तिलक को क्यों कहते हैं लोकमान्य? Balgangadhartilak

 


बाल गंगाधर तिलक जी का जन्म 23 जुलाई 1836 को रत्नागिरी महाराष्ट्र था।बाल गंगाधर तिलक एख स्वतन्त्रता सेनानी थे। वे भारत के राष्ट्रवादी शिक्षक बड़े समाज सुधारक और एक वकील थे। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए नए विचार रखें और स्वतंत्रता के लिए बहुत संघर्ष किया।उन्हें अंग्रेज भारतीय अशांति के पिता कहते थे। बाल गंगाधर तिलक बचपन से ही होनहार छात्र थे। वे अंग्रेज सरकार की नीतियों  का विरोध हमेशा करते थे। 1857 मे  उन पर राजद्रोह का मुकदमा चला उन्हें जेल भेज दिया गया और इस मुकदमे और सजा के चलते ही उन्हे लोकमान्य की उपाधि मिली।लोकमान्य का मतलब लोगों द्वारा मान्य वे  एकदम गरम दल के नेता थे। 

उनका स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा। यह नारा था।और इसे सिद्ध करने के लिए वे हमेशा संघर्षशील रहे।स्वतंत्रता आंदोलन के गरम दल में नेताओं में लाला लाजपत राय (लाल )बाल गंगाधर तिलक (बाल) और बिपिन चंद्र पाल (पाल) की तिकडी़ थी।ये  तीनों गरम दल के प्रमुख नेता थे।और क्रांतिकारियों के साथ मिलकर आंदोलन की योजना तैयार करते थे। 1960 में तिलक ने क्रांतिकारी प्रफुल्ल चाकी और खुदीराम बोस के बम हमले का समर्थन किया।जिसके कारण अंग्रेजों ने उन्हें वर्मा अब (म्यांमार )की जेल में भेज दिया था। जेल से छूटने के बाद वे कांग्रेस में शामिल हो गए। वे स्वतन्त्र संपादक भी थे।

 उन्होंने केसरी और मराठा अखबार की शुरुआत की। अखबार में छपे विचारों से वे  आजादी के दीवानों में एक नई ऊर्जा का संचार करते थे। उसके लिए उन्हें कई बार अंग्रेजों ने जेल भी भेजा था।हालांकि वह कांग्रेस पार्टी के सदस्य थे लेकिन कई मौकों पर उन्होंने अपनी पार्टी की नीतियों के विरोध में भी लिखा था।तिलक को कांग्रेस के नरम दल के नेताओं के विरोध का सामना भी करना पड़ा।महात्मा गांधी जी ने लोकमान्य को आधुनिक भारत का निर्माता। और नेहरु जी ने क्रांति के जनक की उपाधि से नवाजा था। बाल गंगाधर तिलक  एक लोकप्रिय नेता ही नहीं बल्कि भारतीय इतिहास, संस्कृत, हिंदू धर्म, गणित, और खगोल विज्ञान जैसे विषयों के विद्वान भी थे।उन्होंने पुणे की एक स्कूल में गणित ,संस्कृत के शिक्षक के रूफ मे शिक्षण किया।  1880 में उन्होंने पढाना छोड़ दिया। तिलक अंग्रेजी शिक्षा प्रणाली के खिलाफ थे। स्कूलों में अंग्रेज विद्यार्थियों की तुलना में भारतीय विद्यार्थियों के साथ हो रहे हैं दोगलेपन का विरोध किया।तिलक ने समाज में व्याप्त छुआछूत के खिलाफ आवाज उठाई । बाद में तिलक ने शिक्षा सोसायटी की स्थापना की ।स्वतन्त्रता के लिए अपने अथक संघर्ष,जन कल्याण के कार्यों और जनजागरण के कारण तिलक को लोकमान्य की उपाधि से नवाजा गया। इस महान विभूति का 1 अगस्त 1920 को मुम्बई मे निधन हुआ।

Popular posts from this blog

वक्फ बोर्ड क्या है? वक्फ बोर्ड में संशोधन क्यों जरूरी?2024 Waqf Board

सात युद्ध लड़ने वाली बीरबाला तीलू रौतेली का जन्म कब हुआ?Veerbala Teelu Rauteli

संघ(RSS) के कार्यक्रमों में अब सरकारी कर्मचारी क्यों शामिल हो सकेंगे? Now goverment employees are also included in the programs of RSS