2000 का नोट चलन से बाहर क्यों?और कारण?
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 19 मई 2023 को एक सूचना जारी कर या बताया गया कि देश में ₹2000 के नोट चलन से बाहर किये जा रहे हैं।हालांकि वैध मुद्रा की श्रेणी में बने रहेंगे। सामान्यजन को या सुविधा प्रदान की गई है कि वे 23 मई 2023 से बिना किसी प्रतिबन्ध के और भारतीय रिजर्व बैंक के वर्तमान तथा अन्य लागू सांविधिक प्रावधानों की अधीन बैंको में जाकर ₹2000 के नोट में कोई भी अपने बैंक खाते में जमा कर सकते हैं। अथवा किसी भी बैंक शाखा या अन्य किसी बैंक शाखा पर अन्य मूल्यवर्ग के बैंक नोटों में बदल सकते हैं।
भारत में ₹2000 के नोट नवंबर 2016 में भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 की धारा 24(1) के अंतर्गत जारी किए गए थे। पर नवम्बर 2016 में पुरानी सिरीज के रूपयेमें 500, 1000 के नोटों का वैध मुद्रा का दर्जा समाप्त करने की घोषणा की गई थी।जिसके चलते अर्थव्यवस्था में मुद्रा की पर्याप्त मात्रा बनाए रखने के उद्देश्य से 2000 के नोट चलन में लाए गए थे। साथ ही देश की अर्थव्यवस्था में तरलता की स्थिति को मजबूत करने हेतु नहीं सिरीज के रुपए ₹500 ₹200 एवं ₹100 के नोट में पर्याप्त मात्रा में चलन में लाए गए थे। वित्तीय वर्ष 2018-19 में ₹2000 के नोटों का मुद्रण भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा बंद कर दिया गया था।भारतीय रिजर्व बैंक के आकलन के अनुसार 31 मार्च 2018 को देश की अर्थव्यवस्था में ₹2000 के नोटों की अधिकतम मात्रा 6.73 लाख करोड़ रुपए चलन में कुल नोटों का 37. 3% जो 31 मार्च 2023 को घटकर 3.62 लाख करोड रुपए रह गयी है।चलन में कुल नोटों का 10.8% रह गई है। साथ ही ₹2000 के नोटों का
उपयोग आर्थिक व्यवहार के लेनदेन के लिए आम तौर पर नहीं किया जा रहा है। क्योंकिएक तो भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा ₹2000 के नोटों का मुद्रण बंद कर दिया गया है।दूसरे देश की अर्थव्यवस्था में तरलता की स्थिति को नियंत्रण में रखने के उद्देश्य की पूर्ति हेतु 500,200, एवं ₹100 के नोट पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो गए हैं। तीसरा देश में लगभग 89 प्रतिशत ₹2000 के नोट 31 मार्च 2017 के पूर्व से ही अर्थब्यवस्था के चलन में हैं। एवं सामान्यतः इन नोटों की अनुमानित आयु 4-5 वर्ष की मानी जाती है। इस प्रकार भारतीय रिजर्वबैंककी स्वच्छ नोट नीति को ध्यान में रखते हुए ₹2000 के नोटों को प्रचलन से बाहर किए जाने का निर्णय लिया गया है।
विश्व के अन्य देशों विकसित देशों में इतनी बड़ी राशि के बैंक नोट चलन में नहीं पाए जाते हैं।उदाहरण के तौर पर अमेरिका में अधिकतम 100 अमेरिकी डालर का नोट प्रचलन में है। क्योंकि अमेरिकी नागरिक क्रेडिट कार्ड एवं डेबिट कार्ड का अधिकतम उपयोग करते हैं। अतः उन्हें मुद्रा के रूप में डालर का उपयोग करने की आवश्यकता बहुत कम पड़ती है। वैसे आज भारतीय नागरिक ग्रामीणों सहित बहुत तेजी के साथ डिजिटल अर्थव्यवस्था को ग्रहण करते जा रहे हैं। इसलिए अब देश की अर्थव्यवस्था में बडे़ नोटों की आवश्यकता बहुत कम हो रही है। अर्थव्यवस्था में बड़े राशि के नोटों को चलाए रखने में भारी-भरकम राशि खर्च होती है। कई देशों में असामाजिक तत्वों एवं आतंकवादी संगठनों द्वारा एक समानांतर अर्थव्यवस्था भी चलाई जाती है। जिसके अंतर्गत अवैध आर्थिक सौदे संपन्न किए जाते हैं। एवं इन अवैध आर्थिक सौदों का निपटान कई से बार अवैध नकली मुद्रा में भी किया जाता है। भारत के पड़ोसी देश भारतीय अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से भारत में अवैध नकली मुद्रा के प्रचार एवं प्रसार को बढ़ावा देते हैं। केंद्रीय वित्त मंत्री ने सदन में जानकारी प्रस्तुत करते हुए बताया कि। देश में जब्त की जाने वाली अवैध नकली मुद्रा में ₹2000 के नोट भी भारी मात्रा में बरामद किए जा रहे हैं। अगस्त 2022 में देश में कई समाचार पत्रों में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री के बयान का हवाला देकर यह बता दिया गया था कि।वर्ष 2016 से वर्ष 2020 के बीच भारत में ₹2000 के नकली नोटों की बरामदगी मे107 गुणा बृद्धि दर्ज हुई है।वर्ष 2016 में ₹2000 के ₹2272नकली नोट बरामद हुए थे। वर्ष 2017 में 74,898 नकली नोट,2018 में54,776नकली नोट,वर्ष 2019 मे 90566 नकली नोट,एवं वर्ष 2020 में ₹2000 के 2,44,834 नकली नोट बरामद किए गए थे। इस द्रृष्टि से ₹2000 के नोटों को भारतीय अर्थव्यवस्था में चलन से बाहर करने के निर्णय से असामाजिक तत्वों एवं आतंकवादी संगठनों की कमर भी टूट जाएगी। तथा इससे देश में अतिवादी गतिविधियों पर रोक लगाने में भी मदद मिलेगी। कुल मिलाकर भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था में ₹2000 के नोटों को चलन से बाहर करने का सही समय पर एक उचित कदम कहा जाना चाहिए।जो राष्ट्र हित में उठाया गया एक महत्वपूर्ण निर्णय है।