डेंगू बुखार के कारण?लक्षण और इलाजDengu
बरसात के बाद डेंगू ज्यादा फैलने लगता है।डेंगू बुखार एक मच्छर जनित रोग है। डेंगू का बुखार चढ़ाने वाला मादा एडीज एजिप्टी मच्छर छोटा और गहरे रंग का होता है। इसकी टांगे ज्यादा खुली हुई नहीं होती है।और ना ही यह ज्यादा ऊपर तक उड़ पाता है। इसलिए आम तौर पर यह पैरों,टखनों और कोहनी पर काटता है।सूरज निकलने के 2 घंटे बाद और सूर्यास्त से 3-4 घंटे पहले तक यह सबसे ज्यादा सक्रिय रहता है। यह मच्छर ज्यादातर सुबह के समय काटते हैं। डेंगू का बुखार कष्टदायक होता है। और शरीर को दुर्बल कर देता है। जो लोग डेंगू बुखार से दूसरी बार संक्रमित हो जाते हैं उनमें गंभीर बीमारी विकसित होने का काफी अधिक जोखिम होता है।
डेंगू बुखार के कारण.....
डेंगू बुखार चार निकट संबंधी डेंगू विषाणुओं से सम्बधित है। जो वेस्ट नाइल संक्रमण और पीत ज्वर का कारण बनते हैं। डेंगू बुखार मच्छर के काटने से फैलता है जब संक्रमित मच्छर किसी अन्य व्यक्ति को काटता है तो वायरस उस व्यक्ति के रक्त प्रवाह में प्रवेश कर जाता है। और संक्रमण का कारण बनता है डेंगू बुखार से ठीक होने के बाद आपको संक्रमण करने वाले वायरस के प्रति दीर्घकालिक प्रतिरक्षा करनी होती हैं। लेकिन अन्य तीन डेंगू बुखार वायरस के प्रकारों के लिए नहीं है। इसका मतलब है कि आप भविष्य में अन्य तीन वायरस प्रकारों में से किसी एक से फिर से संक्रमित हो सकते हैं।
डेंगू बुखार के लक्षण ....
तेज बुखार शरीर मे दर्द,मांस पेशियों और जोडो़ मे दर्द कुछ गम्भीर मामलों मे रक्त स्राव,और सदमा भी हो सकता है।जो जीवन के लिए खतरा भी हो सकता है।डेंगू बुखार के लक्षण आमतौर पर संक्रमण के चार से 6 दिन बाद शुरू होते हैं। और 10 दिनों तक रहते हैं। इनमे अचानक तेज बुखार, जो लगभग 105 डिग्रीतक होता है। गंभीर सिर दर्द, आंखों के पीछे दर्द, गंभीर जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द, थकान, जी मचलाना, उल्टी आना दस्त होना,त्वचा पर लाल चकत्ते होना, जो बुखार आने के 2 से 5 दिन बाद दिखाई देते हैं। जैसे नाक से खून बहना, मसूड़ों से खून आना, या आसान चोट लगना,डेंगू बुखार गंभीर तब होता है जब आपकी रक्त
वाहिकायें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। और उनमें रिसाव होने लगता है और आपके रक्त प्रवाह में थक्का बनाने वाली कोशिकाओं(प्लेटलेट्स) की संख्या कम हो जाती है। इससे आघात, आंतरिक रक्तस्राव अंग विफलता, और यहां तक की मृत्यु भी हो सकती है।
डेंगू बुखार का निदान......
डेंगू वायरस या एंटीबॉडी की जांच के लिए डॉक्टर रक्त परीक्षण के साथ डेंगू संक्रमण का निदान कर सकते हैं। बीमारी के बाद कम प्लेटलेट काउंट की जांच की जाती है।इसमें कंपलीट ब्लड काउंट, डेंगू सेरोलॉजी टेस्ट, डेंगू वायरस एंटीजन डिटेक्शन, लिवर फंक्शन टेस्ट, रीनल फंक्शन टेस्ट, चेस्ट एक्स रे,ईसीजी, आदि की जांच की जाती हैं। डेंगू बुखार के लिए गिलोंय के पत्तों का जूस नियमित पीना चाहिए। या पैरोसेटामोल ले सकते हैं।बुखार पर आपको आराम करना चाहिए। बहुत सारे तरल पदार्थ पीने चाहिए। डेंगू बुखार में डॉक्टर की सलाह के बिना फ्लेटलेट रोधी दवाएं नहीं लेनी चाहिए। लेकिन अगर आपको डेंगू बुखार है तो डेंगू बुखार के रक्तस्राव की जटिलताओं के जोखिम से बचने के लिए पेरासिटामोल के अलावा आपको बिना डॉक्टर की सलाह की कोई भी दवाई नहीं लेनी चाहिए।
डेंगू बुखार के रोकथाम कैसे करें.....
डेंगू बुखार को रोकने के लिए सबसे अच्छा तरीका संक्रमित मच्छरों के काटने से बचना है। खुद को बचाने के लिए मच्छरदानी का प्रयोग करें। यहां तक कि अगर आप घर के बाहर हो तो लंबी बाजू की शर्ट पहननी चाहिए।घर के आस-पास गमलों,आदि मे रुका हुआ पानी नही रहना चाहिए। मच्छरों के पनपने वाले स्थानों की सफाई करनी चाहिए।