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Showing posts from July, 2023

मणिपुर मे हिंसा के क्या कारण?

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  मणिपुर मे हर तरफ हल्ला है। मणिपुर जल रहा है लेकिन सच क्या है? सच यह है कि वर्तमान राज्य सरकार ने मणिपुर में अफीम का धंधा ख़त्म कर दिया है। सरकार ने पिछले 5साल में 18,000 एकड से ज्यादा इलाके में अफीम के खेत नष्ट कर दिए है। जिन्हे नुकसान हुआ, उन्होंने इसे कुकी और मैति के बीच जनजातीय संघर्ष बना दिया। शुरू में आम आदमी मारा जा रहा था सब चुप थे  फिर सेना ज़मीन पर उतरी.. आतंकवादी मारे गए चीन को धक्का लगा। वहाँ ढेरों मंदिर और स्थानीय निवासियों के पूजा स्थल जलाये गये। मणिपुर के मूल निवासी है मैती आदिवासी। स्वतंत्रता के पहले मणिपुर के राजाओं के बीच में आपस में जमकर युद्ध होते थे, अनेक कमजोर मैती राजाओं ने युद्ध में अपनी सेना में पड़ोसी देश म्यांमार से बड़ी संख्या में कुकी और रोहिंग्या हमलावरों को भारत में बुलाया और विदेशी रोहिंग्या तथा कुकी से मिलकर आपस में युद्ध किया।  धीरे-धीरे कुकी हमलावरों ने मणिपुर में अपना निवास बनाना शुरू किया और परिवार बढ़ाना शुरू किया। देखते ही देखते कुकी जनसंख्या तेजी से बढ़ने लगी। बेहद आक्रामक और हमलावर कुकियो ने मणिपुर की ऊंची ऊंची पहाड़ियों पर कब्जा कर...

बुद्ध प्रतिमायें तोड़ने वाला तालिबान कैसे कर रहा है कमाई?

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  अफगानिस्तान के बामियान में छठी शताब्दी के बने दो बुद्ध की मूर्तियों को तालिबान ने 2001 में डायनामाइट लगाकर उड़ा दिया था। दोनों बुद्ध की मूर्तियों की ऊंचाई लगभग 125 से 180 फीट के बीच में थी। तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर के कहने पर मार्च 2001 में इन दोनों मूर्तियों को तबाह कर दिया गया था। यह मूर्तियां अफगानिस्तान में प्राचीन कला की क्लासिक बौद्ध गुप्त मिश्रित शैली का प्रतिनिधित्व करती है।  इसके बड़े मूर्ति का नाम साल्सल (ब्रह्मांड में प्रकाश चमकता है )रखा गया था जबकि वही छोटी मूर्ति का नाम शाहमामा (रानी मां )रखा गया था। अब आर्थिक तंगी से जूझ रहा तालीबान अब बुद्ध की इन मूर्तियों को देखने के लिए टिकट बेच रहा है जिन्हें 22 साल पहले तालिबानी अधिकारियों ने ही तुड़वा दिया था।द वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया गया है। बताया गया है कि अफगानिस्तान के बामियान इलाके में बुद्ध की मूर्तियां दूरिज्म के जरिए कमाई का जरिया बन रहीं हैं। तालिबान के कल्चर मिनिस्टर मुल्ला अजीजी ने एक इंटरव्यू में कहा बामियान और बुद्धा हमारी सरकार के लिए भी उतने ही महत्वपूर्ण है जितने कि दुनिय...

भारत की प्रगति से चीन ,पाक मे बौखलाहट क्यों?

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  वर्तमान में भारतीय  समाज को चारों ओर से घेरने के लिए देश-विदेश के तमाम भारत विरोधी ताकतें इकट्ठा हो गई है।  विगत वर्षों में भारत हर क्षेत्र में आगे बढ़ा है देश की आर्थिक प्रगति की इस रफ्तार को देखकर दुनिया के बड़े-बड़े देश चकित हैं। तथा भारत का लोहा मानने को विवश है। भारत हर क्षेत्र में चाहे सीमा की रक्षा का क्षेत्र हो,अथवा समुद्री सुरक्षा का क्षेत्र, उद्योग धंधों में, शिक्षा में, स्वास्थ्य में ,रोड, रेल कनेक्टिविटी में ,अंतरिक्ष अनुसंधान का क्षेत्र हो, अथवा सामाजिक सुरक्षा का क्षेत्र। देश की प्रगति आसमान छूने को आतुर है।दुनिया की महाशक्तियां जहां लड़खडा़ रही हैं।  वही भारत दुनिया की पांचवीं मजबूत अर्थव्यवस्था बनकर सीना ताने खड़ा है। जहां भारत कभी  सेना के लिए वर्दी, जूते, मौजे ,जैसी सामान्य जरूरतों के लिए भी आयात पर निर्भर था।वहीं अब वह लड़ाकू विमान तेजस से लेकर मिसाइल तक निर्यात करने में सक्षम बन गया है। रक्षा उपकरणों के निर्यात में भारत को अभूतपूर्व सफलता मिल रही है। अंतरिक्ष की बात करें तो भारत उपग्रह प्रेक्षण में दुनिया का सबसे मुफीद व सस्ता देश माना जाता...

कारगिल युद्ध क्यों हुआ?kargil vijay Diwas 2023

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  भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में कारगिल युद्ध हुआ था।इससे पहले भारत और और पाकिस्तान ने 1998 में दोनों देशों द्वारा परमाणु परीक्षण किए जाने के कारण उग्र माहौल बन गया था। और इस स्थिति को शांत करने के प्रयास में दोनों देशों ने फरवरी 1999 में लाहौर घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किये। जिसमें कश्मीर संघर्ष का शांतिपूर्ण और द्विपक्षीय समाधान प्रदान करने का वादा किया गया था।लेकिन पाकिस्तान 1998 की सर्दियों के दौरान ही सशस्त्र बलों को गुप्त रूप से पाकिस्तानी सैनिकों और अर्धसैनिक बलों को प्रशिक्षण दे रहे थे। और उन को प्रशिक्षण देकर (एलओसी) नियंत्रण रेखा पार करके भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ करा रहे थे।जिनमे आतंकवादी भी थे। पाकिस्तान के लगभग 5000 सैनिकों और आतंकवादियों ने कारगिल की ऊंची पहाड़ियों पर कब्जा जमा लिया था। एक भारतीय चरवाहे ने भारतीय सेना को इस घुसपैठ की सूचना दी। भारतीय सेना द्वारा चरवाहे से मिली जानकारी की जांच के लिए पेट्रोलिंग टीम भेजी गई।तो पांच भारतीय जवानों को पाकिस्तानी फौजियों ने पकड़ लिया और उनकी हत्या कर दी । पाकिस्तान की इस  हिमाकत के बाद युद्ध होना लाजमी था।पाक समर्थित ...

2000 का नोट चलन से बाहर क्यों?और कारण?

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  भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 19 मई 2023 को एक सूचना जारी कर या बताया गया कि देश में ₹2000 के नोट चलन से बाहर किये जा रहे हैं।हालांकि वैध मुद्रा की श्रेणी में बने रहेंगे। सामान्यजन को या सुविधा प्रदान की गई है कि वे 23 मई 2023 से बिना किसी प्रतिबन्ध के और भारतीय रिजर्व बैंक के वर्तमान तथा अन्य लागू सांविधिक प्रावधानों की अधीन बैंको में जाकर ₹2000 के नोट में कोई भी अपने बैंक खाते में जमा कर सकते हैं। अथवा किसी भी बैंक शाखा या अन्य किसी बैंक शाखा पर अन्य मूल्यवर्ग के बैंक नोटों में बदल सकते हैं।  परिचालनात्मक को सुविधा को सुनिश्चित करने की दृष्टि से और बैंक शाखाओं के नियमित्त कार्यकलापों को बाधित किए बिना एक समय में ₹20000 रुपये तक की राशि के ₹2000 के नोटों को किसी भी बैंक में बदला जा सकता है।तथा देश में समस्त बैंक ₹2000 के नोटों को जमा करने अथवा बदलने की सुविधा 30 सितंबर 2023 तक उपलब्ध कराते रहेगें।यह तिथि बढ भी सकती है।साथ ही अब बैंक तत्काल प्रभाव से ₹2000 के नोटों को जनसाधारण को जारी नहीं करेंगे। ताकि ₹2000 के नोट धीमे-धीमे भारतीय अर्थव्यवस्था से बाहर हो जाएं। भारत में ₹2000 के...

भारतीय भाषायें क्यों हैं विश्व मे सर्वश्रेष्ठ?

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  भारतीय भाषायें विश्व में सर्वश्रेष्ठ भाषाएं हैं।आइये जानते हैं। संस्कृत विश्व की सबसे पुरानी पुस्तक वेद की भाषा है। इसलिए इसे विश्व की प्रथम भाषा मानते हैं यह स्पष्ट व्याकरण और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी सर्वश्रेष्ठ सिद्ध होती है। सर्वाधिक महत्वपूर्ण साहित्य की धनी होने से इसकी महत्ता निर्विवाद है।संस्कृत भाषा की पहचान यह है कि यह विश्व  की सबसे प्राचीन भाषा है।क्योंकि  ग्रीक भाषा से भी संस्कृत का काल पुराना है। कम्यूटर के लिए भी संस्कृत भाषा सर्वोत्तम है।संस्कृत में सनातन धर्म से संबंधित सभी धर्म ग्रंथ लिखे गए हैं।साथ ही बौद्ध धर्म, विशेष कर महायान तथा जैन मत के भी कई महत्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गए हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होते हैं। संस्कृतभाषा अन्य भाषाओं को जोड़ती है। संस्कृत आधुनिक भारतीय भाषाओं की जननी है। आधुनिक भाषायें अपने शब्दों लिए भी संस्कृत पर निर्भर है। संस्कृत का काव्य साहित्य भी उत्तम श्रेणी का है।संस्कृत भाषा के नियम लिखित एवं स्थाई हैं। जिन पर संस्कृत भाषा की जीवंतता निर्भर है। हिंदी और संस्कृत भाषा की लिपि देवनाग...

तिलक को क्यों कहते हैं लोकमान्य? Balgangadhartilak

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  बाल गंगाधर तिलक जी का जन्म 23 जुलाई 1836 को रत्नागिरी महाराष्ट्र था।बाल गंगाधर तिलक एख स्वतन्त्रता सेनानी थे। वे भारत के राष्ट्रवादी शिक्षक बड़े समाज सुधारक और एक वकील थे। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए नए विचार रखें और स्वतंत्रता के लिए बहुत संघर्ष किया।उन्हें अंग्रेज भारतीय अशांति के पिता कहते थे। बाल गंगाधर तिलक बचपन से ही होनहार छात्र थे। वे अंग्रेज सरकार की नीतियों  का विरोध हमेशा करते थे। 1857 मे  उन पर राजद्रोह का मुकदमा चला उन्हें जेल भेज दिया गया और इस मुकदमे और सजा के चलते ही उन्हे लोकमान्य की उपाधि मिली।लोकमान्य का मतलब लोगों द्वारा मान्य वे  एकदम गरम दल के नेता थे।  उनका स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा। यह नारा था।और इसे सिद्ध करने के लिए वे हमेशा संघर्षशील रहे।स्वतंत्रता आंदोलन के गरम दल में नेताओं में लाला लाजपत राय (लाल )बाल गंगाधर तिलक (बाल) और बिपिन चंद्र पाल (पाल) की तिकडी़ थी।ये  तीनों गरम दल के प्रमुख नेता थे।और क्रांतिकारियों के साथ मिलकर आंदोलन की योजना तैयार करते थे। 1960 में तिलक ने क्रांतिकारी प्र...

क्या है कैलाश पर्वत के रहस्य?

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  कैलाश पर्वत इस ऐतिहासिक पर्वत को आज तक हम सनातनी भारतीय लोग शिव का निवास स्थान मानते हैं।शास्त्रों में भी यही लिखा है कि कैलाश पर भगवान शिव का वास है। किंतु वही नासा जैसी वैज्ञानिक संस्था के लिए कैलाश एक रहस्यमयी जगह है। नासा के साथ-साथ कई रूसी वैज्ञानिकों ने कैलाश पर्वत पर अपनी रिपोर्ट दी है।उन सभी का मानना है कि कैलाश वास्तव में कई अलौकिक शक्तियों का केंद्र है।विज्ञान यह दावा तो नहीं करता है कि यहां शिव देखे गए हैं। किंतु यह सभी मानते हैं कि यहां पर कई पवित्र शक्तियां जरूर काम कर रही हैं। कैलाश पर्वत के रहस्य  रहस्य 1 - रूस के वैज्ञानिकों का ऐसा मानना है कि, कैलाश पर्वत आकाश और धरती के साथ इस तरह से केंद्र में हैं  जहां पर चारों दिशाएं मिल रही हैं। वहीं रुसी विज्ञान का दावा है कि यह स्थान एक्सिस मुडी है और इसी स्थान पर व्यक्ति अलौकिक शक्तियों से आसानी से संपर्क कर सकता है। धरती पर यह स्थान सबसे अधिक शक्तिशाली स्थान है।  रहस्य 2- दावा किया जाता है कि आज तक कोई भी व्यक्ति कैलाश पर्वत के शिखर पर नहीं पहुंच पाया है। वहीं 11 वीं सदी में तिब्बत के योगी मिलारेपी के यहां...

मानव का चान्द पर कदम/international moon day

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 पृथ्वी का एकमात्र उपग्रह चंद्रमा ही है। मानव  हजारों साल से चंद्रमा की उत्पत्ति और उसके बारे में जानकारी और सोच करने के लिए अंतरिक्ष की यात्रा करने का विचार करता रहा है। जैसे-जैसे मनुष्य चंद्रमा पर सफलता प्राप्त करेगा।वह हर बार नई जानकारी प्राप्त करके भविष्य के बारे मे सटीक प्रयासों मे सफलता प्राप्त करेगा। मानव को सबसे बडी़ सफलता  20 जुलाई 1969 को प्राप्त हुई।जब नासा का अपोलो 11 चन्द्रमा पर उतरा था।अमेरिका के नील आर्मस्ट्राँग,और एल्ड्रिन द्वारा चन्द्रमा की सतह पर कदम रखा गया।इनके साथ तीसरा ब्यक्ति कोलिन्स था।यह मानव जगत की पहली उपलब्धि थी। जिसे अमेरिका ने सर्व प्रथम सफल किया। इन तिकडी़ ने अन्तरिक्ष मे आठ दिन से अधिक समय बिताया और चन्द्रमा की सतह पर 21 घण्टे का समय बिताया था।ये 24 जुलाई 1969 को पृथ्वी पर प्रशान्त महासागर मे सुरक्षित वापस उतरे। चन्द्रमा से 47.5 पौण्ड चन्द्र सामग्री एकत्र करके वे वापस पृथ्वी पर लाये। नासा द्वारा इस उपल्ब्धि को  संयुक्त राष्ट्र महासंघ ने 20 जुलाई 2022 से अन्तराष्ट्रीय चन्द्र दिवस के रुप मे मनाया गया । यह मानव जाति की बडी़ उपलब्धि थी।यह ...

Harela हरेला कैसे और क्यों मनाया जाता है?

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  जी रंया जागी रंया  फूल जस खिलना रंया  हरेला सिर्फ एक त्योहार न होकर उत्त्तराखंड की जीवन शैली का प्रतिबिम्ब है। हरेला उत्तराखण्ड का एक सांस्कृतिक लोक पर्व और  प्रसिद्ध त्योहार है।यह हरियाली और  शांति, समृद्धि, और पर्यावरण संरक्षण के त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। यह श्रावण माह में मनाया जाता है हरियाली को समृद्धि से जोड़ा जाता है। पहले यह प्रमुख रूप से उत्तराखण्ड के कुमाऊँ क्षेत्र मे मनाया जाता था। हरेला बोने के लिए स्वच्छ मिट्टी का उपयोग किया जाता ह।इसमें कुछ जगह घर के आस-पास सुबह से मिट्टी निकाल कर सुखाई जाती है। और उसे छानकर टोकरी में जमा लेते हैं। और फिर अनाज डालकर इसे उसे सींचा जाता है। अनाज मे धान, मक्का, उड़द,तिल, और भट्ट शामिल होते हैं। हरेला को घर पर या  देवस्थान पर भी बोया जाता है। घर में किसी मंदिर के पास रखकर 9 दिन तक देखभाल की जाती है। और फिर दसवें दिन घर के बुजुर्ग इसे काटकर अच्छी फसल की कामना के साथ देवताओं को समर्पित करते हैं।और परिवार  बच्चों और छोटों को आशीर्वाद देते हैं।  परन्तु अब यह पूरे प्रदेश मे मनाया जाता है।यह हरियाली ...

भारत का चन्द्रयान-3 कैसे सफल होगा?

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  चन्द्रयान-3 की पृथ्वी से चंद्रमा तक की 6 सप्ताह की यात्रा इसरो मिशन यानि कि चंद्रमा तक की लगभग 40 दिवसीय यात्रा को तीन अलग-अलग खंडों में विभाजित किया है। पृथ्वी केंद्र चरण स्थानांतरण और चंद्रमा केंद्रित चरण।  चरण फर्स्ट समाप्त हो गया है। और  लिफ्ट यांत्रिकी अपने रॉकेट से अलग होने के साथ पूरी हो गई है। चरण -2 के दौरान चंद्रयान 3 पृथ्वी के चारों ओर पांच परिक्रमा लगाएगा। बार-बार यह पृथ्वी के पास से गुजरेगा।और  अंतरिक्ष यान हमारे ग्रह से अपनी दूरी बढ़ा देगा। अंतिम चक्कर चन्द्रयान -3 को चंद्र स्थानांतरण प्रक्षेप पथ पर स्थापित करने में मदद करेगा।और  इसे चंद्र स्थानांतरण चरणों के दौरान चंद्रमा की ओर भेजा जाएगा। चन्द्रयान-3 अगली बार चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करेगा। एक ऐसा कदम जो चंद्रयान चरण 3 को शुरू करेगा ।इसके बाद मिशन चार बार चंद्रमा की परिक्रमा करेगा और प्रत्येक अगले लूप के साथ धीरे-धीरे चंद्रमा की सतह के करीब पहुंचेगा। चन्द्रयान-3 पृथ्वी की कक्षा से सीधे चंद्रमा पर उतरने तक नहीं जा सकता।जब अंतरिक्ष यान अंतरिक्ष से पृथ्वी पर लौटते हैं तो हमारे ग्रह का वायुमंडल ...

भारत मे भारी वर्षाऔर तबाही के क्या कारण?

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  उत्तर भारत में हुई भारी बारिश के पीछे की वजह है मानसूनी हवाओं और पश्चिमी विक्षोभ के बीच संगम।जिसके कारण दिल्ली एनसीआर में बाढ़ जैसी हालत हो गए है।साल 2013 में उत्तराखंड के केदारनाथ मे बादल फटने के कारण आई घातक बाढ़ भी इसी तरह के संगम का परिणाम था।  2023 यानी ठीक 10 साल बाद इसी प्रकार का संगम हुआ है।। और इसमें पूरा उत्तर भारत  उत्तर प्रदेश  राजस्थान, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर,हिमाचल प्रदेश, और अन्य राज्यों  में भी बारिश ने बड़ी तबाही मचाई है।2013 मे उत्तराखण्ड के केदारनाथ मे बादल फटने के कारण  मानसून पूरे देश में रिकॉर्ड समय 16 जून तक  पहुंच गया था। बल्कि केदारनाथ में बादल फटने सहित उत्तराखंड में भयंकर बारिश भी हुई।रिपोर्ट के अनुसार इस जल प्रलय के कारण आई बाढ़ और भूस्खलन में 5000 से ज्यादा लोग मारे गए।और 500000 से ज्यादा लोग विस्थापित हुए थे। इस बार जुलाई मास मे  राजधानी दिल्ली में 41 सालों के बारिश के रिकॉर्ड को तोड़ दिया है।यह 41 साल में पहली बार हुआ है।जब दिल्ली एनसीआर में इतनी ज्यादा बारिश हुई है। कि प्रशासन को बडा़ अलर्ट जारी करना पड़ा है। दिल...

World,population day,विश्व जनसंख्या दिवस

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  हर वर्ष 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। आज विश्व की बढती जनसंख्या और घटते संसाधन एक चुनौती और विश्व के लिए  गम्भीर विषय बन चुका है। विश्व जनसंख्या दिवस को मनाने की शुरुआत 11 जुलाई 1989 को हुआ था। यह फैसला संयुक्त राष्ट्र की आम बैठक लिया गया था। 1987तक दुनिया की जनसंख्या 5 अरब की लगभग पहुंच चुकी थी। जिसको लेकर विश्व के देशों की चिंता बढ़ने लगी।और इसलिए जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए और विश्व के नागरिकों को जागरूक करने के लिए  संयुक्त राष्ट्र ने विश्व जनसंख्या दिवस मनाने का फैसला लिया। यह दिवस विश्व को याद दिलाने का है। पूरी दुनिया में जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए परिवार नियोजन के मुद्दे पर जागरूकता फैलाई जाती है। परिवार नियोजन,और  हम दो हमारे दो का नारा दिया जाता है। आज इस  विषय पर जागरूकता  कार्यक्रम चलाये जाते हैं।  द स्टेट ऑफ द वर्ल्ड पापुलेशन रिपोर्ट 2023 के अनुसार भारत की जनसंख्या 142.86 करोड़ पहुंच गई है जबकि चीन की जनसंख्या 142.57 करोड़ है। आंकड़ों के आधार पर भारत की जनसंख्या 2.9 मिलियन यानी 29 लाख के अंतर से चीन से आगे ह...

शेर ये पंजाब महाराजा रणजीत सिंह

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  महाराजा  रणजीत सिंह का जन्म 13 नंबर 1780 को पंजाब के गुंजरावाला में हुआ था। महाराजा रणजीत सिंह ने  10 साल की उम्र में ही पहला युद्ध लडा़ था। और 12 साल की उम्र में इन्होंने गद्दी संभाली थी। महाराजा रणजीत सिंह खुद तो पढ़े-लिखे नहीं थी लेकिन वे  शिक्षा के महत्व को जानते थे। इसलिए उन्होंने अपने राज्य में शिक्षा और कला पर बहुत जोर दिया। साथ ही उन्होंने पंजाब में कानून व्यवस्था को कायम करने के लिए उत्कृष्ट नियम बनाये।महाराजा रणजीत सिंह ने हिंदू और सिखों से वसूले जाने वाले जजिया पर रोक लगा दी थी।वे सभी धर्मों का समान रूप से सम्मान करते थे। और कभी भी उन्होंने अपने शासनकाल में किसी को भी सिक्ख धर्म अपनाने के लिए जोर नहीं दिया था।  महाराजा रणजीत सिंह ने 40 वर्षों से अधिक समय तक पंजाब मे शासन किया था।उन्हे शेर ए पंजाब के नाम से जाना जाता है। उनके शासनकाल में अंग्रेजों ने कभी भी पंजाब पर आक्रमण नहीं किया। पूर्व में अंग्रेजों और पश्चिमी दुर्रानी के राज्य के बीच में उनका राज्य था।महाराजा रणजीत सिंह एक मिसलदार थे। उन्होने अन्य  सरदारों को हराकर अपना राज्य बढ़ाना शुरू कि...

Alluri sitarama Raju अल्लूरी सीताराम राजू कौन थे?

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  भारत को स्वतंत्रता करवाने में बहुत सारे क्रांतिकारियों का योगदान रहा है।उनमे से कई क्रांतिकारी ऐसे हैं जिनका इतिहास में जिक्र है और कई ऐसे हैं जिनका जिक्र इतिहास में नहीं है। उन्हीं में से एक दक्षिण भारत के महान क्रान्तिकारी अल्लूरी सीताराम राजू थे।जिनका जन्म  4 जुलाई 1897 को आन्ध्र प्रदेश मे हुआ था।वे महान भारतीय क्रांतिकारियों में से एक थे। जिन्होंने भारत में ब्रिटिश औपनिवेश के खिलाफ अभियान चलाया था। उच्च शिक्षा प्राप्त के बाद वे बहुत कम उम्र 18 साल की उम्र में संत बन गये थे।1882 मे  मद्रास वन अधिनियम के खिलाफ ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ विद्रोह खडा़ किया था। वे न्याय में दृढ़ विश्वास रखते थे।और अन्याय के विरूद्ध लड्ते थे।  अल्लूरी सीताराम राजू ने कई गैर कानूनी ब्रिटिश नीतियों के विरुद्ध आवाज उठाई और उनके खिलाफ लड़ाई लड़ी।  उन्होंने अपने सभी सांसारिक सुखों को त्याग कर 18 वर्ष की आयु में संत बनने का संकल्प लिया था।अल्लूरी  सीताराम राजू ने उस समय आदिवासियों को जागृत किया। और उनके हक के लिए उनको  हर तरफ से सहयोग किया था। 1922 में  रम्पा  क्षे...

UCC भारत मे समान नागरिक आचार संहिता क्यों जरुरी?

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  भारत जो कि  विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। और यही नहीं भारत जिसकी आबादी एक अरब 40 करोड़ के लगभग है।और जिसमें विभिन्न धर्मों, संप्रदायों  के लोग रहते हो।बहुत प्रकार की विविधता हो।और वह सेक्युलर राष्ट्र हो तो फिर जरुरी है। समान नागरिक आचार संहिता। समान नागरिक आचार संहिता का अर्थ एक पंथनिरपेक्ष  कानून से होता है। जो सभी मत  पंथों  के लोगों के लिए समान रूप से लागू होता है। दूसरे शब्दों में कहें तो अलग-अलग पथों के लिए अलग-अलग  कानून ना होना ही समान नागरिक संहिता की मूल भावना है। समान नागरिक कानून किसी भी पंथ जाति के सभी निजी कानूनों से ऊपर होता है।  क्योंकि भारत जैसे विशाल देश की जनसंख्या को नियंत्रित करना है। या फिर रोजगार, प्राकृतिक,भौतिक  संसाधनों को देश के नागरिंको को समान रुप से पहुंचाना हो।तो भारत में समान नागरिक आचार संहिता कानून लाना बहुत जरूरी है। ऐसे विश्व के बहुत से देश है जो सेकुलर होते हुए भी यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल लागू किये हुए है। जैसे अमेरिका, आयरलैंड, बांग्लादेश, मलेशिया,तुर्की, इंडोनेशिया, इजिप्ट,सूडान, यहां तक कि पाकिस्तान क...