अशोक चक्र नीरजा भनोट भारत,अमेरिका पाकिस्तान से सम्मानितNeeraja bhanot,

 


5 सितम्बर 1986 को पैन एम फ्लाइट 73 जो मुम्बई से कंराची होते हुए अमेरिका जाना था फ्लाइट को। फ्लाइट मुम्बई से निकली जिसमे 380 यात्री और 12 चालक दल के सदस्य सवार थे।नीरजा भनोट केबिन क्रू की इन्चार्ज थी।और नयी ट्रैनी थी।वह 7 सितम्बर तक अपने लौटने के इन्तजार मे थी।ताकि 24वाँ जन्म दिवस परिवार के साथ मना सके। लेकिन तकदीर को यह मंजूर न था।सुबह के लगभग 6 बजे इसी वक्त पैन एम 73 कंराची एअर पोर्ट पर लैंडिंग हुई। एक एअर पोर्ट ह्वीकल से 4 आंतकवादी आते हैं।और विमान की सीढियों पर चढते हैं।जो सिक्योरिटी वर्दी पहने हुए थे।जिनके पास असाल्ट राइफल,पिस्टल,हैंड ग्रेनेड थे।और बारूद लगे बेल्ट पहने थे।हथियार बन्द आतंकियो को सीढियां चढते नीरजा भनोट ने पर्जेंस आफ माइंड लगाकर तुरन्त एक्शन ले लिया और इंटरकाँम पर पायलट और उसके क्रु को स्पेशल कोड मे सब बता दिया।आतंकवादियों के काकपिट मे पहुंचने से पहले ही पायलट और फ्लांइग क्रू दल काकपिट मे मौजूद इमरजन्सी गेट से बाहर निकलने मे कामयाब हो गये।और नीरजा ने गेम पलट दिया।
 ये आंतकवादी अबू निदाल संगठन से थे।ये आतंकवादी पैन एम फ्लाइट73 को कंराची,फ्रैन्कफर्ट मे रुकना था।लेकिन 5 सितम्बर 1986 को अबूनिदाल संगठन फलीस्तीनी आतंकवादियों ने कंराची मे बोइंग 747-121को हाइजैक करने की कोशिश की।आतंकवादियों का मकसद था।कि साइप्रस और ईजरायल की जेलों मे कैद फलिस्तीनी कैदियों को हाइजैक प्लेन के दम पर छुडा़ना।आतंकवादी प्लेन को अपने हिसाब से नहीं उडा़ पाये क्योंकि पायलट सहित सभी फ्लाइंग टीम आपात काल द्वार से बाहर निकल चुकी थी।

आतंकवादियों को जब खाली पिट मिला तो वे कुछ नहीं कर पाये।उन्होने पाकिस्तान से पायलेट मांगे और पाकिसातान ने भी उनको उलझाके रखा।काफी समय गतिरोध मे बीत गया।आतंकियों ने नीरजा को अमेरिकी यात्रियों के पासपोर्ट इकठ्ठा करने को कहा तो वह उनको छिपाने और कूडे़दान मे फेंकने मे सफल रही। और इस तरह अमेरिकी यात्रियों की जान बचायी।इस विमान मे भारत ,पाकिस्तान,अमेरिका और अन्य देशों के यात्री भी थे। यात्री परेशान हो गये।बिना खाये- पिये और अन्य समस्याओं से परेशान हो गये।गतिरोध के लगभग 17 घण्टे बाद नीरजा ने विमान का आपातकालीन द्वार खोल दिया।और यात्रियों को विमान से भागने मे मदद करना शुरू किया। उसने काफी यात्रियों को सकुशल भगाने मे मदद की जब वह दो छोटे बच्चों को आपातकाल द्वार से बाहर निकाल रही थी।उसी समय आतंकवादियों ने नीरजा के बालो को पकड़कर गोली मार दी। 
इस दौरान लगभग 22 लोगों की जान चली गयी।और 150 के लगभग यात्री घायल हो गये।थोडी़ देर बाद पाकिस्तानी विशेष सेवा दल समूह ने विमान फर धावा बोल दिया।और सभी अपहरण कर्ताओं को मारा डाला। बाद मे जिन बच्चो को नीरजा ने छुड़वाने मे मदद की उनमे से 7 वर्ष का एक बच्चा शामिल था।जो बाद मे पायलट बना।जिसने अपना आदर्श और प्रेरणा स्रोत नीरजा को बताया।नीरजा चाहती तो पहले ही अपनी जान बचाकर भाग सकती थी। लेकिन उसने ऐसा नहीं किया।नीरजा के इस बलिदान,धैर्य और अदम्य साहस को मरणोपरान्त बहुत सम्मान मिला।


भारत सरकार ने 1987 मे अशोक चक्र से सम्मानित किया।नीरजा अशोक चक्र पाने वाली पहली भारतीय महिला थी।

1987 तमगा-ए-पाकिस्तान(अविश्वसनीय मानवीय दयालुता दिखाने के लिए)

1987 फ्लाइट सेफ्टी फाउंडेशन वीरता के लिए अमेरिका द्वारा

2005 कोलम्बिया जिले के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका

2006 विशेष साहस पुरस्कार न्याय विभाग अमेरिका

2011नागरिक उड्डयन मंत्रालय भारत 

2016 यूके संसद हाउस आफ कामन्स संयुक्त राज्य अमेरिका

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