अमेरिका ने वापस किये भारत के 105 पुरावशेष
भारत से अतीत मे चोरी करके तस्करों द्वारा विभिन्न देशों को बेची गई भारत की प्राचीन वस्तुवें और कला कृतियां अब विदेशों से वापस भारत आने लगी हैं।इसी क्रम मे अमेरिका भारत को दूसरी,तीसरी ईस्वी से लेकर 18वीं और 19वीं शताब्दी तक की कुल 105 भारतीय पुरावशेषों को भारत को वापस भेज रहा है।अमेरिका में भारत के राजदूत रणजीतसिंह संधू महावाणिज्य दूत रणबीर जयसवाल और मैनहैटन जिला अटार्नी कार्यालय के अधिकारियों की उपस्थिति मे भारतीय वाणिज्य दूतावास में आयोजित एक विशेष प्रत्यावर्तन समारोह में अमेरिका द्वारा कुछ मूल्यवान भारतीय पुरावशेष सौंपे गये।
भारत और अमेरिका भविष्य में सांस्कृतिक कलाकृतियों की अवैध तस्करी को रोकने के उद्देश्य से एक सांस्कृतिक संपत्ति समझौता पर काम करने के लिए भी सहमत हुए।समझौता होमलैंड सिक्योरिटी और दोनों देशों की कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच घनिष्ठ सहयोग को बढ़ावा देगा। जिससे उनके द्विपक्षीय संबंध और बढ़ेंगे। ये वस्तुयें भारत के महावाणिज्य दूतावास के माध्यम से भारत पहुंच रही हैं।105 कलाकृतियां भारत में उनकी उत्पत्ति के संदर्भ में व्यापक भौगोलिक विस्तार का प्रतिनिधित्व करती हैं। इनमें से लगभग 50 कलाकृतियां धार्मिक विषयों (हिंदू धर्म ,जैन धर्म ,और इस्लाम) से संबंधित हैं। और बाकी सांस्कृतिक महत्व की हैं। केंद्र सरकार भारतीय विरासत और संस्कृति के जीवन प्रतीकों को विदेशों से वापस लाने के लिए ठोस प्रयास कर रही है।
पहली बार 2016 में अमेरिका की ओर से 16 प्राचीन वस्तुयें लौटाई गई थी।इसके बाद 2021 में 157 प्राचीन वस्तुयें वापस आयी।इन 105 पुरावशेषों के साथ अमेरिका पक्ष ने 2016 से अब तक भारत को कुल 278 सांस्कृतिक कलाकृतियां सौंपी हैं। जिन्हें अतीत में भारत से चोरी करके तस्करों द्वारा अमेरिका भेजा गया था।आने वाले भविष्य मे अन्य देशों से तस्कर किये गये भारत के पुरावशेष वापस आयेंगे।जिसके लिए भारत मे विश्व का सबसे बडा़ म्यूजियम बनेगा।