दादा भाई नौरा जी ने ब्रिटेन में किस संगठन की स्थापना की? Which Organisation did Dada bhai naura ji established in London?

 


दादा भाई नौरा जी का जन्म 4 सितम्बर 1825 को नवसारी मे एक पारसी परिवार मे हुआ था। एलफिंस्टन इंस्टीट्यूट से उन्होने स्कूली शिक्षा प्राप्त की।1854 मे उन्होने रस्ट गोस्टर एक पाक्षिक प्रकाशन की स्थापना की।जो प्रकाशन पारसी अवधारणाओं को स्पस्ट करने और पारसी सामाजिक सुधारों को प्रकाशित करके जन जागरण का कार्य करता था।इसी समय द वाँइस आफ इंडिया नामक एक समाचार पत्रिका भी प्रकाशन किया।

1856 मे वे एलफिस्टनकालेज बाम्बे मे गणित और दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर बने।1859 मे उन्होने कपास ब्यापार कम्पनी की स्थापना की।1861मे द जोरास्ट्रियनट्रस्ट फंडस की स्थापना की।1865 मे नौरा जी नेलंदन इंडियन सोसायटी का निर्देशन और शुभारम्भ किया।जिसका उद्देश्य भारतीय सामाजिक,साहित्यिक और राजनीतिक विषयों पर चर्चा करना था।1866 मे उन्होंने ब्रिटिश जनता के सामने भारतीय दृष्टिकोण रखने के उद्देश्य से ईस्ट इंडिया ऐसोशियेशन की स्थापना मे मदद की।1874 मे वे बडो़दरा के प्रधानमन्त्री बने और बाम्बे विधानपरिषद(1885-88)के सदस्य बने।1886 मे कांग्रेस के अध्यक्ष बने।1901मे पाँवर्टी एंड एन ब्रिटिश रुल इन ईंडिया प्रकाशित की।वे फिर ब्रिटेन चले गये।और अपनी राजनीतिक भागीदारी जारी रखी।

1892 मे ब्रिटेन मे हुए आम चुनाव मे फिंस्बरीसैन्ट्रल मे लिबरल पार्टी के लिए चुने गये।और वे पहले ब्रिटिश भारतीय सांसद थे।उन्होने बाइबिल की शपथ लेने से इन्कार कर दिया।उन्होंने पारसी खोरदेह अवेस्ता की प्रति पर ईश्वर के नाम पर शपथ ली।उन्होने उस समय भारत की स्थिति सुधारने की दिशा मे प्रयास किये।भारत की  स्थिति और औपनिवेशिक शासकों के शासन तौर तरीकों के बारे मे अपने विचार रखे।वे उदारवादी, नरम दल और गरम दल के बीच के ही रहे।लेकिन राष्ट्रवाद ,स्वशासन के पक्षधर रहे।वे भारत मे अंग्रेजों की लूट आर्थिक नीतियों के विरोधी थे।और फूट डालो राज करो नीतियों के विरोधी रहे।उनकि भारत की स्वतन्त्रता मे बडा़ योगदान रहा।वे राजनीतिक,सामाजिक नेताओं के संस्थापकों मे से एक थे।उन्होने अंग्रेजी कुशासन की बुराइयों को पकड़ लिया था।वे एक अर्थशास्त्री,एक शिक्षाविद,समाज सुधारक,और  कट्टर राष्ट्रवादी नेता थे।उन्हे भारत का बयोबृद्ध नेता(ग्रैन्ड ओल्डमैन) कहा जाता है।भारत सरकार ने उनकी स्मृति और राष्ट्रीय योगदान हेतु डाक टिकट समय -समय पर जारी किये हैं।20 अगस्त 1917 को उनका निधन हुआ।

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