ग्रहयुद्ध से बर्बाद सीरिया ने क्यों अपनाया योग?

 


पिछले 12 सालों से ग्रहयुद्ध झेल रहे सीरिया बुरी तरह से बर्बाद हो गया है।इस युद्ध ने यहां के लोगों का सब कुछ छीन लिया है। उन्हें आर्थिक और शारीरिक कष्ट तो हुआ ही साथ ही साथ जो मानसिक कष्ट हुआ उसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है। इस मुश्किल समय में सीरिया के लोगों का सहारा बना भारतीय योग। एक रिपोर्ट के अनुसार इन दिनों पूरे सीरिया में जंगलों, खेल के मैदानों, और स्टेडियमों  में बच्चे और वयस्क नियमित तौर पर योग कर रहे हैं।


 उनकी हथेलियां प्रार्थना के लिए जुड़ती हैं। और भुजाएं पीछे की ओर झुकते हैं। वह सूर्य नमस्कार का जाप करते हैं इसी सूर्य नमस्कार को सीरिया के लोग अरबी में आशीर्वाद मानते हैं। लेकिन इसे संस्कृत मे यह सूर्य नमस्कार कहते है। सीरिया के ट्रेनर हिंदू साधु की वेशभूषा में प्रचार कर रहे हैं। यह आमतौर पर  माना जाता है कि योगी की शुरुआत भगवान शिव ने की थी। एक सीरियायी शिक्षक ने बताया कि ऐसा करके वह वास्तविक और आर्थिक तनाव से सीरिया के लोगों को राहत देने का काम कर रहे हैं। 


सीरिया से दो दशक पहले माजेन ईसा नामक एक व्यक्ति को योग अध्ययन के लिए हिमालय की गोद में बसे शहर ऋषिकेश से सीरिया लौटा था। उसने सीरिया वापस लौटकर एक योग सेंटर खोला अब देशभर में सैकड़ों ध्यान केंद्र निशुल्क चल रहे हैं।सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद भी योग समर्थक हैं और यही उनकी सफलता का सबसे बड़ा राज है। सीरिया में आधी सदी से ज्यादा समय से असद के परिवार ने देश की सुन्नी मुस्लिम आबादी वाले देश पर शासन किया है। अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए असद ने सीरिया के असंख्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ शिया इस्लाम की एक शाखा अल्लाह संप्रदाय के साथ गठबंधन भी किया। 


लेकिन हाल ही में उन्होंने बाकी संप्रदायों को अपने जडे जमाने में काफी मदद की है। योग को प्रोत्साहित करने के अलावा असद ने इंजील ईसाइयों को घरों में चर्च खोलने की मंजूरी दी। यहां पर परिवर्तित मुसलमान पूजा कर सकते हैं।उन्होंने सीरियाई मूल की यहूदियों को राजधानी दमिश्क का दौरा करने के लिए भी प्रोत्साहन किया। सीरिया के ईसाई और उनके दोस्त रहे अयमानं अब्देलनूर मानते हैं कि असद को उम्मीद है कि ऐसा करके उनके शासन का अल्पसंख्यक आधार बढ़ेगा और दुनिया भर में अछूत के रूप में उनकी स्थिति खत्म हो जाएगी। सीरिया के इस युद्ध में साढे तीन लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। साल 2012 में 22 मिलियन से ज्यादा की आबादी देश छोड़कर चली गयी थी। सीरिया में अभी भी रहने वाले 90 प्तिशत लोग गरीबी में जी रहे हैं। साथ ही सिविल सोसायटी और राजनीतिक सभाएं भी बंद हैं। यहां के तटीय शहर लता किया में स्थित सीरियाई योग और ध्यान केंद्र का कहना है कि साल 2011 में युद्ध शुरू होने के बाद से योग केंद्रों की संख्या 4 गुना तक बढ़ गई है। 


यहां की खेल मंत्रालय की तरफ से भी उन्हें योग अभ्यास के लिए फुटबॉल मैदान दिए जा रहे हैं। अरब जगत में अब असद का स्वागत किया जाने लगा है। मगर उनको उम्मीद है कि उनकी वह विश्वास नीति उन्हें दुनिया के बाकी हिस्सों के साथ उनके लिए अलगाव  की भावना को खत्म करने में मदद करेगी। योग ने उन्हें भारत के साथ रिश्ते मजबूत करने में भी काफी मदद की है।

Popular posts from this blog

वक्फ बोर्ड क्या है? वक्फ बोर्ड में संशोधन क्यों जरूरी?2024 Waqf Board

सात युद्ध लड़ने वाली बीरबाला तीलू रौतेली का जन्म कब हुआ?Veerbala Teelu Rauteli

संघ(RSS) के कार्यक्रमों में अब सरकारी कर्मचारी क्यों शामिल हो सकेंगे? Now goverment employees are also included in the programs of RSS