू, मदुरै (तमिलनाडु) और मुंबई से इस ट्रेन का संचालन किया गया है। योजना के तहत श्रद्धालुओं और पर्यटकों को पूर्णागिरी, हाटकालिका, पाताल भुवनेश्वर, जागेश्वरधाम, गोलज्यू देवता मंदिर, नंदा देवी, कैंची धाम आदि मंदिरों के दर्शन कराए जा रहे हैं। प्रचार-प्रसार के साथ ही मंदिरों के सौंदर्यीकरण पर भी विशेष जोर दिया गया है
युवाओं को साहसिक पर्यटन का प्रशिक्षण
पर्यटन विभाग ने पैराग्लाइडिंग, माउंटेनियरिंग, नौकायन कायकिंग-कैनोइंग और लो एल्टीट्यूड से हाई एल्टीट्यूड ट्रेकिंग के लिए 1,816 स्थानीय युवाओं को बाहरी एजेंसी के माध्यम से प्रशिक्षित किया है ताकि पर्यटक यहां साहसिक पर्यटन का आनंद उठा सके और स्थानीय युवा रोजगार से जुड़ सकें।
3-दिव्य और भव्य बना केदारनाथ धाम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत हुए पुनर्निर्माण कार्यों से केदारनाथ यात्रा को नया आयाम मिला है। लगातार बढ़ती तीर्थयात्रियों की संख्या हर वर्ष नया रिकॉर्ड बना रही है। वर्ष 2013 में 16-17 जून के जलप्रलय में केदारपुरी पूरी तरह तबाह हो गई थी। प्रधानमंत्री ने वर्ष 2017 में केदार धाम को संवारने के बीड़ा उठाया। उनके ड्रीम प्रोजेक्ट ने आज केदारपुरी की तस्वीर बदल दी है। प्रोजेक्ट के प्रथम चरण में 225 करोड़ के कार्य पूर्ण हो चुके हैं। दूसरे चरण के कार्य प्रगति पर हैं। आज केदारनाथ धाम दिव्य और भव्य नजर आ रहा है।
4-आदि कैलाश को मिली नई पहचान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे ने आदि कैलाश यात्रा को नई पहचान दी है। पीएम मोदी 12 अक्टूबर 2023 को पिथौरागढ़ जिले के दौरे पर आए थे। तब प्रधानमंत्री ने करीब 17 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित ज्योलिकोंग पहुंचकर आदि कैलाश के दर्शन किए थे। आज आदि कैलाश आने वाले यात्रियों और पर्यटकों की संख्या नया रिकॉर्ड बना रही है।
उल्लेखनीय है कि कैलाश मानसरोवर की यात्रा वर्ष 2020 में कोरोना संक्रमण के चलते बंद कर दी गई थी। तब से इसे शुरू नहीं किया जा सका है। आदि कैलाश का महात्म्य भी कैलाश मानसरोवर के बराबर ही माना जाता है, इसलिए अब प्रदेश सरकार आदि कैलाश यात्रा को सरल, सुगम और व्यवस्थित बनाने पर खास जोर दे रही है। उच्च हिमालयी क्षेत्र होने के बावजूद सड़क का निर्माण कर लिया गया है, जिससे ज्योलिकोंग तक वाहन पहुंच रहे हैं।
5-सैलानियों से गुलजार होगा जादुंग गांव
उत्तरकाशी जिले का जादुंग गांव अब जल्द ही पर्यटकों से गुलजार होगा। वाइब्रेंट विलेज योजना के अंतर्गत जादुंग को पर्यटन गांव के रूप में विकसित किया जा रहा है। जादुंग गांव को वर्ष 1962 में भारत-चीन युद्ध के समय खाली कराया गया था। तब से यह गांव वीरान पड़ा था। अब सरकार ने गांव में जीर्ण शीर्ण भवनों का जीर्णोद्धार कर उन्हें होमस्टे के रूप में विकसित करने का अभिनव प्रयास किया है। योजना के प्रथम चरण में छह भवनों का जीर्णोद्धार कार्य शुरू कर दिया गया है।
6-देहरादून से मसूरी के लिए रोपवे का निर्माण शुरू
देहरादून से सटे पुरकुल गांव से लाइब्रेरी चौक मसूरी रोप-वे परियोजना का निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया है। इस रोपवे के बनने से देहरादून से मसूरी तक का एक से सवा घंटे का सफर मात्र 15 मिनट में तय किया जा सकेगा। रोपवे की लंबाई 5.3 किमी होगी। रोपवे में दस सीटर केबिन होगा। नवंबर 2026 तक रोपवे का निर्माण पूरा करने का लक्ष्य है। चंपावत जिले में ठूलीगाड से पूर्णागिरी और उत्तरकाशी जिले में जानकीचट्टी (खरसाली) से यमुनोत्री मंदिर तक रोपवे निर्माण के लिए प्रक्रिया जारी है।
7-वेडिंग डेस्टिनेशन में बनेगी खास पहचान
उत्तराखंड सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वेड इन इंडिया विजन को साकार करने के लिए संकल्पबद्ध है। आगामी वर्षों में उत्तराखंड वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में देश दुनिया में अपनी खास पहचान बनाएगा। यहां चारधाम तीर्थयात्रियों की आस्था और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर स्थल पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहे हैं। अब प्रदेश सरकार उत्तराखंड को सर्वश्रेष्ठ वेडिंग डेस्टिनेशन बनाने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रही है।
8-वीर चंद्र सिंह गढ़वाली पर्यटन योजना बनी वरदान
वीर चंद्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना स्वरोजगार को बढ़ाने और पर्यटन के विकास में कारगर सिद्ध हुई है। योजना के तहत पर्यटन व्यवसाय के लिए अधिकतम ₹33 लाख तक के अनुदान का प्रावधान है। इसी प्रकार दीन दयाल उपाध्याय गृह आवास (होम स्टे) विकास योजना के अंतर्गत अधिकतम ₹15 लाख के अनुदान का प्रावधान है। ट्रेकिंग ट्रेक्शन होमस्टे अनुदान योजना के अंतर्गत ट्रेकिंग रूट के पास होमस्टे बनाने पर प्रति कक्ष ₹60 हजार तक अनुदान का प्रावधान है। अधिकतम छह कमरों के लिए यह मदद दी जाएगी।
9-चार गांवों को सर्वश्रेष्ठ पर्यटन ग्राम पुरस्कार
राज्य के चार गांवों को सर्वश्रेष्ठ पर्यटन ग्राम पुरस्कार मिलना उत्तराखंड सरकार की बड़ी उपलब्धि है। विश्व पर्यटन दिवस के मौके पर उत्तरकाशी जिले के जखोल गांव को साहसिक पर्यटन, हर्षिल (उत्तरकाशी) और गुंजी को (पिथौरागढ़) वाइब्रेंट विलेज एवं बागेश्वर जिले के सूपी ग्राम को कृषि पर्यटन के लिए सर्वश्रेष्ठ पर्यटन ग्राम पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
47 हजार 646 करोड़ के करार
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की पहल पर दिसंबर 23 में आयोजित दो दिवसीय वैश्विक निवेशक सम्मेलन में पर्यटन सेक्टर पर भी विशेष फोकस किया गया। सम्मेलन के माध्यम से कुल ₹3.56 लाख करोड़ के निवेश के करार किए गए हैं। इनमें ₹47646 करोड़ के 437 करार पर्यटन क्षेत्र में निवेश के लिए हुए हैं।
10-रामनगर में होटल मैनेजमेंट डिग्री कोर्स की पढ़ाई शुरू
आतिथ्य क्षेत्र में गुणवत्तापरक होटल मैनेजमेंट डिग्री कोर्स शुरू किया गया है। इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट कैटरिंग टेक्नोलॉजी एंड एप्लाइड न्यूट्रिशन रामनगर में शैक्षणिक सत्र 2023-24 से कोर्स संचालित किया जा रहा है।
11-जागेश्वर धाम का मास्टर प्लान तैयार
अल्मोड़ा जिले के अंतर्गत जागेश्वर धाम का मास्टर प्लान तैयार कर लिया गया है। मास्टर प्लान के तहत प्रस्तावित ₹133.85 करोड़ के कार्यों के सापेक्ष ₹21.34 करोड़ की वित्तीय स्वीकृति अब तक जारी की जा चुकी है।
आप पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर होमस्टे बुकिंग कर सकते हैं।
पर्यटन विभाग द्वारा होमस्टे बुकिंग के लिए ऑनलाइन ट्रेवल एग्रीगेटर शुरू किया गया है। अब विभागीय वेबसाइट के माध्यम से होम स्टे की बुकिंग की जा सकती है।
उत्तराखंड का अपनी समृद्ध संस्कृति और विरासत के लिए विश्व के पर्यटन मानचित्र पर विशिष्ट स्थान है। यहां का प्राकृतिक सौंदर्य , शुद्ध पर्यावरण, जैविक खेती और अनेक विविधताओं को समेटे लोक संस्कृति पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रही है। चारधाम सदियों से देश और दुनिया के करोड़ों लोगों की आस्था के केंद्र हैं। राज्य की आर्थिकी को मजबूती देने में पर्यटन का महत्वपूर्ण योगदान है। राज्य में होम स्टे को बढ़ावा देने के साथ ही सड़क, रेल और एयर कनेक्टिविटी को बेहतर बनाया जा रहा है। वेडिंग डेस्टिनेशन पर भी हमारा विशेष फोकस है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपेक्षा के अनुरूप आगामी वर्षों में उत्तराखंड भारत ही नहीं बल्कि विश्व का सर्वश्रेष्ठ वेडिंग डेस्टिनेशन बनेगा।
अन्य प्रमुख उपलब्धियां -
1-श्री केदारनाथ और बद्रीनाथ की तर्ज पर विकसित होगा महासू देवता हनोल का मंदिर। मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है तैयार। देहरादून जिले के जौनसार बावर क्षेत्र के अंतर्गत टोंस नदी के किनारे स्थित है यह मंदिर।
2-राज्य में पहली बार हुआ टिहरी एक्रो फेस्टिवल का आयोजन। 26 देशों के 54 विदेशी और 120 भारतीय पैराग्लाइडिंग पायलट हुए शामिल।
3-नेहरू पर्वतारोहण संस्थान उत्तरकाशी के माध्यम से साहसिक पर्यटन के अंतर्गत 720 युवाओं को विभिन्न साहसिक पर्यटन कोर्स का प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
4-दक्षिण भारत में उत्तराखंड पर्यटन के प्रचार प्रसार के लिए जनपद रूद्रप्रयाग में क्रौंच पर्वत पर स्थित कार्तिक स्वामी मंदिर में 108 वालमपुरी शंख पूजा, कलश स्थापना और वस्त्र आदान-प्रदान कार्यक्रम का आयोजन।
5-एस्ट्रो टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए प्रथम एवं द्वितीय नक्षत्र सभा का जॉर्ज एवरेस्ट (मसूरी) एवं जागेश्वर (अल्मोड़ा) में आयोजन।
इस अवसर पर उन सभी शहीदों को नमन।