भारतीय संस्कृति में रक्षा बंधन क्यों है महत्वपूर्ण?Raksha bandhan2024

 


रक्षाबंधन भारतीय संस्कृति का प्रमुख त्यौहार है।यह त्यौहार भाई बहन के बीच अगाध स्नेह एवं अटूट विश्वास का प्रतीक है। रक्षाबंधन एक सामाजिक पौराणिक धार्मिक और ऐतिहासिक है।विश्वास की भावना के धागे से बना एक ऐसा पावन बंधन है जिसे रक्षाबंधन के नाम से केवल भारत में ही नहीं बल्कि नेपाल और मॉरिशस में भी बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।राखी का त्योहार संपूर्ण भारतवर्ष में सदियों से मनाते चले आ रहे हैं।आइये जानते हैं, राखी से जुड़ा इतिहास-

 भविष्य पुराण में राखी का वर्णन मिलता है जब देव और दानवों में युद्ध शुरू हुआ था।तब दानव भारी होते नजर आने लगे।भगवान इंद्र घबरा कर बृहस्पति के पास गए वहां बैठी इंद्र की पत्नी इन्द्राणी सब सुन रही थी।उन्होंने रेशम का धागा मंत्रों की शक्ति से पवित्र करके अपने पति के हाथ पर बांध दिया संयोग से यह दिन श्रावण पूर्णिमा का दिन था। कहते हैं  कि इंद्र इस लड़ाई में इसी धागे के मंत्र शक्ति से ही विजयी हुए थे। उसी दिन से श्रावण पूर्णिमा के दिन से रक्षा धागा बांँधने की प्रथा चली आ रही है। 

राजा बलि को भी  माता लक्ष्मी ने रक्षासूत्र बांधा था।दानव राजा बलि से अपने पति विष्णु को छुडा़ने के लिए,तब से यह धागा धन, शक्ति, हर्ष ,और विजय देने में पूरी तरह समर्थ माना जाता है। इतिहास में श्री कृष्णा और द्रौपदी की कहानी प्रसिद्ध है जिसमें जब कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से शीशुपाल का वध किया तब उनकी तर्जनी में चोट आ गयी थी।द्रौपदी ने उसी समय अपनी साड़ी फाड़कर उनकी उंगली पर पट्टी बांधी और इस उपाय के बदले श्री कृष्ण ने द्रौपदी को किसी भी संकट में द्रोपदी की सहायता करने का वचन दिया था। और उसी के चलते कृष्ण ने उस उपकार का बदला बाद में चीर हरण के समय उनकी साड़ी को बढ़ाकर चुकाया था। कहते हैं परस्पर एक दूसरे की रक्षा और सहयोग की भावना रक्षाबंधन के पर्व में यही से प्रारंभ हुई थी।

रक्षाबंधन के कुछ ऐतिहासिक प्रसंग भी आते हैं। जब राजपूत लड़ाई लड़ने जाते थे। तब महिलाएं उनके माथे पर कुमकुम तिलक लगाने के साथ ही हाथ में रेशमी धागा भी बाँधती थी।इस विश्वास के साथ कि वह धागा उन्हें विजय श्री के साथ वापस ले आएगा राखी के साथ एक और प्रसिद्ध कहानी जुड़ी है।मेवाड़ की रानी कर्मावती को बहादुरशाह द्वारा मेवाड़ पर हमला करने की पूर्व सूचना मिली थी। रानी लड़ने में असमर्थ थी।अतः उसने मुगल बादशाह हुमायूं को राखी भेज कर रक्षा का आग्रह किया था। हुमायूँ ने मुसलमान होते हुए भी राखी की लाज रखी और मेवाड़ पहुंचकर बहादुरशाह के विरुद्ध मेवाड़ की ओर से लडा़ई लड़ते हुए कर्मावती और उसके राज्य की रक्षा की। 

एक अन्य प्रसंग के अनुसार सिकंन्दर की पत्नी ने अपने पति की रक्षा हेतु हिंदू राजा  पोरस को राखी बांधकर अपना मुंँह बोला भाई बनाया था। और युद्ध के समय सिकंदर को न मारने का वचन मांगा था।और उसने युद्ध के दौरान हाथ में बँधी राखी और अपनी बहन को दिए बचन का सम्मान करते हुए सिकंदर को जीवन दान दिया था।

महाभारत में भी इस बात का उल्लेख है कि ज्येष्ठ पांडव युद्धिष्ठर ने भगवान कृष्ण से पूछा कि मैं अपने सभी संकटों को कैसे पार कर सकता हूंँ। तब भगवान कृष्ण ने उनकी तथा उनके राज्य की रक्षा के लिए उनको राखी का त्यौहार मनाने की सलाह दी थी।

 उनका कहना था कि राखी के इस रेशमी धागे में वह शक्ति है जिससे आप हर विपत्ति में भी मुक्ति पा सकते हैं। तब के समय मे द्रौपदी द्वारा कृष्ण को तथा कुंँती द्वारा अभिमन्यु को राखी बांँधने का भी उल्लेख मिलता हैं।इसीलिए इस दिन बहनें अपने भाई के दाएं हाथ पर राखी बांँधकर उनके माथे पर तिलक करती हैं। और उसकी दीर्घायु की कामना करती हैं। बदले में भाई उनकी रक्षा का वचन देता है। ऐसा माना जाता है कि राखी के रंग-बिरंगे धागे भाई बहन के प्यार के बंँधन को मजबूत करते हैं। यह एक ऐसा पावन पर्व है जो भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को पूरा आदर और सम्मान देता है।यही नहीं कि इस अवसर पर केवल बहन भाई को ही राखी बांँधने का प्रचलन हो।बल्कि समाज मे  अन्य सम्बंधों में भी रक्षा बांधने का प्रचलन है।गुरु शिष्य को रक्षा सूत्र बांँधते है। 

भारत में प्राचीन काल में जब कोई शिष्य शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात गुरुकुल से विदा लेता था।तो वह आचार्य का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए  रक्षा सूत्र बाँधता था। जबकि आचार्य अपने विद्यार्थी को इस कामना के साथ सुरक्षा सूत्र बाँधता था कि उसने जो ज्ञान प्राप्त किया है वह अपने भावी जीवन में उसका समुचित ढंग से समाज के हित मे प्रयोग कर सके।और वह अपने ज्ञान के साथ-साथ आचार्य की गरिमा की भी रक्षा करने में भी सफल हो सके।

 इसी परंपरा के अनुरूप आज भी किसी धार्मिक विधि विधान से पूर्व पुरोहित यजमान को रक्षा सूत्र बाँधता है। और यजमान पुरोहित को रक्षा सूत्र इस प्रकार एक दूसरे के सम्मान की रक्षा करने के लिए परस्पर एक दूसरे को रक्षा बंँधन में बांँधते हैं। रक्षाबंधन पर सामाजिक और पारिवारिक एकबद्धता या एक सूत्रता का संकल्प लिया जाता है।भारत का आम समाज आज भारतीय सेना के जवानों को राखी बांँधते है। रक्षा बन्धन के दिन हिन्दू समाज के कुल पुरोहित अपने यजमानों को रक्षा बांधते हैं।ताकि यजमान विपत्ति मे समाज और उसकी रक्षा कर सके।अतः रक्षाबन्धन भारतीय संस्कृति का पौराणिक काल से चलता आ रहा त्यौहार है। आज भारतीय समाज मे  यह रक्षा बन्धन त्योहार आम समाज का बन गया है।जिससे सामाजिक सद्भाव,सौहार्द और सामाजिक सहयोग की भावना और अधिक सशक्त होती है सामाजिक विश्वास बढता है।जो भारतीय संस्कृति के जीवन्त रूप को संरक्षित और सुदृढ करता है। 

2024 में भद्रा के कारण राखी बांधने का शुभ समय 19 अगस्त को दोपहर 1:24 से 6:25 बजे तक है।

Popular posts from this blog

वक्फ बोर्ड क्या है? वक्फ बोर्ड में संशोधन क्यों जरूरी?2024 Waqf Board

सात युद्ध लड़ने वाली बीरबाला तीलू रौतेली का जन्म कब हुआ?Veerbala Teelu Rauteli

संघ(RSS) के कार्यक्रमों में अब सरकारी कर्मचारी क्यों शामिल हो सकेंगे? Now goverment employees are also included in the programs of RSS