दादरा और नगर हवेली मुक्ति मे संघ की भूमिका
दादरा एवं नगर हवेली मुक्त दिवस 2 अगस्त को मनाया जाता है।भारत 1947 में आजाद हुआ था। अंग्रेजों के चले जाने से संपूर्ण देश स्वतंत्र नहीं हुआ था। दादरा और नगर हवेली तथा गोवा पर अभी पुर्तगालियों का नियंत्रण था 2 अगस्त 1954 को संघ के स्वयं सेवकों ने दादरा और नगर हवेली की स्वतंत्रता के लिए पुर्तगालियों की बस्ती पर अचानक आक्रमण कर दिया। उनका नेतृत्व पुणे के माननीय संघचालक श्री विनायक राव आप्टे कर रहे थे। इसमें अनेक संघ कार्यकर्ताओं ने भाग लिया सिलवासा के पुलिस मुख्यालय पर आक्रमण करके वहां उपस्थित 175 सैनिकों का आत्मसमर्पण कराकर राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहरा दिया इस प्रकार संघ के स्वयंसेवकों ने दादरा और नगर हवेली को स्वतन्त्र करा लिया।इससे पहले मुक्ति हेतु योजना बनायी गयी।आर्थिक और अन्य सहयोग जुटाये गये। आजाद गोमन्तक दल,भी मुक्ति हेतु संघर्ष कर रहा था। इससे पहले डा राममनोहर लंहिया के आन्दोलन को पुर्तगाली शासक द्वारा दबाया गया।परन्तु संघ के स्वयं सेवकों के दल ने ऐसा नहीं होने दिया। और दादरा नगर हवेली को मुक्त कराने मे अहम भूमिका निभाई थी।