सूचना का अधिकार क्या है ?और कैसे लें?
किसी भी लोकतंत्र के लिए सूचना का अधिकार अधिनियम एक महत्वपूर्ण अधिनियम है। भारत में 15 जून 2005 को अधिनियम लागू हुआ। इस अधिनियम को 12 अक्टूबर 2005 को संपूर्ण धाराओं के साथ लागू कर दिया गया।सूचना का अधिकार अधिनियम का मूल उद्देश्य नागरिकों को सशक्त बनाने, सरकार के कार्यों में पारदर्शिता, और उत्तरदायित्व को बढ़ावा देना, भ्रष्टाचार मुक्त कार्यों का होना। भारत में सूचना अधिकार अधिनियम में कुल 6 अध्याय 31 धाराएं और 2 अनुसूचियां हैं। (राइट टू इनफार्मेशन) या सूचना के अधिकार से तात्पर्य कानून लागू करने वाला राष्ट्र अपने नागरिकों को समस्त कार्य और शासन प्रणाली को सार्वजनिक करने से है।इसकी धाराएं
4 (1),5(1),5(2 ),12, 13, 15,16,24 ,27,तथा 28 हैं। 15 जून 2005 से लागू हुए इस अधिनियम का विस्तार संपूर्ण भारत मे है। इसका उद्देश्य जन संबंधी मामलों में पारदर्शिता को बढ़ाना। तथा सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार को रोकना है।यह अधिनियम नागरिकों को प्रशासन के सभी स्तरों पर सूचना हासिल करने का व्यावहारिक अधिकार प्रदान करता है।
यह विधेयक काफी विस्तृत है और यह केंद्र,राज्य,तथा स्थानीय सरकारों,सार्वजनिक प्राधिकरणो, और सरकारी अनुदान प्राप्त करने वाले संस्थानों पर लागू होता है।किसी भी कार्य की सूचना प्राप्त करने के लिए इच्छुक व्यक्ति अंग्रेजी, हिंदी, अथवा उस क्षेत्र के राजभाषा में डाक द्वारा स्वयं ,या ईमेल द्वारा संबंधित जन सूचना अधिकारी से सूचना के लिए आवेदन कर सकता है। यदि 30 दिनों के अंदर सूचना नहीं मिलती है तो 30 दिनों के अंदर प्रथम अपीलीय अधिकारी से अपील की जाती है। प्रथम अपीलीय अधिकारी को 30 दिनों के अंदर इस पर निर्णय को लेना होता है। यदि प्रार्थी अपीलीय अधिकारी के जवाब से संतुष्ट नहीं है।तो 90 दिनों के भीतर वह केंद्रीय सूचना आयोग से दूसरी अपील कर सकता है। यदि केंद्रीय सूचना या राज्य सूचना आयुक्त की अपील पर निर्धारित अवधि के दौरान सूचना उपलब्ध नहीं होती है तो उस स्थिति में अधिकारियों के लिए दंड का प्रावधान किया गया है। सूचना का अधिकार अधिनियम को राष्ट्रपति की मंजूरी 15 जून 2005 को मिली। सूचना का अधिकार अधिनियम संसद में 12 मई 2005 को पारित किया गया।
सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 का प्रमुख उद्देश्य है। सरकार के क्रियाकलापों में पारदर्शिता लाना। पदाधिकारियों की जवाबदेही स्पष्ट करना। सत्ता के दुरुपयोग पर अंकुश लगाना।
सूचना का अधिकार मैं कुछ जानकारी नहीं दी जा सकती है। जैसे ऐसी सूचना नहीं दी जाएगी जिसका प्रकटन से भारत की संप्रभुता और अखंडता, राज्य की सुरक्षा, रणनीति, वैज्ञानिक या आर्थिक हितों या विदेशों से संबंध पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हो।इन पर सूचना का अधिकार नहीं दिया जा सकता है। सूचना के अधिकार के दायरे में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति,प्रधानमंत्री,संसद, और राज्य विधानमंडल के साथ ही सीजेआई ऑफिस, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक, और निर्वाचन आयोग जैसे संवैधानिक निकायों और उनसे संबंधित पदों को भी सूचना अधिकार के अधिनियम के दायरे में लाया गया है।
कोई भी ब्यक्ति वर्ष मे 3 बार से अधिक सूचना का अधिकार नहीं ले सकता है।
सूचना के आधिकार का दुरुउपयोग-एक ही सूचना बार-बार मांगना। सूचना के आधिकार के दुरूउपयोग मे आता है। साथ ही सूचना लेकर सम्बधित कार्यों से इतर ब्लैकमेल करना भी दुरूउपयोग मे आता है।