बाजीराव पेशवा कोई युद्ध न हारने वाला मराठा योद्धा।
बाजीराव पेशवा प्रथम का जन्म 18 अगस्त 1700 को हुआ इनके पिता का नाम विश्वनाथ पेशवा था।तथा माता का नाम राधाबाई इनके पिता पेशवा बालाजी विश्वनाथ जी छत्रपति शाहूजी महाराज के पेशवा थे। बचपन से बाजीराव को घुड़सवारी करना, तलवार भाला,बनेठी, लाठी, बन्चदूक आदि लाने का शौक था। 13 -14 वर्ष जब बच्चों के खेलने का समय होता है तो वे अपने पिता के साथ घूमते रहते थे।पिता के साथ घूमने से वह दरबार के रीति -रिवाजों को आत्मसात करते रहते थे। यह क्रम 20 वर्ष की आयु तक चलता रहा जब बाजीराव के पिता का अचानक निधन हो गया तो मात्र 20 वर्ष की आयु के बाजीराव को साहू जी महाराज ने पेशवा बना दिया।पेशवा बनने के बाद वे अगले 20 वर्षों तक मराठा साम्राज्य को बढाते रहे।अत्यन्त प्रभावशाली,उच्च रणकौशल,साहसी और कुशल नेतृत्व करने की क्षमता से उन्होंने मराठा साम्राज्य को भारत मे एक सर्वशक्तिमान साम्राज्य बना दिया।वे हर तरह से शस्त्र चलाने मे निपुण थे।रिचर्ड टैंपिल ने बाजीराव के बारे मे लिखा है।कि सवार के रूप में बाजीराव को कोई भी मात नहीं दे सकता था। युद्ध मे वह सदैव अग्रगामी रहता था। यदि कोई दुस्साहस होता तो वह सदैव अग्नि वर्षा का सामना करने को तैयार रहता था। उसेअपने सिपाहियों के साथ सुख-दुखः उठाने में बड़ा आनंद आता था। यूरोपीय सत्ताओं के विरुद्ध युद्ध अभियान में सफलता प्राप्त करने की प्रेरणा उसे हिंदुओं के विश्वास और श्रद्धा में सदैव मिलती रही। वह उस समय तक जीवित रहा जब तक अरब सागर से बंगाल की खाड़ी तक संपूर्ण भारतीय उपहाद्वीप मराठाओं का भय व्याप्त न हो गया। उसकी मृत्यु डेरे में ही हुई। जिसमें वह अपने सिपाहियों के साथ आजीवन रहा। बाजीराव को पेशवा के रूप में तथा हिंदू शक्ति अवतार के रूप में मराठे उसका स्मरण करते रहेंगे। उन्होने कई लडा़इयाँ जीती।उस समय भारत की जनता मुगलों,अंग्रेजों,और पुर्त गालियों के अत्याचारों से त्रस्त थी।वे मन्दिरों को तोड़ते,जबरन धर्म परिवर्तन कराते,बच्चों और महिलाओं को मारते थे।और शोषण करते रहते थे।
बाजीराव ने 1724 शकरखेडला मे मुबारजखाँ को हराया।1725 मे पालखेड मे निजामउलमुल्क,को पराजित किया।मालवाऔर बुन्देलखण्ड को भी जीता।1728मुहम्मदखाँ बंग्श को परास्त किया।पुर्तगालियों और अंग्रेजों को भी हराया। 1739 मे उन्होने नासिरजंग पर पर विजय प्राप्त की।बाजीराव ने अपने जीवन मे कभी कोई युद्ध नहीं हारा।अमेरिकी इतिहासकार बर्नाड मान्टोगोमेरी के अनुसार बाजीराव प्रथम एक महान सेनापति था।वे एक महान हिन्दू योद्धा थे।बुन्देलखण्ड राज्य को उन्होने महाराजा छत्रशाल को बेच दिया।और वापस बुन्देल खण्ड को लौटा दिया।इससे प्रसन्न होकर महाराजा छत्रशाल ने अपनी बेटी मस्तानी की शादी बाजीराव से करा दी।28 अप्रैल 1740 को बाजीराव एक अद्वित्तीय योद्धा की असामयिक मृत्यु हो गयी।