भारतीय कालगणना क्यों विश्व मे सर्वश्रेष्ठ?
भारतीय काल गणना खगोलीय घटनाओं के सापेक्ष मानी जाती है। काल (समय) वास्तव में अमूर्त होता है। घटती घटनाओं से काल को जाना जाता है। पदार्थो व परिस्थितियों का परिवर्तन अव्यक्त काल व्यक्त करता है। भारतीय काल गणना इतनी वैज्ञानिक और परिपूर्ण है कि उसे आज तक अपनी सामाजिक परम्पराओं व मान्यताओं द्वारा संभालकर रखा गया है। सदियों से भारत में लोगों द्वारा इस गणना की सहायता लेकर अनेक कार्यो में इसका सफलतापूर्वक लाभ लिया जा रहा है।
समय की व्यवस्थित गणना का प्रयास मनुष्य के जन्म के साथ ही प्रारंभ हो गया। भारत में समय की गणना प्रकृति में परिवर्तन एवं खगोलीय घटनाओं को आधार मानकर की गई। आकाश में 27 नक्षत्र हैं।तथा इनके 108 पाद होते हैं। विभिन्न अवसरों पर नो-नो पाद मिलकर 12 राशियों की आकृति बनाते हैं। हमने गोलाकार अंतरिक्ष को 27 नक्षत्रों और 12 राशियों में विभाजित किया।ये नक्षत्र और राशियाँ गोलाकार अंतरिक्ष के निशान मील के पत्थर हैं। आकाश में स्थित पिंडो की स्थिति इन्हीं मील के पत्थरों अर्थात नक्षत्र और राशियों के माध्यम से जानी जाती है। भारतीय कालगणना में श्रृष्टि के प्रारंभ से लेकर अब तक सेकण्ड के 100वें भाग का भी अंतर नहीं आया है। पूर्ण शुद्धकाल- गणना भारत में प्राचीन काल से मुख्य रूप से सौर तथा चन्द्र कालणना का मिश्रित स्वरूप ब्यवहार में लाया जाता है।
ज्योतिष के प्राचीन ग्रंथ सूर्य सिद्धांत के अनुसार पृथ्वी सूर्य के चक्कर लगाने में 365 दिन 15 घटी 31पल 31 विपल तथा 24 प्रतिविपल (365. 25875 6484 दिन) का समय लेती है। यही वर्ष का कालमान है। भारत में समय की गणना में पांच वीधियों का समावेश है। सौर, चंद्र, नक्षत्र,सावन,अधिकमास,यह वर्ष भिन्न-भिन्न दिनों की संख्या के आधार पर है।
समय की सबसे छोटी व बड़ी इकाई-----
वर्ष, महीने,दिन आदि की गणना के महान गणितज्ञ भास्कराचार्य ने आज से 1400 वर्ष पहले लिखे अपने ग्रंथ में समय की भारतीय इकाइयों का विशद विवेचन किया है।
ये इकाइयां इस प्रकार हैं।
225 त्रुटि =1प्रतिविपल
60प्रतिविपल=1विपल(0.4सेकंड)
60 विपल=1 पल(24सेकण्ड)
60 पल=1घटी(24मिनिट)
2.5 घटी=1होरा(एक घण्टा)
5 घटी=1लग्न(2घण्टे)
60 घटी=1दिन(24घण्टे)
7दिन=1सप्ताह
2सप्ताह=1पक्ष
2पक्ष=1मास
2मास=1श्रतु
3श्रतु=1अयन(6मास)
2अयन=1वर्ष
2 परमाणु=1अणु
3अणु=1त्रसरेणु
3त्रसरेणु=1त्रुटि
100त्रुटि=1वेध
3वेध=1लव
3लव=1निमेष
3निमेष=1क्षण
5क्षण=1काष्ठा
30काष्ठा=1कला
15कला=1लघु
15लघु=नाडिका
2नाडिका=1मुहूर्त
30कला=1मुहूर्त
30मुहूर्त=1दिनरात
भारत मे प्रचलित संवत्
कल्पाब्द संवत्
विक्रम संवत्
श्रीरामसंवत्
बल्लभीसंवत्
बौद्धसंवत्
हरषाब्दसंवत्
श्री शंकराचार्य संवत्
वामन-संवत्
कलचुरी संवत्
युद्धिष्ठर सवंत्
बाँगला संवत्
सृष्टि-संवत्
शालिवाहनसंवत्
श्रीकृष्णसंवत्
फसलीसंवत्
महावरी संवत्
अयन---
सूर्य छह मास उत्तरायन और छह मास दक्षिणायन मे रहता है।
राशियांँ---
मेष
वृषभ
मिथुन
कर्क
सिंह
कन्या
तुला
वृश्चिक
धनु
मकर
कुंभ
मीन
पंचाग---
तिथि ,वार,नक्षत्र योग,करण
पक्ष एवं दिन---
मास मे दो पक्ष होते हैं
कृष्ण एवं शुक्ल पक्ष। एक पक्ष में 15 तिथियां होती है। प्रतिपदा से चतुर्दशी तक और कृष्ण पक्ष की 15वीं तिथि अमावस्या व शुक्ल पक्ष की 15वीं तिथि पूर्णिमा कहलाती है।
नक्षत्र ---
अश्विनी ,भरर्णी,कृतिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा,पुनर्वसु,पुष्य, आश्लोषा, मघा,पूर्वा,फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त,चित्रा, स्वाती विशाखा, अनुराधा, जेष्ठा मूल, पूर्वाषाढ़ा,उत्तराषाढा,श्रवण,धनिष्ठा, शतभिषा पूर्वाभाद्रपदा, उत्तरभाद्रपदा, रेवती।
6 ऋतु एवं 12मास
बसंत श्रतु -चैत्र /वैशाख मास
ग्रीष्म ऋतु-ज्येष्ठ,आषाढ,मास
वर्षा ऋतु-श्रावण,भाद्रपद,मास
शरद ऋतु-अश्विन,कार्तिकमास
हेमंत ऋतु- मार्गशीर्ष,पौषमास
शिशिरश्रतु -माघ,फाल्गुन मास