भारत के चन्द्रयान-3 की सफलता कैसेऔर क्यों?

 


भारत का चांद के दक्षिणी धुर्व पर साफ्ट लैण्ड करना बहुत बडी़ उपलब्धि है।पूरी दुनिया के वैज्ञानिकों की नजर चांद के दक्षिणी धुर्व पर लंबे समय से है।वैज्ञानिकों का मानना है कि चांद पर हमेशा अंधेरे मे दिखने वाले क्रेटर्स मे पानी जमा हो सकता है। इस पानी का प्रयोग भविष्य मे राकेट फ्यूल के रुप मे हो सकता है। पृथ्वी से चन्द्रमा तक 3.84 लाख किमी और पृथ्वी तथा चन्द्रमा दोनों की कक्षाओं के चक्कर लगाकर कुल दूरी 55लाख किमी दूरी तय करने के बाद 40 दिन का इन्तजार खत्म करके भारत का चन्द्रयान-3 लैंडर विक्रम चांद की धरती पर कामयाबी के साथ 23 अगस्त 2023 को उतर गया।

 बार-बार साफ्ट लैंडिंग  की बात हो रही थी।यह आसान न था। विक्रम लैण्डर 10 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चांद की सतह पर आकर बैठा है। चांद की सतह पर उतरने से पहले विक्रम लैंडर की रफ्तार कम करना भी एक चुनौती था। इसके लिए चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर को 125 * 25 किलोमीटर के  ऑर्बिट में रखा गया था इसके बाद इसे डिआर्बिट किया गया।इसके बाद जब उसे चांद की सतह की ओर भेजा गया तब उसकी रफ्तार 6000 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा थी।इसके बाद कुछ ही मिनटों में जब उसे चांद की सतह पर साफ्ट लैंड किया तो उसकी गति बेहद कम कर दी गयी। ऐसा करने में विक्रम लैंडर पर लगे चार इंजनों का सहारा लिया गया। इसके बाद दो इंजनों की मदद से विक्रम को चांद की सतह पर उतार दिया गया। पिछली बार चन्द्रयान -2 लैण्डिंग के वक्त क्रैश कर गया था। परन्तु इसके लिए इसरो वैज्ञानिंको ने बहुत तैयारी की थी। ताकि चन्द्रयान -3 चांद पर बहुत प्यार से बैठे और बाद मे वह बैंगलूरु स्थित कमांड सैंटर के साथ बात-चित कर सके। और यही हुआ।ये भारत के साथ-साथ दुनिया भर के लिए बडी़ उपलब्धि है।

सारी दुनियां की निगाहें चन्द्रयान -3 पर टिकी हुई थी।इस सफलता के साथ भारत चांद के दक्षिणी धुर्व पर लैंड कँरने वाला पहला देश बन गया है।और चांद पर साफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश।इससे पहले रूस,अमेरिका,और चीन ने साफ्ट लैंडिंग की है।लेकिन इन सबका लैंडिंग भूमध्य रेखीय क्षेत्र मे था।जबकि भारत के विक्रम लैंडर ने दक्षिणी धुर्व के करीब साफ्ट लैंडिंग की है।जो भारत के लिए गर्व की बात है।जबकि रूस का लूना -25 क्रैश हो गया था।भारत ने पहला चन्द्र मिशन-1को 2008 मे भेजा जिसने चन्द्रमा पर पानी के मौजूद होने के साक्ष्यों को पता लगाया। फिर चन्द्रयान-2 को 2019 मे जो लैंडिंग के समय क्रैश हुआ था।। और चन्द्रयान-3 को 2023 मे सफलता पूर्वक लैंड करवाया। यह चन्द्रयान-2 का अनुवर्ती मिशन है। इसका प्राथमिक उद्देश्य चन्द्रमा की सतह पर साफ्ट और सुरक्षित लैंडिंग करना।इसरो ने बताया कि भविष्य मे यह मिशन  इन्टरप्लेटनरी,मिशनों के लिए अहम पहलू होगा।इसके अलावा यह मिशन रोविंग कैपाविलिटी,(इन सीटू )वैज्ञानिक प्रयोगों का संचालन,चांद के सतह का प्लाज्मा कैसा है।उसके तापीय गुण क्या हैं।उसके सतह की हलचल,(भूकम्पीयता)कैसी है।और चन्द्र परत कैसी है।इन प्रमुख बिन्दुओं का पता चन्द्रयान -3 लगायेगा।प्रज्ञान रोवर मे लगे दो उपकरणों(LIBS)और (APXS) जो चन्द्र सतह पर मोजूद रासायनिक तत्वों(मैग्नीशीयम,पोटेशियम,कैल्शियम,एल्यूमिनियम,सिलिकान,टाइटेनियम,और आयरन,)आदि का पता लगाएंगे।इसके अलावा चन्द्र सतह की मिट्टी,और पत्थरों मे मौजूद रासायनिक यौगिंको का पता लगाएगा।यह भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए लाभदायक होगा। भारत की इस सफलता के लिए इसरो के वैज्ञानिकों सहित 140 करोड़ भारतीयों को बधाई।

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