अनंत चतुर्दशी क्यों मनाते हैं?Anant chaturdashi
भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी मनाते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, और पूजा के बाद अनंत धागा धारण करते हैं। इस दिन गणेश के विसर्जन के साथ 10 दिनों तक चलने वाले गणेशोत्सव का भी समापन होता है। यह व्रत सुख ,शान्ति, धन और संतान की कामना के लिए किया जाता है। अनन्त चतचर्दशी को अनंत चौदस के नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत में भगवान विष्णु के अनेक रूपों की पूजा की जाती है। अनंत भगवान विष्णु की पूजा के बाद हाथ पर अनंत सूत्र बांधा जाता है। यह सूत्र कपास या रेशम का बना होता हैं।और इनमें 14 गांँठें होती हैं।
इस दिन गणेश विसर्जन होने की वजह से इस पर्व का महत्व और भी बढ़ जाता है। भारत के कई राज्यों में गणेशोत्सव,और गणेश विसर्जन बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। कई जगहों पर इस दिन धार्मिक झांकियां भी निकाली जाती है। पुरानी मान्यता के अनुसार अनंत भगवान ने सृष्टि के आरंभ में 14 लोकों
1- तल,
2-अतल,
3-वितल,
4- सुतल
5-तलातल,
6-रसातल,
7-पाताल,
8-भू,
9-भुवः,
10-स्वः,
11-जन,
12-तप,
13-सत्य,
14-मह,
की रचना की थी। इन लोकों का पालन और रक्षा करने के लिए वह 14 रूपों में प्रकट हुए थे। जिससे वे अनंत प्रतीत होने लगे।इसलिए अनंत चतुर्दशी भगवान विष्णु का दिन माना जाता है, इस दिन भगवान विष्णु का सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ करने से समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
महाभारत काल से शुरू हुई थी अनंत चतुर्दशी व्रत --
अनंत चतुर्दशी व्रत की शुरुआत महाभारत कथा के अनुसार जब कौरवों ने छल से पासा (जुए )में पांडवों को हरा दिया था। तो इसके बाद पांडवों को अपना राजपाट त्याग कर वनवास जाना पड़ा।और इस दौरान पाण्डवों ने बहुत कष्ट उठाये। एक दिन श्री कृष्ण भगवान पांडवों को मिलने वन पधारे। भगवान श्री कृष्ण को देखकर युधिष्ठिर ने कहा कि हे मधुसूदन हमें इस पीड़ा से निकलने का और दोबारा राज पाट प्राप्त करने का उपाय बताऐं।तब श्री कृष्ण ने कहा युद्धिष्ठर तुम विधि पूर्वक अनंत भगवान का व्रत करो इससे तुम्हारे सारे संकट दूर हो जाऐंगे। इस पर युधिष्ठिर ने पूछा की अनंत भगवान कौन है इसके उत्तर में श्री कृष्ण ने कहा कि यह भगवान विष्णु के ही रूप हैं। चतुर्मास में भगवान विष्णु शेषनाग की सैया पर अनंत शयन में रहते हैं। श्री कृष्ण की आज्ञा से युद्धिष्ठर ने परिवार सहित अनंत भगवान का व्रत किया जिसके प्रभाव से पांडव महाभारत के युद्ध में विजयी हुए। तथा चिरकाल तक राज्य करते रहे।अनंत भगवान की पूजा से उनके सभी कष्ट समाप्त हो गये।और तब से भारतीय समाज अनंत चतुर्दशी को व्रत धारण करके विधिविधान से पूजापाठ करते हैं।और गणेशोत्सव के बाद भगवान गणेश की मूर्ति का विसर्जन करते हैं।इसलिए यह पर्व भारतीय समाज के लिए महत्वपूर्ण है।