जम्मू कश्मीर का भारत मे विलय का इतिहास History of jammu Kashmir

 


26 अक्टूबर 1947 को जम्मू कश्मीर रियासत भारत संघ मे शामिल हुआ।राजा हरिसिंह एक स्वतन्त्र मुल्क चाहते थे।और पाकिस्तान इस पर नजर गढाये रखा था।22 अक्टूबर को पाकिस्तानी कब्बालियों ने जम्मू कश्मीर पर हमला कर दिया।और कत्ले आम करने लगे। राजा हरिसिंह ने भारत से मदद मांगी और मदद हेतु 26 अक्टूबर को कश्मीर विलय की सन्धि फर हस्ताक्षर किये। और अगले दिन भारतीय सेना ने पहुंचकर कब्बालियों को खदेड़ दिया।और जम्मूकश्मीर को भारत मे विलय कर दिया।हवाई अड्डे से सारा बर्फ संघ के स्वयं सेवकों ने हटाया। जिससे सेना को काफी मदद मिल गयी।

इससे पहले 17अक्टूबर को संघ के तत्कालीन सरसंघचालक श्री गुरुजी गृहमन्त्री सरदार पटेल के आग्रह पर राजा को भारत मे विलय हेतु भेजा गया।और वे जम्मू कश्मीर गये।और राजा हरिसिंह को मना लिया।गये।जम्मू कश्मीर का नाम कश्यप ऋषि के नाम से पड़ा। और जम्मू कश्मीर के पहले राजा भी कश्यप ऋषि ही थे। उन्होंने अपने सपनों का कश्मीर बनाया था।कश्मीर घाटी में सर्वप्रथम कश्यप समाज ही निवास करता था।भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे उत्तरी भौगोलिक क्षेत्र कश्मीर का इतिहास अति प्राचीन काल से आरंभ होता है। कश्मीर के सभी मूल निवासी हिंदू थे। कश्मीर भारत का सबसे प्राचीन जनपदों में से एक रहा है हाल ही जम्मू कश्मीर के अखनूर से प्राप्त हड़प्पा कालीन अवशेषों तथा मौर्य कुषाण और गुप्त काल की कलाकृतियों से जम्मू के प्राचीन इतिहास का पता चलता है। 

इस सम्पूर्ण क्षेत्र पर सबसे पहले जम्मू द्वीप के राजा अग्निघ्र का राज ही था। कुछ विद्वान मानते हैं कि पहले इंद्र का ही राज था। हालांकि बाद में यहां सतयुग में कश्यप ऋषि का राज हो गया। त्रेता युग में अर्थात भगवान राम के काल के हजारों वर्ष पूर्व प्रथम मनु के पौत्र और प्रियव्रत के पुत्र ने इस भारतवर्ष को बसाया था।तब इसका नाम कुछ और ही था उनके शासन के अंतर्गत कश्मीर एक जनपद था।राजतरंगिणी तथा नीलम पुराण की कथा के अनुसार कश्मीर की घाटी मे कभी बहुत बड़ी झील हुआ करती थी। कश्यप ऋषि ने यहां से पानी निकाल लिया।और इस मनोरम प्राकृतिक स्थल में बदल दिया। इस तरह कश्मीर की घाटी अस्तित्व में आई। हालांकि भूगर्भशास्त्रियों के अनुसार खदियानयार, बारामूला में पहाड़ों के धसने से झील का पानी बहकर निकल गया और इस तरह कश्मीर में रहने लायक स्थान बने। राजतरंगिणी1184 ईसा पूर्व के राजा को गोनंद से लेकर राजा विजय सिम्हा( 1129 ई )तक के कश्मीर की प्राचीन राजवंशों और राजाओं का प्रमाणित दस्तावेज है। भारत के 16 महाजनपदों में से तीन गंधार कंबोज और कुरु महाजनपद के अंतर्गत आते थे। 

गंधार आज के पाकिस्तान का पश्चिमी तथा अफगानिस्तान का पूर्वी क्षेत्र उस काल में भारत का गंधार प्रदेश था।आधुनिक कंधार इस क्षेत्र से कुछ दक्षिण में स्थित था। सिकंदर की भारत पर आक्रमण के समय गंधार में कई छोटी-छोटी रियासतें थी।जैसे अभिसार तक्षशिला आदि। पुरुषपुर (आधुनिक पेशावर) तथा तक्षशिला इसकी राजधानी थी। इसका अस्तित्व 600 ईसा पूर्व से 11वीं सदी तक रहा। उल्लेख ने है कि  महाभारत में अभिसारी नामक नगर का उल्लेख मिलता है। जो चिनाब नदी के पश्चिम में पुंछ राजौरी और भिंभर की पहाड़ियों में स्थित था। बाल्मीकि रामायण की अनुसार कांबोज वाल्हीक और वनायु देश के पास स्थित है।आधुनिक मान्यतानुसार कश्मीर के राजोरी से तजाकिस्तान तक का हिस्सा कंबोज था।जिसमें आज का पामीर का पठार और बदख्शां भी है।  कश्मीर को उसकी खूबसूरत वादियों और धरती के स्वर्ग के तौर पर जाना जाता है।तो वहीं जम्मू माता वैष्णो देवी मंदिर के लिए प्रसिद्ध है।1346 तक हिंदू राजवंशों ने कश्मीर पर शासन किया उसके बाद मुस्लिम आक्रांताओं ने इस आक्मण कर इस पर 5 शताब्दियों तक राज किया। जिसका अंत तब हुआ जब 1819 में कश्मीर को पंजाब के सिक्ख साम्राज्य में और फिर 1846 में जम्मू के डोगरा साम्राज्य में मिला लिया गया।यह प्राचीन मे 1000 वर्षों तख संस्कृत शिक्षा का केंद्र था। यहां बौद्ध धर्म फैला और फलता -फूलता गया। बौद्ध धर्म का केंद्र था कम से कम 2300 साल पहले अशोक के समय में यहाँ बौद्ध धर्म का प्रचलन चला था।

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