भारतीय भाषायें क्यों हैं विश्व मे सर्वश्रेष्ठ?
भारतीय भाषायें विश्व में सर्वश्रेष्ठ भाषाएं हैं।आइये जानते हैं। संस्कृत विश्व की सबसे पुरानी पुस्तक वेद की भाषा है। इसलिए इसे विश्व की प्रथम भाषा मानते हैं यह स्पष्ट व्याकरण और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी सर्वश्रेष्ठ सिद्ध होती है। सर्वाधिक महत्वपूर्ण साहित्य की धनी होने से इसकी महत्ता निर्विवाद है।संस्कृत भाषा की पहचान यह है कि यह विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है।क्योंकि ग्रीक भाषा से भी संस्कृत का काल पुराना है। कम्यूटर के लिए भी संस्कृत भाषा सर्वोत्तम है।संस्कृत में सनातन धर्म से संबंधित सभी धर्म ग्रंथ लिखे गए हैं।साथ ही बौद्ध धर्म, विशेष कर महायान तथा जैन मत के भी कई महत्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गए हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होते हैं। संस्कृतभाषा अन्य भाषाओं को जोड़ती है। संस्कृत आधुनिक भारतीय भाषाओं की जननी है। आधुनिक भाषायें अपने शब्दों लिए भी संस्कृत पर निर्भर है। संस्कृत का काव्य साहित्य भी उत्तम श्रेणी का है।संस्कृत भाषा के नियम लिखित एवं स्थाई हैं। जिन पर संस्कृत भाषा की जीवंतता निर्भर है। हिंदी और संस्कृत भाषा की लिपि देवनागरी लिपि हैं। देवनागरी लिपि इन भाषाओं के अलावा कई और भाषाओं की लिपि भी हैं। जैसे मराठी, पंजाबी, नेपाली, बांग्ला, असमिया, सिंधिया,आदि। भारतीय भाषाओं की वर्णमाला विज्ञान से भरी है। वर्णमाला का प्रत्येक अक्षर तार्किक है। और सटीक गणना के साथ कार्मिक है।इस तरह का वैज्ञानिक दृष्टिकोण अन्य विदेशी भाषाओं की वर्णमाला में कहीं भी शामिल नहीं है।
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(क, ख ग घ ड )पांच के इस समूह को कंठब्य कहा जाता है। क्योंकि इसका उच्चारण करते समय कंठ से ध्वनि निकलती है।
(च छ ज झ ञ) इन पांचों को तालब्य (तालु)कहा जाता है। ताल्लुक कहा जाता है क्योंकि इसका उच्चारण करते समय जीभ तालु पर लगती है।
( ट ठ ड ढ ण) इन पांचो को मूर्धन्य कहा जाता है। क्योंकि इनका उच्चारण करते समय जीभ ऊपर उठी हुई महसूस करेगी। मूर्धन्य महसूस करेगी।
(त थ द ध न )पांच के इन समूह को दन्तब्य कहा जाता है।क्योंकि इनका उच्चारण करते समय जीभ दांतो को छूती है।
(प फ ब भ म)पांच के इससमूह को कहा जाता है ओष्ठब्य क्योंकि दोनों होंठ इनके उच्चारण पर मिलते हैं।
दुनिया के किसी भी अन्य भाषा में ऐसा वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं है। इसीलिए भारतीय भाषायें दुनियां की सर्वश्रेष्ठ भाषायें हैं।निसंदेह हमें अपने भारतीय भाषाओं पर गर्व होना चाहिए।