मणिपुर मे हिंसा के क्या कारण?

 


मणिपुर मे हर तरफ हल्ला है। मणिपुर जल रहा है लेकिन सच क्या है? सच यह है कि वर्तमान राज्य सरकार ने मणिपुर में अफीम का धंधा ख़त्म कर दिया है। सरकार ने पिछले 5साल में 18,000 एकड से ज्यादा इलाके में अफीम के खेत नष्ट कर दिए है।

जिन्हे नुकसान हुआ, उन्होंने इसे कुकी और मैति के बीच जनजातीय संघर्ष बना दिया। शुरू में आम आदमी मारा जा रहा था सब चुप थे 

फिर सेना ज़मीन पर उतरी.. आतंकवादी मारे गए चीन को धक्का लगा। वहाँ ढेरों मंदिर और स्थानीय निवासियों के पूजा स्थल जलाये गये।

मणिपुर के मूल निवासी है मैती आदिवासी। स्वतंत्रता के पहले मणिपुर के राजाओं के बीच में आपस में जमकर युद्ध होते थे, अनेक कमजोर मैती राजाओं ने युद्ध में अपनी सेना में पड़ोसी देश म्यांमार से बड़ी संख्या में कुकी और रोहिंग्या हमलावरों को भारत में बुलाया और विदेशी रोहिंग्या तथा कुकी से मिलकर आपस में युद्ध किया। 

धीरे-धीरे कुकी हमलावरों ने मणिपुर में अपना निवास बनाना शुरू किया और परिवार बढ़ाना शुरू किया। देखते ही देखते कुकी जनसंख्या तेजी से बढ़ने लगी। बेहद आक्रामक और हमलावर कुकियो ने मणिपुर की ऊंची ऊंची पहाड़ियों पर कब्जा कर लिया। और मैती आदिवासियों को वहां से भगा दिया। मैती आदिवासी भागकर मणिपुर के मैदानी इलाकों में आकर रहने लगे।विदेशी कुकी और रोहिंग्या ने मणिपुर की ऊंची पहाड़ियों पर अफीम की खेती आरंभ कर दी।मणिपुर की सीमा चीन और म्यांमार से लगी है चीन ने मणिपुर पर नजरें डालना शुरू किया और भारत विरोधी दलों को सहायता देना शुरू किया, पाकिस्तान ने भी म्यांमार के रोहिंग्या मुस्लिमों के माध्यम से मणिपुर में घुसपैठ शुरू कर दी और बड़ी संख्या में रोहिंग्या मुस्लिमों को धकेल दिया गया।

क्रिश्चन मिशनरीज ने मणिपुर के पिछड़े आदिवासी क्षेत्रों में 2000 से अधिक चर्च बनाए। और क्रिश्चियन मिशनरीज ने बेहद तेजी से धर्म परिवर्तन शुरू कर दिया। जिसमें सबसे ज्यादा मैती आदिवासियों का धर्म परिवर्तन कर क्रिश्चन बना दिया गया।मणिपुर में निरंतर हिंसा हो रही थी।वर्ष 1981में भीषण हिंसा हुई । 10,000से अधिक मैती आदिवासी मारे गए उसके बाद तत्कालीन केन्द्र सरकार  जाग गई। और सेना को भेजा गया तथा शांति करवाई गई। शांति समझौते में मैती मैदान में रहेंगे और कुकी ऊपर पहाड़ियों पर रहेंगे ऐसा निर्णय हुआ इस कारण शांति बनी। 

जिसमें मूल निवासी मैती का बहुत नुकसान हो गया। धीरे-धीरे कुकी, रोहिंग्या और नगा समाजों ने मणिपुर की ऊंची पहाड़ियों पर अफीम की बेशुमार खेती शुरू कर दी। हजारों खेत में अफीम की खेती शुरू हो गई, खरबों रुपए का व्यापार होने लगा इस कारण नशीले पदार्थ का माफिया और आतंकवादी संगठन सक्रिय हो गए तथा जमकर हथियारों की आपूर्ति कर दी गई। 

वर्ष 2008 में फिर जोरदार गृह युद्ध शुरू हो गया तब केन्द्र सरकार ने कुकी तथा परिवर्तित क्रिश्चनों के साथ मिलकर मताई आदिवासियों के साथ समझौता किया और मणिपुर की ऊंची पहाड़ियों पर अफीम की खेती को अधिकृत मान्यता देकर पुलिस कार्रवाई ना करने का आश्वासन दिया। इसके बाद मणिपुर से पूरे भारत देश में तेजी से नशीले पदार्थों को भेजा जाने लगा।मणिपुर नशीले पदार्थों का गोल्डन ट्रायंगल बन गया चीन अफगानिस्तान पाकिस्तान और म्यांमार से तेजी से आर्थिक मदद कर मणिपुर से उगाई गई अफीम को भारत के अन्य राज्यों में भेजकर पंजाब आदि राज्यों को नशीले बनाना शुरू कर दिया। 

लेकिन वर्ष 2014 में केन्द्र मे नयी  सरकार आयी। केंद्र सरकार की नजरें पूरे भारत पर थी जहां जहां धर्म परिवर्तन हो रहे थे जहां पर जो राज्य भारत से अलग होने की फिराक में हो रहे थे, केंद्र सरकार ने उन राज्यों को पहचान कर वहाँ धीरे-धीरे कार्रवाई शुरू कर दी। असम नागालैंड मणिपुर अरुणाचल प्रदेश केरल कर्नाटक उत्तर प्रदेश जम्मू कश्मीर, तमिलनाडु में केंद्र सरकार ने काम करना शुरू किया। 

जम्मू कश्मीर और असम में सफलता मिली वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में मणिपुर मे वीरेंद्र सिंह नये मुख्यमन्त्री बने। मैती समाज के मुख्यमंत्री वीरेंद्र सिंह 30वर्षों से मणिपुर में राजनीति कर रहे हैं। और उन्हें मणिपुर की मूल समस्या मालूम थी। वीरेंद्र सिंह खुद ही मेती समाज से आते हैं जो कि आदिवासी संकट को जानते थे।केन्द्र सरकार ने वीरेंद्र सिंह को अफीम की खेती नष्ट करने के निर्देश दिए जिसके बाद मुख्यमंत्री वीरेंद्र सिंह ने अफीम की खेती पर हमला बोल दिया और हजारों एकड़ खेती में लगे अफीम के पौधों को नष्ट कर दिया। इससे कुकी और क्रिश्चियन मिशनरी, रोहिंग्या के साथ में चीन तथा पाकिस्तान में खलबली मच गई। वे किसी तरह मणिपुर में दोबारा अफीम की खेती आरंभ करना चाहते हैं।आजादी के पहले से ही मैती समाज को आदिवासी समाज का दर्जा हासिल था। और वह एसटी वर्ग में आते थे। लेकिन आजादी के बाद,  तत्कालीन केंद्र सरकार ने मैती समाज से एसटी वर्ग से निकाल लिया और क्रिश्चियन मिशनरी तथा कुकी समुदाय को एसटी बना दिया। इस बात से मैती नाराज हो गए और निरंतर आक्रोश प्रदर्शन करने लगे। जिस कारण बार-बार मणिपुर में हिंसा हो रही थी। मैती समाज ने वर्ष 2010 में हाई कोर्ट में याचिका दायर कर एसटी वर्ग में शामिल करने की मांग की। वर्ष 2023 में हाईकोर्ट ने मैती समाज के दावे को मंजूर किया और मैती समाज को दुबारा आदिवासी वर्ग में शामिल करने के आदेश जारी किए।चूंकि क्रिश्चियन और कुकी हमलावर अफीम की खेती बंद करने से तथा मिशनरीज के धर्म प्रसार को रोके जाने से नाराज थे। उन्होंने हाईकोर्ट के आदेश का पूरा फायदा उठाया और मणिपुर में आग लगा दी।

आज मणिपुर जो हिंसा दिखाई दे रही है।इसमे  मैती  समाज ने क्रिश्चियन मिशनरीज के लगभग 300 चर्च तोड़कर नष्ट कर दिए, क्रिश्चियन मिशनरी पर हमले हो रहे हैं। कुकियो को भगाया जा रहा है आज जो कुछ भी मणिपुर में हो रहा है वह वहाँ के मूल मैती समाज की परेशानी का कारण है।अन्यथा मणिपुर जल्द ही एक नया देश बनने की राह पर था वर्ष 2014 में  केन्द्र सरकार के बनते ही मणिपुर मे राष्ट्रविरोधी गतिविधियों पर रोक लगने लगी। अगर केन्द्र सरकार ध्यान न देती तो । चीन धीरे-धीरे मणिपुर पर कब्जा कर लेता। सरकार ने मणिपुर में मूल भारतीयों को उनका अधिकार दिलाना शुरू किया  यह बात चीन को खल रही है।और वह मणिपुर मे हिंसा करवा रहा है।

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