मैडम भीखा जी कामा का भारतीय स्वतन्त्रता मे क्यो योगदान था?What was the contribution of Madam bhika ji cama in Indian Indepedence?
भीखा जी कामा का जन्म 24 सितम्बर1861 को मुम्बई मे एक पारसी परिवार मे हुआ था।उनके पिता का नाम सोराब जी फ्रैम जी पटेल था।उनकी माता का नाम जयजीबाई सोराबाई पटेल था।पिता जी पेशे से ब्यापारी थे। मैडम कामा की शिक्षा नेटिव गर्ल्स स्कूल से हुई थी।वह शुरू से ही तीव्र बुद्धि वाली और संवेदनशील थी।वह हमेशा ब्रिटिश साम्राज्य विरोधी गतिविधियों में लगी रहती थी। वर्ष 1896 में मुंबई में प्लेग रोग फैलने के बाद भीखा जी ने उन मरीजों की सेवा की थी।बाद में वह खुद भी इस बीमारी की चपेट में आ गई थी।इलाज के बाद वह ठीक हो गई थी।लेकिन उन्हें आराम और आगे इलाज के लिए यूरोप जाने की सलाह दी गई। वर्ष1906 में उन्होंने लंदन में रहना शुरू किया। जहां उनकी मुलाकात प्रसिद्ध भारतीय क्रांतिकारी श्याम जी कृष्ण वर्मा और वीर सावरकर से हुई लंदन में रहते हुए दादाभाई नाराजी की वह निजी सचिव भी रहीं दादा भाई नौरोजी ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमंस का चुनाव लड़ने वाले पहले एशियाई थे।
विदेश में रहकर उन्होने भारत की स्वतंत्रता के लिए क्रांतिकारी रचनायें की ।और कई प्रकार का साहित्य प्रकाशित करवाया। और उनका प्रचार- प्रसार किया। ताकि भारत की आजादी की लड़ाई को मजबूती मिल सके। जब वह फ्रांस में थी तब ब्रिटिश सरकार ने उनको वापस बुलाने की मांग की थी। परन्तु फ्रांस की सरकार ने उस मांग को खारिज कर दिया।उसके पश्चात ब्रिटिश सरकार ने उनकी भारतीय संपत्ति को जब्त कर लिया। और भीकाजी कामा के भारत आने पर रोक लगा दी। उनके सहयोगी उन्हें भारतीय क्रांति की जननी मानते थे। जबकि अंग्रेज उनको खतरनाक,महिला क्रांतिकारी असंगत और ब्रिटिश विरोधी मानते थे।
1885 मे उनका विवाह एक पारसी समाज सुधारक रुस्तम जी कामा से हुआ था। लेकिन यह शादी उनकी सफल नहीं रही।वैचारिक भिन्नता के कारण। भीखाजी ने 1905 में अपने सहयोगियों विनायक दामोदर सावरकर और श्याम जी कृष्ण वर्मा की मदद से भारत का ध्वज का डिजाइन तैयार किया। उन्होंने इस ध्वज को इस तरह से डिजाइन किया कि इसमें सभी धर्मों का प्रतिनिधित्व हो सके।इसमें इस्लाम,हिंदुत्व,और बौद्ध मत को प्रदर्शित करने के लिए हरा पीला और लाल रंग का इस्तेमाल किया गया था। साथ ही उसमें बीच में देवनागरी लिपि में वंदे मातरम लिखा गया था। 22 अगस्त 1907 को उन्होंने जर्मन में भारतीय स्वतन्त्रता के लिए तिरंगा ध्वज फहराया था। भीखा जी ने लंदन जर्मनी अमेरिका का भ्रमण कर भारत की स्वतंत्रता के लिए माहौल बनाया था। भीखा जी हालांकि हिंसा में विश्वास नहीं रखती थी। लेकिन उन्होंने अन्याय के विरोध मे आवाज उठायी। और स्वराज के लिए आवाज उठाई और नारा दिया। आगे बढ़ो हम भारत के लिए हैं और भारत भारतीयों के लिए है। एक धनी परिवार में जन्म लेने के बावजूद इस महिला ने आदर्श और दृढ़ संकल्प के बल पर सभी तरह के सुखी जीवन वाले वातावरण को तिलांजलि दे दी। श्रीमती कामा का बहुत बड़ा योगदान साम्राज्यवाद के विरुद्ध विश्व जनमत को खडा़ करना तथा विदेशी शासन से मुक्ति के लिए भारत की स्वतन्त्रता को दावे के साथ प्रस्तुत करना था। भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ते हुए उनको लंबी अवधि तक निर्वासित जीवन जीना पडा़। भीखाजी कामा उस समय अपना अधिकांश समय सामाजिक कार्यों में व्यतीत करती थी।मैडम कामा के सम्मान मे भारत मे कई सड़कों और स्थानों का नाम भीखा जी के नाम है।26 जनवरी 1962 को भारतीय डाक विभाग ने उनके सम्मान मे डाक टिकट जारी किया। इस प्रकार इस महान स्वतन्त्रता सेनानी का निधन 13 अगस्त 1936 को मुम्बई मे हुआ।