महिला समानता दिवस क्या है?women'sEquality day2024
26 अगस्त को महिला समानता दिवस (Women's Equality day) है।यह दिन महिलाओं के अधिकारों और समाज में उनके योगदान को सम्मानित करने का अवसर प्रदान करता है वैसे तो आज विश्व भर मे महिलायें पुरषों के साथ कन्धा से कन्धा मिलाकर चल रही हैं।घर के चूल्हे से लेकर आसमान की उडा़न,या ट्रक ड्राइवर से लेकर अन्तरिक्ष अनुसंधान तक, सभी जगह अवसर मिलने पर महिलायें अद्वितीय हैं। पुरुषवादी सोच के चलते महिलाओं को समानता से नहीं आंका जाता है।
जिससे अभी भी महिलायें समानता के लिए लड़ रही हैं।
अन्तर्राष्ट्रीय महिला समानता दिवस हर वर्ष 26 अगस्त को मनाया जाता है। यह सर्वप्रथम अमेरिका मे 1853 में महिलाओं ने शादी के बाद संपत्ति पर अधिकार मांगने की शुरुआत की थी।
उस वक्त पश्चिमी देशों में महिलाओं को बहुत कम अधिकार दिए जाते थे। अर्थात महिलाएं पुरुषों की गुलाम समझी जाती थी। 1890 में अमेरिका में नेशनल अमेरिकन वूमेन सफरेज संगठन का गठन किया गया। यह संगठन महिलाओं के हितों के लिए लगातार काम कर रहा था। और 1920 में महिलाओं को अमेरिका में वोटिंग का अधिकार मिल गया।1971मे अमेरिकी संसद ने हर साल 26 अगस्त को वूमेन इक्वलिटी डे अर्थात महिला समानता दिवस मनाने की घोषणा की।
उसके बाद धीरे-धीरे यह लगभग पूरी दुनिया में महिला समानता दिवस के रूप में मनाया जाने लगा है। यदि महिलाओं की बात की जाए तो महिलायें मानव समाज का मूल आधार है।बच्चों और परिवार के लिए महिलाओं का समर्पण या समाज निर्माण मे भूमिका।
महिलाओं के बिना मानव जीवन चल नहीं सकता है। एक महिला बच्चे को जन्म देने से लेकर उसके पालन-पोषण, उसकी शिक्षा और बच्चे को संस्कार देती है।
एक महिला न जाने कितने रिश्तों में रंग भरती हैं।कभी वह मां बनकर ममता लुटाती है। तो कभी पत्नी, कभी बेटी, और कभी बहन बनकर रिश्ते निभाते हैं। और यही महिला कभी अपने हक की लड़ाई भी लड़ रही होती है। विश्व में कई ऐसे देश हैं जहां आज भी महिला बराबरी की लड़ाई लड़ रही है। घर हो या ऑफिस महिलाओं को हमेशा पुरुषों और पुरुषवादी सोच में कम ही समझा जाता है। ऐसा नहीं है कि महिलाओं में किसी भी तरह से कम शक्ति है।बल्कि महिलाओं में और पुरुषों में बराबर की शक्ति और योग्यता है।सिर्फ इस बात की कमी है।कि महिलाओं को पुरुषों से कम आंका जाता है।जिससे महिलाओं को किसी भी क्षेत्र मे समानता के लिए लड़ना पड़ता है। महिला समानता दिवस 2024 लैंगिक समानता की दिशा में की गई प्रगति का जश्न मनाने और अभी भी किए जाने वाले काम को पहचानने का समय है
हालांकि आज दुनिया मे कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है।जहां महिलायें पीछे हो।भारतीय संस्कृति मे तो नारी पूज्यनीय है। बस सिर्फ सोच और समान अवसर देने की जरुरत है। इस दिवस पर पुरुषों के समान ही महिलाओं को भी समानता के अधिकार हेतु विश्वभर के समाज मे जनजागरण करने की आवश्यकता है। और बराबर का सम्मान,और अवसर महिलाओं और पुरुषों दोनों को दिये जाने की आवश्यकता है।