अखण्ड भारत(जम्बूद्वीप) मे कितने देश थे?Akhand Bharat

 


प्राचीन काल मे सम्पूर्ण जम्बूद्वीप के आस-पास 6 द्वीप थे।थेपलक्ष्य,शाल्मलि,कुश,क्रौंच,शाक, पुष्कर ,जम्बूद्वीप धरती के मध्य मे स्थित है।और इसके मध्य मे इलावृत्तवर्ष नामक देश है।इस इलावृत्त के मध्य मे है सुमेरू पर्वत,और इसके दक्षिण मे कैलाश पर्वत के पास भारत वर्ष है।पश्चिम मे कुतुमाला,पूर्व मे हरिवर्ष,(रुस)भद्रावर्ष(जावा से ईरान तक)उत्तर मे रम्यक वर्ष,अर्थात मिस्र,,सऊदी अरब,ईरान,इराक,इजराइल,कजाकिस्तान,रूस मंगोलिया,चीन,वर्मा,इंडोनेशिया,मलेशिया,जावा,सुमात्रा,अफगानिस्तान,आदि यह सम्पूर्ण क्षेत्र जम्बूद्वीप मे आता था। वर्तमान में इस भू भाग को  एशिया महाद्वीप कहते हैं।यही आर्य संस्कृति थी।यहां के लोग वेदपूजक थे।आज भी अनुष्ठानों मे इस संकल्प को दोहराते हैं।जम्बूद्वीपे भरत खण्डे,आर्यवृत्त राज्ये नगरे.....

इसीलिए भारतीय संस्कृति विश्व विजयी संस्कृति है।

अखण्ड भारत की सीमायें हिमालय से हिन्दमहासागर तक ईरान से इंडौनेशिया,जावा सुमात्रा तक फैली हुई थी।महाभारत और रामायण काल मे मलेशिया,इंडौनिशिया,थाईलैण्ड,फिलीपींस,वियतनाम कम्बोडिया, जैसे देश भी भारत वर्ष के अटूट हिस्से थे।इसकी सीमायें इतनी विस्तृत थी। कि यहां चक्रवर्ती सम्राटों का शासन हुआ करता था।हमारे पूर्वज भारत की सीमाओं को लांघकर ज्ञान का दर्शन देने गये। उन्होने किसी पर अत्याचार नहीं किये।किसी को सताया नहीं सनातन संस्कृति की शिक्षाओं के लिए किसी पर बलात बल का प्रयोग नहीं किया।बल्कि ज्ञान का प्रकाश फैलाया। अखंड भारत की चर्चा में हमारा देश बहुत विशाल था छोटे बड़े 24 देशों से मिलाकर अपना देश आर्यव्रत कहलाता था।विश्व का सिरमौर और नेतृत्व करता था।


इसी कारण आर्यवृत्त को खण्डित करने का कुचक्र रचाया गया।पिछले 2500 वर्षों मे विभिन्न आक्रान्ताओं और देशो के द्वारा भारत पर बारम्बार आक्रमण कर या षड़यन्त्र रचकर खण्डित किया गया।पाकिस्तान का विभाजन 24वां विभाजन था।यह विभाजन अन्तिम था। फ्रैन्च,डच,शक,यमन,यूनानी,मंगोल,मुगल,और अंग्रेजों के द्वारा हुआ।सात विभाजन अंग्रेजोंँ द्वारा किये गये।प्राचीन भारतवर्ष का क्षेत्रफल 83 लाख 2 हजार 841 वर्ग किमी था।सात विभाजन से पूर्व भारत का क्षेत्रफल 50 लाख वर्ग किमी लगभग था।वर्तमान भारत का क्षेत्रफल 32लाख87 हजार283 वर्ग किमी रह गया है। हमने कितने बडे़ भू भाग को खोया यह हजारों वर्षों तक चला षड़यन्त्र है।अफगानिस्तान का प्राचीन नाम गांधार था।यहां हिन्दूशाही और पारसी राजवंशो का शासन रहा बाद मे यहां बौद्ध धर्म का प्रचार -प्रसार हुआ।और यहां बौद्धमत को मानने लगे। सिकन्दर के आक्रमण के बाद यूनानियों का भी शासन रहा।किन्तु भारत से अलग नहीं हुआ। सातवीं शताब्दी के बाद अरब और  तुर्कों ने भी आक्रमण किया। 817 ई. में अरब सेनापति याकूब एलेन्स  ने अफगानिस्तान को अपने कब्जे में लेने का प्रयत्न किया किंतु संघर्ष हुआ। और यह भारत से अलग नहीं हो सका। ब्रिटिश हुकूमत के तहत 1834 में एक प्रक्रिया के तहत समझौता हुआ जिसे गंडामक सन्धि कहा गया और बाद में यह 26 मई 1876 को अंग्रेजों ने एक बफर स्टेट घोषित कर दिया।


 नेपाल - नेपाल हमेशा से अखंड भारत का अभिन्न हिस्सा रहा है और हम आज भी मानते हैं भगवान राम की भार्या सीता माता का जन्म स्थान मिथिला नेपाल में है। भगवान बुद्ध की जन्मस्थली लुंबिनी नेपाल में है। नेपाल एकमात्र हिंदू राष्ट्र था। स्वतंत्रता की लड़ाई में स्वतंत्रता सेनानी अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ते समय यहां शरण लेते थे। इसीलिए योजना पूर्वक विहार स्थित सुगौली नामक स्थान पर नेपाल के राजाओं से सन्धि कर नेपाल को देश का दर्जा 1904 में प्रदान किया गया। किंतु स्वतंत्र राज्य होने पर भी अंग्रेजों के अधीन रहा। नेपाल के बारे में कहे तो भारत के सम्बंध आज भी अपननत्व के  हैं।आने जाने व्यवसाय आदि  करने का कोई अलग से कानून नहीं है किंतु आज चीन की घुसपैठ भारत के लिए चिंता का विषय हैं।


 भूटान -भूटान को अंग्रेजों ने 1906 में भारत से अलग करके अपने अधीन कर लिया था इसके 3 साल बाद समझौता हुआ कि ब्रिटिश भूटान के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगा लेकिन भूटान की विदेश नीति इंग्लैंड द्वारा तय की जाएगी। इस नीति के तहत भूटान हमसे अलग हो गया।


 तिब्बत- तिब्बत के  अलग होने की प्रक्रिया 1907 से प्रारंभ हुई और 1914 में पूर्ण हुई।तिब्बत का प्राचीन नाम त्रिविष्टम है। कैलाश मानसरोवर इसी स्थान पर स्थित है। इस पर सन 575 ईसवी तक कश्मीर के राजा ललितादित्य का शासन था। 18 वीं सदी में राजा रणजीत सिंह का शासन रहा और उनके सेनापति नाहर सिंह की समाधि भी यही है। इतिहास के अनुसार तिब्बत पर  नेपाल के राजाओं का प्रभाव होता था। इसीलिए व्यापारिक तौर पर तिब्बत को नेपाली रुपए के रूप में ₹5000 प्रति वर्ष देना पड़ता था। दूसरा मत यह  है कि नेपाल के राजाओं से छुटकारा पाने के लिए तिब्बत ने चीन से मदद मांगी तिब्बत को नेपाल से छुटकारा तो मिला। किंतु तिब्बत पर चीन ने अपना अधिपत्य कर लिया।


 श्रीलंका - श्री लंका को अंग्रेजों ने 1935 में भारत से अलग किया। श्रीलंका का पुराना नाम सिंहदलद्वीप है। बाद में नाम बदलकर सीलौन किया गया।सम्राट अशोक के शासनकाल में श्रीलंका का नाम ताम्रपर्णी था सम्राट अशोक के पुत्र महेंद्र और संघमित्रा बौद्ध धर्म का प्रचार करने के लिए श्रीलंका गये। अंग्रेजों ने फूट डालो राज करो की नीति के तहत तमिल और सिंघलियों के बीच सांप्रदायिक एकता को बिगाड़ा और इसी अखंडा को भारत से अलग कर दिया।

 म्यांमार (बर्मा)कभी ब्रह्मदेश हुआ करता था। म्यांमार प्राचीन काल से भारत का ही एक उपनिवेश रहा सम्राट अशोक के कालखंड में बौद्ध धर्म का पूर्वी केंद्र बन गया था। मुगलों के समय स्वतंत्र राजसत्ताएं स्थापित हो गई थी। ब्रिटिश ने योजना अनुसार स्वतंत्रता के आंदोलन से अलग करते हुए 1937 में इसे अलग राजनीतिक देश की मान्यता दी थी।जब हम इन देशों की अखंडता के इतिहास की चर्चा करते हैं तब ध्यान में आता है कि सभी की राजसत्ताएं तो अलग थी किंतु व्यापार सांस्कृतिक विरासत वेशभूषा रहन-सहन एक जैसे थे। अंग्रेजो के द्वारा इनका विभाजन करवाया गया। अंग्रेजों द्वारा भारत का अंतिम विभाजन पाकिस्तान के रूप में किया गया मोहम्मद अली जिन्ना और मुस्लिम लीग पार्टी पाकिस्तान के रूप में अलग देश की मांग के लिए खड़े हुए थे। इसके तहत डायरेक्ट एक्शन प्लान जब हम डायरेक्ट एक्शन की बात करते हैं तो ध्यान में आता है कि मुस्लिम लीग ने पूर्व में सुनिश्चित रूप से तय कर लिया था कि लड़कर, हिंसा करके किसी भी रुप मे, परिस्थिति में पाकिस्तान अलग चाहिए। और उसका नतीजा यह हुआ कि देश के अंदर बहुत सारे क्षेत्रों में हिंसा और दंगा हुए जिसके तहत 14 अगस्त  को देश का दुखान्त विभाजन हो गया। 14 अगस्त 1947 के मध्य रात्रि के समय भारत का विभाजन हो गया यह विभाजन भारत के लिए सबसे बड़ा दुखान्त था।यह विभाजन संस्कृति और दो देशों के सीमाओं का था।इस विभाजन में बड़ा नरसंहार हुआ था।

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