Alluri sitarama Raju अल्लूरी सीताराम राजू कौन थे?

 


भारत को स्वतंत्रता करवाने में बहुत सारे क्रांतिकारियों का योगदान रहा है।उनमे से कई क्रांतिकारी ऐसे हैं जिनका इतिहास में जिक्र है और कई ऐसे हैं जिनका जिक्र इतिहास में नहीं है। उन्हीं में से एक दक्षिण भारत के महान क्रान्तिकारी अल्लूरी सीताराम राजू थे।जिनका जन्म  4 जुलाई 1897 को आन्ध्र प्रदेश मे हुआ था।वे महान भारतीय क्रांतिकारियों में से एक थे। जिन्होंने भारत में ब्रिटिश औपनिवेश के खिलाफ अभियान चलाया था। उच्च शिक्षा प्राप्त के बाद वे बहुत कम उम्र 18 साल की उम्र में संत बन गये थे।1882 मे  मद्रास वन अधिनियम के खिलाफ ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ विद्रोह खडा़ किया था। वे न्याय में दृढ़ विश्वास रखते थे।और अन्याय के विरूद्ध लड्ते थे।


 अल्लूरी सीताराम राजू ने कई गैर कानूनी ब्रिटिश नीतियों के विरुद्ध आवाज उठाई और उनके खिलाफ लड़ाई लड़ी।  उन्होंने अपने सभी सांसारिक सुखों को त्याग कर 18 वर्ष की आयु में संत बनने का संकल्प लिया था।अल्लूरी  सीताराम राजू ने उस समय आदिवासियों को जागृत किया। और उनके हक के लिए उनको  हर तरफ से सहयोग किया था। 1922 में  रम्पा  क्षेत्र में उस समय 28000 जनजातियां रहती थी ।और वे  खेती-बाड़ी और जंगलों से अपना जीवन को यापन करते थे। ब्रिटिश हुकूमत  इनको जंगलों से बेदखल करना चाहती थी। ताकि अंग्रेज इस क्षेत्र से इमारती लकड़ी ,फर्नीचर और जहाजों,नावों के निर्माण के लिये मन मुताबिक लकडी़। का कारोबार कर सके। वह यहां की लकड़ियों की लूट - खसोट करना चाहते थे।और उन्होंने यहां की जनजातियों को जंगलों मे इधर-उधर घूमने से भी प्रतिबंधित कर दिया था। 


अल्लूरी सीताराम राजू ने उनके लिए न्याय की मांग की थी। उन्होंने अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ने के लिए गोरिल्ला युद्ध प्रारंभ कर दिया था। आदिवासी लोगों की सेना  के साथ उन्होंने कई पुलिस थानों पर आक्रमण किया।और छापा मारा और कई ब्रिटिश अधिकारियों को मार डाला।अपनी लड़ाई को आगे जारी रखने के लिए गोला-बारूद और कई हथियार भी चुराए साथ ही  उनको स्थानीय स्तर के लोगों का भरपूर समर्थन मिला इसी कारण वे काफी लंबे समय तक अंग्रेजों की पकड़ में नहीं आ पाये।अंग्रेजों के विरुद्ध 2 साल सशस्त्र संघर्ष (1922 से 1924 )तक किया।उस समय उन्होंने अंग्रेजों के नाक में दम कर दिया था। उस समय अंग्रेजों ने उनको पकड़ने वाले के लिए ₹10000 का इनाम की घोषणा की थी।अल्लूरी सीताराम राजू न्याय मे विश्वास रखते थे।और उन्होंने इसी बात पर विश्वास रखकर अंग्रेजों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। लेकिन अंग्रेजों ने उनके साथ विश्वासघात किया और 7 मई 1924 को उनको धोखे से फंसा कर उनको एक पेड़ से बांधा और गोली मारकर उनकी हत्या कर दी।


 भारत के इतिहास में इस महान क्रांतिकारी को निडर और न्याय के योद्धा के रूप में याद किया जाता है। जिन्होने खुद को आदिवासी लोगों के अधिकारों और भारत की स्वतन्त्रता के लिए अपने को समर्पण कर दिया।उन्हें उनकी वीरता,साहस और संघर्ष के लिए जंगल के नायक की उपाधि से सम्मानित किया गया था। प्रत्येक वर्ष आंध्र प्रदेश सरकार उनकी जन्मतिथि 4 जुलाई को राज्य उत्सव के रूप में मनाती हैं।

Popular posts from this blog

वक्फ बोर्ड क्या है? वक्फ बोर्ड में संशोधन क्यों जरूरी?2024 Waqf Board

सात युद्ध लड़ने वाली बीरबाला तीलू रौतेली का जन्म कब हुआ?Veerbala Teelu Rauteli

संघ(RSS) के कार्यक्रमों में अब सरकारी कर्मचारी क्यों शामिल हो सकेंगे? Now goverment employees are also included in the programs of RSS